कोटा में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी, परिजनों ने लगाया अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
दिल्ली से भी बीजेपी नेता कोटा आकर अस्पताल का दौरा करने लगे यहां तक के राजस्थान के पूर्व चिकित्सा मंत्री भी आकर यह कह गए कि अस्पताल की ये दुर्दशा देख कर शर्मिंदा हैं, लेकिन राजस्थान सरकार की संवेदनहीनता का इससे बड़ा उद्धरण नहीं हो सकता कि सरकार में हाड़ौती से दो मंत्री हैं लेकिन किसी ने अस्पताल की सुध तक नहीं ली.
कोटा: कोटा में लगातार जेकेलोन अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला बरकरार है. ऐसे परिजन जिन्होंने अपने बच्चों को खोया वो अब आरोप लगा रहे हैं कि इलाज हो सकता था लेकिन डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से उन्होंने अपने जिगर के टुकड़ों को खो दिया. अस्पताल में लगातार बढ़ती बच्चों की मौतों से पूरा देश सन्न है लेकिन राजस्थान सरकार और सरकार के नुमाइंदों की समझ को लकवा मार गया है.
दरअसल इन मामले ने तब तूल पकड़ा जब कोटा के जेकेलोन अस्पताल में 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत का मामला मीडिया में गूंजा पूरा देश इस सोच में डूब गया कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो एक अस्पताल में एक साथ लगातार इतने बच्चों की मौत हो गई. जैसे ही मामला मीडिया में आया रास्थान सरकार ने अपनी जिम्मेदारी दिखते हुए 3 डॉक्टर्स की एक एक जांच टीम बनाकर इतिश्री कर ली और रिपोर्ट आने का इंतज़ार करने लगी. टीम कोटा पहुंची और जांच शुरू हो गई टीम ने माना कि अस्पताल में अव्यवस्थाएं बहुत हैं अस्पताल की बिल्डिंग की हालत खस्ता है, वार्मर ख़राब हैं, वेंटिलेटर ख़राब हैं और बुनियादी चीजों की कमी है.
जैसे ही ये मामला मीडिया में आया बीजेपी नेताओं ने कोटा का रुख कर लिया बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया सहित कई बीजेपी नेताओं ने कोटा का रुख किया और अस्पताल का जायज़ा लिया और तकरीबन सभी नेताओं ने मना की अस्पताल का खस्ता हाल एक बड़ी वजह है मौतों की. 23 और 24 दिसंबर को 10 बच्चों की मौत हुई थी उसके बाद आखिर कैसे चला मौत का ये घटनाक्रम आइए समझते हैं.
ऐसे चला मासूमों की मौतों का आंकड़ा
- 25 दिसंबर को 1
- 26 दिसंबर को 3
- 27 दिसंबर को 2
- 28 दिसंबर को 6
- 29 दिसंबर को 1
- 30 दिसंबर को 4
- 31 दिसम्बर को 5 मौत
कुल 7 दिन- 22 मौत
इतना सब कुछ हो गया दिल्ली से भी बीजेपी नेता कोटा आकर अस्पताल का दौरा करने लगे यहां तक के राजस्थान के पूर्व चिकित्सा मंत्री भी आकर यह कह गए कि अस्पताल की ये दुर्दशा देख कर शर्मिंदा हैं, लेकिन राजस्थान सरकार की संवेदनहीनता का इससे बड़ा उद्धरण नहीं हो सकता कि सरकार में हाड़ौती से दो मंत्री हैं लेकिन किसी ने अस्पताल की सुध तक नहीं ली.
ऊपर से प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गैर जिमेदारना बयान देते हुए यहां तक कह डाला की बच्चों की मौत में क्या बड़ी बात है अस्पताल में तो बच्चों की मौतें होती रहती हैं. हद तो तब हो गई जब राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने इस मामले में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं दिखाई और एक बार भी अस्पताल तक जाने की जहमत न उठाई. पूरी कांग्रेस पार्टी और राजस्थान की कांग्रेस सरकार बच्चों की मौत पर यही कहती नज़र आई की हमारी सरकार संवेदनशील है. मगर राजस्थान सरकार की ये कैसी संवेदनशीलता है जो मासूम बच्चों की मौत के बाद उनके परिवारों तक भी नहीं पहुंच पा रही है.