मेडिकल कोर्स में 7.5% आरक्षण मुहैया कराने के लिए क्यों न संविधान फिर से लिखा जाए- मद्रास HC ने उठाया सवाल
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि मेडिकल कोर्स में आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए संविधान को पुन: लिखने की जरूरत पड़ेगी. अब इस मामले में 17 मार्च को सुनवाई होगी.
मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को सवाल उठाया है कि मेडिकल कोर्स में सरकारी स्कूलों के छात्रों को 7.5 फीसदी आरक्षण मुहैया कराने के लिए क्यों न संविधान को फिर से लिखा जाए. हाईकोर्ट ने तमिलनाडु की पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों के छात्रों को आरक्षण देने के लिए बनाए गए कानून को चुनौती देने वाली विभिन्न जनहित याचिकाओं और रिट याचिकाओं पर सुनवाई की.
मुख्य न्यायाधीश एम. एन. भंडारी और न्यायमूर्ति डॉ भारत चक्रवर्ती की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि ऐसे आरक्षणों को लागू करने के लिए संभवत: संविधान को फिर से लिखना पड़ेगा. कुछ याचिकाओं में कानून की वैधता पर सवाल उठाया गया था, वहीं कुछ अन्य में इस लाभ को सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को भी देने का अनुरोध किया गया था. कुछ अन्य याचिकाओं में इसमें निजी और अल्पसंख्यक संस्थानों में भी शामिल करने का अनुरोध किया गया था. अदालत ने मामले की सुनवाई 17 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी.
उधर बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान गुरुवार को मेडिकल की पढ़ाई के लिए बिहार के छात्रों के यूक्रेन जाने का मामला उठा. विपक्षी सदस्यों ने कहा कि बिहार में मेडिकल की पढ़ाई महंगी है, जिस कारण यहां के छात्रों को पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन जाना पड़ रहा है. इसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह केवल बिहार जैसे गरीब राज्य का मामला नहीं है, इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर सोचने की जरूरत है.
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