पटना: बिहार में बाढ़ की विभीषिका के बीच राजनीति भी तेज़ होती जा रही है. कोरोना महामारी के बीच आई बाढ़ की इस त्रासदी ने चुनावी साल में विपक्षी दलों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करने का मौक़ा दे दिया है.


अपनी नई पार्टी बनाकर बिहार में अपना आधार बनाने में लगे जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने बाढ़ को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है. पूर्वी चंपारण के अलग-अलग बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा करने के बाद यादव ने कहा है कि बिहार की बाढ़ नेताओं की नाजायज़ औलाद है. यादव ने कहा कि हर साल आने वाली बाढ़ की त्रासदी का असली कारण नेताओं और अधिकारियों का भ्रष्टाचार है. यादव ने आरोप लगाया कि हर साल की बाढ़ और सिंचाई विभाग नेताओं और अधिकारियों के लिए दुधारू गाय बन कर रह गई है.


पप्पू यादव ने यहां तक कह दिया कि बाढ़ आपदा से ज़्यादा आदमखोर बन गया है जिसके चलते भारी तबाही हो रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि बाढ़ के नाम पर हर साल करोड़ों की लूट की जाती है और ये एक प्राकृतिक नहीं बल्कि राजनीतिक आपदा है.


इस साल अबतक 23 बांध टूट चुके हैं- पप्पू यादव


एनडीए सरकार पर हमला बोलते हुए पप्पू यादव ने कहा कि इस साल अबतक 23 बांध टूट चुके हैं. उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस्तीफ़ा देना चाहिए क्योंकि 15 सालों में वो बाढ़ को रोकने में असफल रहे हैं. यादव ने जेडीयू और बीजेपी के नेताओं पर बाढ़ और कोरोना के दौरान वर्चुअल और डिजिटल रैलियों में व्यस्त रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर कोरोना का डर नहीं होता तो एनडीए के नेताओं ने महामारी को भी पिकनिक बना दिया होता. उन्होंने मांग की कि पिछले 30-40 सालों में राज्य में जितने भी लोक निर्माण और सिंचाई मंत्री हुए हैं उनकी सम्पति की जांच होनी चाहिए.