Vijay Mallya Contempt Case : भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट 18 जनवरी को विचार करेगा. माल्या को 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अवमानना का दोषी करार दिया था. कोर्ट ने आज कहा कि दोषी का प्रत्यर्पण हो या नहीं, सज़ा पर फैसले के लिए और इंतज़ार नहीं किया जाएगा. जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने कहा है कि दोषी अपने वकील के माध्यम से पक्ष रख सकता है. कोर्ट ने वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता को मामले में अपनी सहायता के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है.


बैंकों के हज़ारों करोड़ रुपए हजम कर फरार माल्या को सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2017 को अवमानना का दोषी ठहराया था. उसे डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर अपने बच्चों के विदेशी एकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का सही ब्यौरा न देने के लिए अवमानना का दोषी करार दिया गया था. उसकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज की जा चुकी है.


इससे पहले 5 अक्टूबर 2020 को यह मामला कोर्ट में लगा था. उस दिन जजों ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि यूके की अदालत में प्रत्यर्पण कि कानूनी लड़ाई हार जाने के बाद भी विजय माल्या अब तक वहां कैसे जमा है. 


तब केंद्र के वकील ने कोर्ट को बताया था कि भारत सरकार की तरफ से प्रत्यर्पण की सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर लेने के बाद अब यूके में कोई गुप्त कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. भारत सरकार को इसमें पक्ष नहीं बनाया गया है. इसलिए, यह नहीं पता कि इसमें कितना समय लगेगा. केंद्र के वकील ने आज भी यही बात कही.


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