Allahabad High Court: अपनी निजी संपत्ति पर मंदिर बनाने के अधिकार को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा कि निजी संपत्ति पर मंदिर बनाने का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत दिया गया है. हाईकोर्ट में जिला मजिस्ट्रेट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हिंदू संत आचार्य प्रमोद कृष्णम जी महाराज को उनकी निजी जमीन पर मंदिर या फिर किसी ऐसे ढांचे की नींव रखने से रोक दिया गया था.
'धार्मिक भावनाओं को नहीं पहुंच सकती ठेस'
आचार्य प्रमोद कृष्णम की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अपनी निजी संपत्ति पर अगर कोई शख्स मंदिर का निर्माण करता है तो इससे किसी अन्य समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंच सकती है. जस्टिस सलिल कुमार राय और जस्टिस सुरेंद्र सिंह की बेंच ने इस दौरान संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का हवाला दिया.
ये है पूरा मामला
दरअसल 2016 और 2017 में जिला मजिस्ट्रेट (संभल) ने आचार्य प्रमोद कृष्णम के खिलाफ फैसला सुनाते हुए आदेश दिया था कि वो जिला प्रशासन की इजाजत के बिना अपनी निजी संपत्ति पर किसी मंदिर की नींव नहीं रख सकते हैं. इसके बाद प्रमोद कृष्णम की तरफ से रिट याचिका दायर की गई थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसका निपटारा किया. हाईकोर्ट ने डीएम (संभल) के पारित आदेश को अनुमान पर आधारित बताया. जिसमें उन्होंने कहा था कि मंदिर के निर्माण से एक विशेष समुदाय की धार्मिक संवेदनाएं आहत होंगी और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा होगी.
हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस बात का कोई भी सबूत नहीं है कि मंदिर के निर्माण ने सार्वजनिक व्यवस्था को किसी तरह नुकसान पहुंचा है या फिर ये नैतिकता के खिलाफ है. याचिका दायर करने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा था कि वो कल्कि धाम का निर्माण कर रहे थे, क्योंकि वो एक प्रतिष्ठित हिंदू संत हैं और उन्हें गांव में श्री कल्कि धाम का पीठाधीश्वर बनाया गया है.
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