Contempt Case: सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) को अवमानना मामले में पक्ष रखने का अंतिम मौका दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर अगली सुनवाई में दोषी खुद पेश नहीं होता या अपने वकील के ज़रिए पक्ष नहीं रखता तो भी सज़ा को लेकर कार्रवाई नहीं रोकी जाएगी. 24 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई होगी.
बैंकों के हज़ारों करोड़ रुपए हजम कर फरार माल्या (Vijay Mallya) को सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2017 को अवमानना का दोषी ठहराया था. उसे डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर अपने बच्चों के विदेशी एकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का सही ब्यौरा न देने के लिए अवमानना का दोषी करार दिया गया था. उसकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज की जा चुकी है. सज़ा पर चर्चा के लिए दोषी का पेश होना कानूनी ज़रूरत है. लेकिन माल्या (Vijay Mallya) कई बार मौका मिलने के बावजूद पेश नहीं हुआ है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि प्रत्यर्पण की कानूनी लड़ाई हार जाने के बावजूद माल्या (Vijay Mallya) कुछ कानूनी दांवपेंच अपना कर यूनाइटेड किंगडम में बना हुआ है. उसने वहां कोई गुप्त कानूनी प्रक्रिया शुरू कर ली है. यूके की सरकार ने न तो इस प्रक्रिया में भारत सरकार को पक्ष बनाया है, न उसकी जानकारी साझा की है. इस कारण माल्या को अब तक भारत नहीं लाया जा सका है.
इससे पहले 30 नवंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोषी का प्रत्यर्पण हो या नहीं, सज़ा पर फैसले के लिए और इंतज़ार नहीं किया जाएगा. जस्टिस यु यु ललित की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने कहा था कि दोषी अपने वकील के माध्यम से पक्ष रख सकता है.
कोर्ट ने वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता को मामले में अपनी सहायता के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था. आज एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को सलाह दी कि वह माल्या को एक आखिरी मौका दे. इसे मानते हुए कोर्ट ने आदेश में दर्ज किया कि अगली सुनवाई में दोषी की तरफ से कोई पेश हो या नहीं, कार्रवाई को नहीं टाला जाएगा.
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