पंजाब कांग्रेस में घमासान जारी, सिद्धू ने सोनिया गांधी को 13 मुद्दों पर लिखी चिट्ठी, मिलने का वक्त भी मांगा
चिट्ठी में सिद्धू ने बेअदबी, ड्रग्स, शराब माफिया समेत 13 मुद्दों का जिक्र कर सोनिया से कहा है कि पंजाह सरकार से इन मुद्दों पर काम करने को कहें.
नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस का झगड़ा अभी भी सुलझता नजर नहीं आ रहा है. ताजा मामला ये है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में सिद्धू ने बेअदबी, ड्रग्स, शराब माफिया समेत 13 मुद्दों का जिक्र कर सोनिया से कहा है कि पंजाह सरकार से इन मुद्दों पर काम करने को कहें. इन 13 मुद्दों पर चर्चा के लिए सिद्धू ने सोनिया गांधी से समय भी मांगा है. चिट्ठी में सिद्धू ने खुद को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बताते हुए कहा कि उनके पास कार्यपालिका (सरकार) पर नजर रखने की जिम्मेदारी है.
सिद्धू ने कहा है कि सरकार में दलित समाज की आवाज मजबूत करने के लिए एक दलित को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन इसके बावजूद राज्य में समान रूप से इन्हें जगह नहीं मिली. सिद्धू ने मांग की है कि चन्नी कैबिनेट में कम से एक मजहबी समाज के सदस्य को मंत्री बनाया जाना चाहिए इसके अलावा दोआबा इलाके से और पिछड़े वर्ग से दो मंत्री बनाए जाने चाहिए. सोनिया को लिखी सिद्धू की चिट्ठी से साफ है कि राहुल गांधी से मिलने के बावजूद उनकी नाराजगी खत्म नहीं हुई है और इसीलिए अब उन्होंने नया पैंतरा अपनाया है.
राहुल से मिले सिद्धू, इस्तीफे को लेकर लिया ये फैसला
राहुल गांधी से दिल्ली में उनके आवास पर शुक्रवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद सिद्धू ने फैसला किया था कि वह पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे. उन्होंने कहा, ''जो भी शिकायतें थी, वो मैंने राहुल गांधी के साथ शेयर की. वो सब सुलझा ली गई है.'' जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया है तो सिद्धू ने कहा कि मैं जो भी कर रहा हूं सब आपके सामने है.
राहुल गांधी के साथ बैठक के दौरान पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत भी मौजूद रहे. हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने (सिद्धू) राहुल गांधी के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया. सिद्धू ने राहुल गांधी को विश्वास दिलाया कि वह इस्तीफा वापस लेंगे. वह पीसीसी अध्यक्ष के रूप में फिर से काम शुरू करेंगे.
बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू को कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाराजगी के बावजूद कांग्रेस हाईकमान ने इसी साल 18 जुलाई को प्रदेश पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया था. हालांकि विवाद नहीं थमा. इसके बाद 18 सितंबर को अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 20 सितंबर को चरणजीत सिंह चन्नी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. सिद्धू ने चन्नी सरकार के कुछ फैसलों से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया.
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