Temples in India: काशी विश्वनाथ धाम सदियों से आस्था का केंद्र रहा है. देश में ऐसे अनगिनत मंदिर और तीर्थस्थल हैं, जिनसे लाखों करोड़ों लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं, इसलिए आस्था के केंद्रों से सियासत के समीकरण भी बनाए जाते हैं. लेकिन आस्था और राजनीति के साथ-साथ तीर्थस्थानों का एक अर्थशास्त्र भी होता है. देश में मंदिरों का अर्थविज्ञान क्या कहता है. इकोनॉमी पर इसका कितना असर है? आइए आपको बताते हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया. पीएम मोदी ने काशी के कोतवाल काल भैरव के मंदिर में पूजा-अर्चना और आरती की. इसके बाद पीएम मोदी ने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया. गंगा में डुबकी लगाकर काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना भी की.
अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि काशी तो अविनाशी है, काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथ में डमरू है. 250 साल बाद बाबा विश्वनाथ धाम का संपूर्ण कायाकल्प हुआ और शिवद्वार मां गंगा के चरणों में पहुंच गया. अब बाबा विश्वनाथ धाम 3 हजार स्क्वायर फीट से बढ़कर 5 लाख स्क्वायर फीट में फैल गया है. मंदिर परिसर में 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं.
यूं तो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का कायाकल्प सीधे तौर धर्म और आस्था से जुड़ा मामला नजर आता है. राजनीति के चश्मे से भी कुछ लोग इसे देख रहे हैं. लेकिन इसके पीछे छिपा अर्थविज्ञान एक अलग ही तस्वीर दिखाता है, जो बताता है कि मंदिरों का अर्थशास्त्र देश की GDP में भी अपनी जगह रखता है.
मंदिर और दूसरे तीर्थस्थलों के बारे में आम धारणा यही है कि इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और पर्यटन को बढ़ावा. लेकिन इसकी बड़ी तस्वीर ये बताती है कि तीर्थस्थल किस तरह देश के विकास के पहिए को घुमाते हैं.
मंदिरों का 'अर्थशास्त्र'
- GDP में धार्मिक यात्राएं 2.32 % हिस्सेदारी
- मंदिर की इकोनॉमी 3.02 लाख करोड़
- 55% हिंदू धार्मिक यात्राएं करते हैं
- भारत में सबसे ज्यादा सैलानी तीर्थस्थल जाते हैं
भारत की जीडीपी में धार्मिक यात्राओं का योगदान 2.32 फीसदी है और मंदिर की इकोनॉमी करीब 3.02 लाख करोड़ की है, जिसमें फूलों की बिक्री से लेकर पूजा पाठ से जुड़े दूसरे सामान आते हैं. आंकड़ों के मुताबिक 55 फीसदी हिंदू धार्मिक यात्राएं करते हैं और भारत में सबसे ज्यादा सैलानी तीर्थस्थलों पर ही जाते हैं.
मंदिर और दूसरे तीर्थस्थल भारतीयों की आस्था से जुड़े होते हैं, जिसमें लोग खर्च भी दिल खोलकर करते हैं. मंदिर का यही अर्थविज्ञान विकास को भी रफ्तार देता है. जब अर्थशास्त्री डॉ. राजेंद्र सिंह से पूछा गया कि तीर्थस्थलों का देश की अर्थव्यवस्था पर किस तरह असर होता है? उन्होंने कहा, मंदिरों के अर्थविज्ञान में पीएम मोदी को भी विकास का नया आयाम दिखता है. शायद यही वजह है कि काशी धाम के लोकार्पण पर उन्होंने लोकल फॉर वोकल के नारे को भी दोहराया और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का मंत्र भी दिया.
