PFI Controversies: नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) देशभर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) संगठन से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. आज 15 राज्यों में एनआईए ने पीएफआई कार्यकर्ताओं के ठिकानों पर छापे मारे हैं. वहीं, पीएफाई से जुड़े सौ से ज्यादा लोग गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं. पीएफआई की स्थापना 2006 में केरल (Kerala) में की गई थी. इस संगठन का मुख्यालय दिल्ली (Delhi) में है. पीएफआई देश के अल्पसंख्यकों (Minorities) के सशक्तिकरण (Empowerment) के लिए नव सामाजिक आंदोलन चलाने की कोशिश करने का दावा करता है.
इस संगठन पर कई बार अशांति फैलाने और सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के आरोप लगे हैं. कई घटनाओं के पीछे पीएफआई की भूमिका बताई जाती है. पीएफआई से जुड़े कई लोगों के खिलाफ ईडी की भी जांच चल रही है. देश में लंबे समय से एक धड़ा पीएफआई पर बैन लगाने की मांग कर रहा है. आइये जानते हैं पीएफआई का नाम कब-कब विवादों से जुड़ा?
इन विवादों में आया पीएफआई का नाम
देश में नागरिकता संसोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में इस संगठन का नाम सामने आया था. हाल में एनआईए ने पटना के फुलवारी शरीफ में छापेमारी कर 'गजवा-ए-हिंद' साजिश का भंडाफोड़ किया था, उसके पीछे भी पीएफआई की भूमिका बताई जा रही थी. तेलंगाना के निजामाबाद में कराटे ट्रेनिंग सेंटर के नाम पर लोगों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था, जिसमें पीएफआई की भूमिका बताई गई. एनआईए ने इसे लेकर रेड मारी थी. कर्नाटक के हिजाब विवाद को लेकर भी पीएफआई पर आरोप लगे हैं. जुलाई में कर्नाटक में बीजेपी के नेता प्रवीण नेत्तारू की हत्या कर दी गई थी. नेत्तारू की हत्या के पीछे भी पीएफआई कनेक्शन बताया जाता है.
पीएफआई का दरअसल विवादों से पुराना नाता है. 2010 में पीएफआई का कनेक्शन भारत में प्रतिबंधित किए जा चुके स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) संगठन से होने के आरोप लगे थे. सिमी भारत में आतंकी संगठन घोषित है. एक समय पीएफआई के ज्यादातर नेता इसी संगठन में शामिल थे. तत्कालीन पीएफआई अध्यक्ष अब्दुल रहमान कभी सिमी के राष्ट्रीय सचिव थे और पीएफआई के राज्य सचिव अब्दुल हमीद भी सिमी के सचिव रह चुके थे. हालांकि पीएफआई, सिमी से कोई संबंध होने से इनकार करता रहा है.
2012 के मामलों में पीएफआई का कनेक्शन
2012 में केरल सरकार ने पीएफआई पर हत्या के 27 मामलों को लेकर आरोप लगाया था. केरल सरकार ने हाई कोर्ट में इसकी जानकारी दी थी और कहा था कि ज्यादातर मामलों में आरएसएस और सीपीएम के कार्यकर्ताओं की हत्याएं की गईं. 2012 में ही जुलाई में पीएफआई पर कन्नूर के एक छात्र सचिन गोपाल और चेगन्नूर के एबीवीपी नेता विशाल की चाकू मारकर हत्या करने का आरोप लगा था. 2012 में ही केरल सरकार ने हाई कोर्ट में दावा किया था कि पीएफआई सिमी का नया रूप है.
असम दंगों के पीछे आया नाम
जुलाई 2012 में असम दंगों के पीछे भी पीएफआई का नाम आया था. दंगे बोडो समुदाय और मुस्लिम समुदाय के बीच भड़के थे. इनके चलते दक्षिण भारत से उत्तर भारतीयों के खदेड़ने की कथित मुहिम शुरू की गई थी. पीएफआई और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी यानी हूजी संगठन पर अशांति फैलाने वाले संदेश भेजने के आरोप लगे थे. 2012 में 13 अगस्त के दिन छह करोड़ से ज्यादा भड़काऊं एसएमएस भेजे गए थे, जिनमें 30 फीसदी पाकिस्तान से भेजे गए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय बेंगलुरु से तीन दिन में 30 हजार से ज्यादा उत्तर भारतीयों को वापस लौटना पड़ा था.
कन्नूर में देसी बम बनाने का मामला
2013 में केरल पुलिस ने कन्नूर में एक जगह छापा मारकर 21 लोगों गिरफ्तार किया था. पुलिस को मौके से देसी बम, तलवार, बम बनाने का सामान और कुछ साहित्य बरामद हुआ था. गिरफ्तार किए गए लोग पीएफआई के कार्यकर्ता बताए गए थे. इस केस की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी. इसके अलावा भी अशांति की कई घटनाओं के पीछे पीएफआई का नाम सामने आ चुका है.
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