(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पीएम मोदी के कैबिनेट विस्तार से बंगाल बीजेपी में छिड़ा विवाद! कई नेताओं ने दिया इस्तीफा
टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए नेता राजीव बनर्जी ने अपने सहयोगी शुभेंदु अधिकारी को ममता बनर्जी पर हमला नहीं करने की सलाह देते हुए दावा किया था कि उनके पास लोगों का जनादेश है.
कोलकाता: साल 2014 में पद संभालने के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े कैबिनेट फेरबदल के बाद बंगाल के कई बीजेपी नेताओं ने इस्तीफा दिया है. जिसने बंगाल में भगवा पार्टी के बीच संघर्ष के गंभीर सवाल उठाए हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस्तीफा देने या सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाले अपने कई सहयोगियों पर निशाना साधा है. उनमें से उल्लेखनीय राजीव बनर्जी, पूर्व बीजेपी नेता सौमित्र खान और बाबुल सुप्रियो हैं.
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है, 'पेट्रोल की कीमत 100 रुपये छूने के बारे में उनके मुंह से कोई शब्द नहीं निकला. वह एक अलग राज्य में सत्ता पर कब्जा करने के लिए अपनी पार्टी के समीकरण में व्यस्त है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का परिवर्तन साबित करता है कि वे कोविड की स्थिति को रोकने में विफल रहे. मेरी जिज्ञासा है कि शुभेंदु अधिकारी के प्रभाव से तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के जरिए भेजे गए पत्र का उत्तर कौन पढ़ेगा?'
सीएम ममता पर हमला न करने की सलाह
टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए नेता राजीव बनर्जी ने अपने सहयोगी शुभेंदु अधिकारी को ममता बनर्जी पर हमला नहीं करने की सलाह देते हुए दावा किया था कि उनके पास लोगों का जनादेश है. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की आलोचना करने के बजाय उन्हें पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतों से प्रभावित लोगों के पक्ष में रहने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने ट्वीट किया, 'अब एक ही लक्ष्य होना चाहिए कि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम कम करें ताकि आम आदमी के दुख को कम किया जा सके. बेवजह मुख्यमंत्री पर हमला न किया जाए जिसके नेतृत्व में बंगाल की जनता ने उनके उम्मीदवारों को 213 सीटों पर वोट दिया है.'
वहीं दिलीप घोष ने राजीव बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, 'कुछ लोग तय नहीं कर सकते कि क्या करना है और कहां जाना है. यह उनकी निजी समस्या है. पार्टी को ऐसी कोई समस्या नहीं है. वह पार्टी के कोई पदधारी भी नहीं हैं. जो सब बाहर से आए हैं, उन्हें अभी इसका आभास नहीं हुआ है. उनमें अपनी समस्या को सही जगह कहने का धैर्य नहीं है. जिस पार्टी में उन्होंने काम किया है, उसमें यह आम बात है. वहां हर व्यक्ति एक अलग पार्टी है. यहां हमारी एक ही पार्टी है.'
TMC से बीजेपी में शामिल हुए राजीव बनर्जी के शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ ट्वीट पर कुणाल ने कहा, 'चुनाव से पहले जिन्होंने टीएमसी छोड़ी है, उन्होंने गलती की है. उनके बिना टीएमसी जीत गई है. वहीं राजीव सच्ची बातें कह रहे हैं. ममता बनर्जी के लिए टीएमसी ने 213 सीटें जीतीं. यदि शुभेंदु अधिकारी व्यक्तिगत रूप से हमला करते हैं, तो उनकी पार्टी में अच्छे वक्ता भी होते हैं.'
