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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
IN DEPTH: यदि आप रेस्टोरेंट में खाने जाते हैं तो खुश हो जाएं
नई दिल्ली: आप रेस्टोरेंट जाते हैं, होटल जाते हैं. एक डिश ऑर्डर करते हैं. ऐसा ज्यादातर बार होता है कि आपको जितनी जरूरत है उससे ज्यादा खाना फुल प्लेट ऑर्डर की पाबंदी के कारण मिलता है. जिसे या तो आप खा पाते हैं या फिर वो बर्बाद होता है. जिससे ना सिर्फ आपकी जेब को चपत लगती है बल्कि देश का भी बड़ा नुकसान होता है. आप सोचेंगे कि भाई इसमें क्या नया है. तो यहां आपको बता दें कि सरकार ने ऐसे संकेत दिए हैं कि होटल-रेस्टोरेंट में सिर्फ फुल प्लेट का ही ऑर्डर लेने की पाबंदी बंद होगी. ऐसा कानून बन सकता है, जिसमें रेस्टोरेंट वालों को हाफ यहां तक कि क्वार्टर प्लेट खाना देने के लिए भी तैयार रहना होगा.
एक रिसर्च के मुताबिक 85 फीसदी लोग रेस्टोरेंट में जाते ही डिश से ज्यादा उसकी कीमत पहले देखते हैं. और फिर ऑर्डर करते हैं. बड़े और नामी रेस्टोरेंट खाने के ऑर्डर में फुल प्लेट की पाबंदी लगाते हैं. मीडियम क्लास के रेस्टोरेंट हाफ प्लेट का भी ऑर्डर लेते हैं. देश में बहुत कम रेस्टोरेंट ऐसे हैं जो क्वार्टर प्लेट या फिर सिर्फ आम आदमी की भूख की जरूरत के हिसाब से ऑर्डर लें.
ऐसे में होता ये है कि आप फुल प्लेट ऑर्डर देने के लिए मजबूर होते हैं. फुल प्लेट डिश के लिए मोटा पैसा चुकाते हैं लेकिन उतनी जरूरत ना होने के कारण खाना बर्बाद होता है. और आपका पैसा भी.
देश में रेस्टोरेंट में जितनी भूख है उसके मुताबिक खाना ऑर्डर करने का नियम हो ? क्यों रेस्टोरेंट वाले फुल प्लेट के नाम पर मुनाफाखोरी का भ्रष्टाचार करते रहें ? एक अच्छी खबर आई है कि पता चला है कि सरकार जल्द ऐसे नियम कानून बनाने की तैयारी कर रही है ताकि रेस्टोरेंट में सिर्फ फुल प्लेट ही खाना मंगाने की पाबंदी ना रहे. लोगों को उनकी मर्जी से जितना जरूरी है, जितनी भूख है उतना खाना ऑर्डर करने की छूट मिले.
उपभोक्ता मंत्रालय एक ऐसे प्रस्ताव पर काम कर रहा है, जिसमें खाना कितना खाएं ये रेस्टोरेंट नहीं बल्कि ग्राहक तय करेगा. प्रस्ताव के मुताबिक़, खाने की मात्रा तय करने का विकल्प ग्राहकों के पास रहेगा और वो ही तय करेंगे कि उनके भोजन की मात्रा क्या होगी. मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक़, भोजना की मात्रा ग्राम या लीटर में भी हो सकती है. मंत्रालय के मुताबिक़, दुनिया के कई देशों में इस तरह की व्यवस्था पहले से ही चल रही है और ये ग्राहकों के हित में है.
खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने मंत्रालय के अधिकारियों को इस मामले में नियम बनाने को कहा है. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नियम बनाते समय दूसरे देशों में चल रही ऐसे नियमों का अध्यन किया जाएगा. साथ ही, रेस्टोरेंट संगठनों और ग्राहकों से जुड़े संगठनों से भी बातचीत की जाएगी. अधिकारियों के मुताबिक़, इस प्रस्ताव का मक़सद ग्राहकों को खाने के मामलों में ज्यादा विकल्प देना है ताकि कम खाने पर भी पूरे खाने का बिल चुकाना नहीं पड़े.
हालांकि मंत्रालय के अधिकारी ये भी मानते हैं कि ऐसे प्रस्तावों पर अमल आसान नहीं होगा. अभी ये तय करना बाक़ी है कि इसके लिए कोई नियम बनाया जाए या फिर एक दिशानिर्देश तैयार कर होटलों और रेस्टोरेंटों को दिया जाए.
क्या रेस्टोरेंट इस नियम के लिए तैयार हैं ? सरकार आपके फायदे से जुड़ी सिफारिश लागू करेगी तो फायदा सिर्फ आपका नहीं बल्कि पूरे देश का कैसे होगा ? कैसे फुल प्लेट मुनाफाखोरी रोकने से देश के करोड़ों जरूरतमंदों और भूखे रहने वालों का पेट भरेगा?
यूनाइटेड नेशंस की 2015 की रिपोर्ट कहती है, कि भारत में भयानक गरीबी के हालात में रहने वाले लोगों की संख्या क़रीब 30 करोड़ है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में भुखमरी का शिकार होने वाले कुल लोगों का एक चौथाई हिस्सा भारत में ही रहती है.
2015 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स के मुताबिक, भुखमरी का सामना करने वाले लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा भारत में है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साढ़े 19 करोड़ लोगों को ज़रूरत के मुताबिक भोजन नहीं मिलता है. भारत में 5 साल से कम उम्र के 40 फीसदी से ज़्यादा बच्चों का वजन, तय मानकों से बेहद कम है.
एक आंकड़े के मुताबिक देश में हर रोज़ 18 करोड़ लोग भूखे पेट सोने पर मजबूर हैं. फोरम फॉर लर्निंग एंड एक्शन विद इनोवेशन एंड रिगर की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 5 साल के कम उम्र के 50 फीसदी बच्चों की मौत कुपोषण की वजह से होती है.
भूखे पेट रहने वालों का बेचैन कर देने वाला ये आंकड़ा बताने में हमें कोई गर्व नहीं हो रहा. लेकिन सच से आपको वाकिफ कराना हमारी जिम्मेदारी है. ताकि आप इस बात को सरलता से समझ पाएं कि रेस्टोरेंट में अगर फुल प्लेट खाने की मजबूरी बनी रही तो खाने की बर्बादी भी जारी रहेगी. और देश में भूख से मरने वालों को रोका नहीं जा सकेगा.
मुसीबत सिर्फ रेस्टोरेंट में बर्बाद होने वाला खाना ही नहीं है. बल्कि शादियों में बर्बाद होने वाला खाना भी देश की मुश्किल को कम कर सकता है. एक रिसर्च में पता चला कि अकेले बेंगलुरू में ही शादी के सीजन में 950 टन खाना बर्बाद हो जाता है. यानी बेंगलुरू में सिर्फ शादियों में बर्बाद होने वाला खाना जरूरतमंदों को दिया जाए तो दो करोड़ साठ लाख लोगों का पेट भर सकता है.
अब आप सोचिए ये आंकड़ा तो सिर्फ एक शहर का है. देश के बाकी राज्यों, बाकी शहरों में जितना खाना बर्बाद होता है क्या उससे देश में भूखे पेट सोने वाले 19 करोड़ लोगों का पेट क्या नहीं भरा जा सकता?
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