अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है. इससे पहले कल राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने  28 साल बाद रामलला के दर्शन किए. अब राम मंदिर का कार्य शुरू होने पर नेपाल के पूर्व उप- प्रधानमंत्री ने भी खुशी जताई है. राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के चेयरमैन और नेपाल के पूर्व उप-प्रधानमंत्री कमल थापा ने राम मंदिर निर्माणका कार्य शुरू होने पर खुशी जताई है.


उन्होंने कहा,'' यह सुनकर बहुत खुशी हुई कि भगवान रामचंद्र की जन्मस्थली अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य आज शुरू हो गया है. वास्तव में नेपाल के लोगों के लिए भी यह एक खुशी का क्षण है.  जहां सीता माता का जन्म हुआ था. उन सभी को बधाई जिन्होंने मंदिर को लेकर लंबी लड़ाई लड़ी और जीती.''





डॉक्टर हर्षवर्धन ने जताई खुशी


बता दें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने भी राम मंदिर निर्माण कार्य के शुरू होने को लेकर खुशी जताई है. उन्होंने ट्वीट किया,''जय श्री राम ‼️.आज का ये स्वर्णिम पल इतिहास में नामांकित होने जा रहा है. सनातन धर्म के मर्यादापुरुष व इष्टदेव प्रभु श्री राम जी की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण कार्य का शुभारंभ हो चुका है. विश्वास है भगवान राम की कृपा से जल्द ही इस महामारी पर विजय प्राप्त करेंगे.''





लॉकडाउन में राम मंदिर निर्माण के लिए 4 करोड़ 60 लाख रुपए दान के रूप में आए


लॉक डाउन के दौरान अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 4 करोड़ 60 लाख रुपए दान के रूप में आए हैं. इन पैसों को अलग-अलग दानदाताओं ने राम मंदिर निर्माण के लिए खोले गए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के खाते में जमा कराए गए हैं. राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि पैसे की कमी के चलते राम मंदिर निर्माण में कोई बाधा ना उत्पन्न हो और भव्य और दिव्य गगनचुंबी राम मंदिर का निर्माण हो यही भक्तों की कामना है और इसीलिए वह दान दे रहे हैं. राम मंदिर निर्माण के लिए लगातार भक्त दान दे रहे हैं और इसके लिए मैं सभी दानदाताओं को धन्यवाद देता हूं.


मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का कहना है कि भगवान राम ने बहुत तपस्या की. 14 वर्ष तक वन में रहे. त्रेता युग में जब उनको राजसत्ता मिलनी था लेकिन ऋषियों के आश्रम में दर दर भटकना पड़ा और जिस उद्देश्य से आए उसको उन्होंने पूरा किया. भगवान राम 27 वर्ष तक तिरपाल में रहे और आज भी तिरपाल से उठकर के लकड़ी के अस्थाई मंदिर में विराजमान हैं, जो उसकी अपेक्षा ठीक है. पहले से बहुत व्यवस्थित हो गया है. लेकिन रामलला के लिए भव्य और दिव्य मंदिर बने ऐसी संतों की मांग है.