सौमित्र खान ने इस्तीफा देकर वापस लिया
वहीं पश्चिम बंगाल बीजेपी युवा शाखा के अध्यक्ष सौमित्र खान ने भी अपना इस्तीफा दिया था. उन्होंने मंत्री पद के लिए अपग्रेड नहीं किए जाने के विरोध में इस्तीफा दिया है. दरअसल, उनके खिलाफ 35 से अधिक आपराधिक मामले हैं. वहीं पार्टी ने उनके संसदीय क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया है. दिलचस्प बात यह है कि वह सुजाता मंडल के पति भी हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी और पति से अलग होने के बाद आरामबाग से टीएमसी के टिकट पर जीत हासिल की थी. हालांकि शाम होते-होते सौमित्र खान ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया. उन्होंने कहा, 'हमारे बीजेपी नेता बीएल संतोष जी, अमित शाह जी और तेजस्वी सूर्य जी के निर्देशन में मैं सम्मान के रूप में अपना इस्तीफा वापस लेता हूं.'
बाबुल सुप्रियो का इस्तीफा
इसके अलावा बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो ने कैबिनेट विस्तार से पहले इस्तीफा दिया और कहा, 'मुझे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया.' बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो ने कैबिनेट विस्तार से पहले फेसबुक पोस्ट में कहा कि वे इस बात से बेहद खुश हैं कि कार्यकाल में उन पर भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं लगा. इसके साथ ही उन्होनें कहा, 'मैं निश्चित रूप से अपने लिए दुखी हूं.' बाबुल सुप्रियो ने फेसबुक पर लिखा, 'हां, जब धुआं होता है तो कहीं आग जरूर लगती है. आज दोस्तों का फोन कॉल नहीं ले पा रहा हूं, इसलिए मैंने सोचा कि इसे खुद ही बता दूं. हां, मैंने काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स से इस्तीफा दे दिया है (मुझे पहले इस्तीफा देने के लिए कहा गया था, लेकिन यह कहने का सही तरीका नहीं हो सकता).'
जिस तरह कैबिनेट विस्तार की घोषणा के बाद बीजेपी नेताओ ने दामन छोड़ा और नाराजगी जताई उस पर TMC ने टिपणी करते हुए कहा, 'जो हमने चुनाव से पहले उनके बारे में बताया था, वही अब उनकी पार्टी के सदस्य कह रहे हैं. मुख्य रूप से राजीव ने शुभेंदु के बारे में जो कहा है, हमने बताया कि पहले वह ईडी, सीबीआई से खुद को बचाने के लिए बीजेपी में शामिल हुए थे.'
बंगाल में चुनाव के बाद से ही बीजेपी में तनाव का माहौल है. फिर चाहे बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ लगे पोस्टर हो या फिर मुकुल रॉय की TMC में घर वापसी हो. कोलकाता में बीजेपी के दफ्तर से लेकर एयरपोर्ट तक पार्टी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ पोस्टर लगाए गए. इनमें कैलाश के लिए गो बैक-टीएमसी सेटिंग मास्टर लिखा गया. इनमें कैलाश के अलावा मुकुल रॉय की भी तस्वीर थी.
सक्रिय नहीं
दो मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद से ही कैलाश बंगाल में उतने सक्रिय नजर नहीं आए हैं. इस दौरान वे एक बार भी कोलकाता नहीं आए हैं. चुनाव से पहले पार्टी के तमाम बैठकों में शामिल रहने वाले कैलाश ने उसके बाद किसी भी बैठक में वर्चुअली भी हिस्सा नहीं लिया है. इसके अलावा वे खासकर बंगाल चुनाव और उसके नतीजों पर पत्रकारों से भी ज्यादा बात नहीं कर रहे हैं.
कैलाश विजयवर्गीय के करीबी माने जाने वाले मुकुल रॉय ने 11 जून को बीजेपी छोड़कर एक बार फिर टीएमसी में वापसी की थी. 2017 में ममता का साथ छोड़कर मुकुल रॉय ने जिन उम्मीदों के साथ बीजेपी का दामन थामा था, वह चार साल के बाद भी पूरा नहीं हो सका. यही वजह है कि वो फिर से घर वापसी कर गए हैं.
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