आज की दुनिया में महाशक्ति होने का मतलब ही आर्थिक सुपरपावर होना है और इसके लिए जरूरी है कि आयात और निर्यात का समीकरण अपने पक्ष में हो, इसलिए भारत जैसे देश में जहां आस्था का स्थान बेहद ऊपर है, वहां धर्म का अर्थशास्त्र इकोनॉमी को गति देने में काफी अहम हो सकता है
आंकड़े बताते हैं कि भारत की GDP में मंदिर की इकोनॉमी की हिस्सेदारी 2 फीसदी से ज्यादा है और इसकी वजह है भारतीयों का धर्म और आस्था से जुड़े मामलों में दिल खोल कर खर्च करना. NSSO का डेटा बताता है कि भारतीय बिजनेस ट्रिप से ज्यादा धार्मिक यात्राएं करते हैं.
भारतीयों के खर्च की तुलना
-धार्मिक यात्रा पर खर्च रु 2,717 प्रतिदिन/व्यक्ति
-सामाजिक यात्रा पर खर्च रु 1,068 प्रतिदिन/व्यक्ति
-शैक्षणिक यात्रा पर खर्च रु 2,286 प्रतिदिन/व्यक्ति
आस्था का 'अर्थशास्त्र'
धार्मिक यात्रा पर खर्च रु 1316 करोड़/दिन
धार्मिक यात्रा पर सालाना खर्च रु 4.74 लाख करोड़
धार्मिक यात्रों की GDP में हिस्सा 2.32 %
NSSO का ये आंकड़ा बता रहा है कि भारतीय बिजनेस ट्रिप से ज्यादा तीर्थाटन करते हैं और एजुकेशन परपज के लिए की जाने वाली यात्रा से ज्यादा खर्च तीर्थयात्रा पर करते हैं. सरकार खर्च के इसी पैटर्न को देश की अर्थव्यवस्था से जोड़ने की कोशिश भी कर रही है.
धार्मिक यात्राओं पर भारतीयों के इस खर्च को देखते हुए ही सरकार धार्मिक यात्राओं को बढ़ाने की जी तोड़ कोशिश कर रही है. काशी विश्वनाथ प्रोजेक्ट भी उनमें से एक है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से पहले भी मोदी सरकार ने न सिर्फ कई मंदिरों का कायाकल्प किया, बल्कि वहां तक पहुंचने का भी इंतजाम किया है.
तीर्थयात्रा के लिए योजनाएं
- रामायण सर्किट
- चार धाम रोड प्रोजेक्ट
- बुद्ध सर्किट
- केदारधाम का कायाकल्प
- बद्रीधाम का कायाकल्प
- जम्मू कश्मीर में मंदिरों का जीर्णोद्धार
भगवान राम के जीवन दर्शन के लिए सरकार ने रामायण सर्किट बनाया. साथ ही चार धाम रोड प्रोजेक्ट भी तैयार किया गया है. बुद्ध सर्किट को भी सरकार ने और मजबूत बनाया है. इसके अलावा पीएम मोदी ने कुछ दिन पहले ही कायाकल्प के बाद केदारधाम का लोकार्पण किया और बद्रीधाम का भी कायाकल्प किया जा चुका है. यही नहीं जम्मू कश्मीर में सरकार करीब 50 हजार मंदिरों का जीर्णोद्धार कर रही है.
भारत की GDPमें तीर्थाटन का शेयर 2.32 फीसदी है. भारत के अलावा भी दुनिया के बहुत से देशों में धर्म की इकोनॉमिक्स देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देती है. सऊदी अरब में हर साल होने वाला हज भी आस्था के अर्थशास्त्र का एक बेहतरीन नमूना है. अमेरिका जैसे देश में भी आस्था की इकोनॉमिक्स की बड़ी हिस्सेदारी है.
अमेरिका में आस्था का अर्थशास्त्र
अर्थव्यवस्था में कुल हिस्सेदारी रु 91 लाख करोड़
धार्मिक जलसे रु 32 लाख करोड़
धार्मिक संस्थाएं रु 23 लाख करोड़
धर्म से जुड़े व्यवसाय रु 33 लाख
ये भी पढ़ें