Desh Ka Mentor Program: दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने हाल ही में सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के लिये ‘देश के मेंटोर’ (Desh Ka Mentor) नाम से एक कार्यक्रम (Program) की शुरूआत की थी, जिसे लेकर अब विवाद (Conflict) शुरू हो गया है. दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने दिल्ली (Delhi) सरकार को इस बाबत एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें ये कहा गया है कि इस कार्यक्रम पर फ़िलहाल रोक लगा देनी चाहिये. NCPCR का कहना है कि उन्हें इस कार्यक्रम को लेकर एक शिकायत मिली थी, जिसमें ये कहा गया है कि इस कार्यक्रम से बच्चों के साथ शोषण भी हो सकता है, क्योंकि बच्चे जिसको अपना मेंटर (Mentor) बना रहे हैं, वह एक अनजाना शख्स होगा.
एनसीपीसीआर ऐसे में इसे शुरू करने से पहले इसकी पुख़्ता तौर पर जांच ज़रूर कर लेनी चाहिये कि किसे मेंटोर बनाया जा रहा है. इस शिकायत पर NCPCR ने दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय से जानकारी भी मांगी थी लेकिन NCPCR के मुताबिक जो जवाब उन्हें मिला है उससे आयोग संतुष्ट नहीं है.
वहीं, इस पूरे विवाद पर आज दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें उन्होंने बीजेपी पर दिल्ली सरकार के इस ‘देश के मेंटोर’ कार्यक्रम को रोकने के आरोप लगाये. मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार ने देश के पढ़े-लिखे युवाओं को शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए ‘देश के मेंटर’ प्रोग्राम की शुरुआत की जिसकी सफलता से घबराकर बीजेपी ने साजिश कर इसे रुकवाने का प्रयास किया है.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि बीजेपी ने केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले NCPCR से ये आदेश मिला है कि दिल्ली सरकार इस कार्यक्रम को बंद कर दे क्योंकि इस कार्यक्रम से बच्चों की सुरक्षा को खतरा है. उन्होंने आरोप लगाते हुये कहा कि इसके लिए बीजेपी ने साजिश रचते हुए छतीसगढ़ के अपने एक कार्यकर्त्ता से ये शिकायत NCPCR में डलवाई है.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार शिक्षा के क्षेत्र में लगातार नए-नए इनोवेशन को अपना रही है. देश के मेंटोर भी ऐसा ही एक इनोवेटीव प्रोग्राम है जहां देश के वेल-एजुकेटेड युवा वॉलिंटियरिंग के माध्यम से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब घरों के बच्चों को उनकी पढ़ाई व करियर के लिए मेंटरिंग करने का मौका दिया जाता है.
मनीष सिसोदिया ने बताया कि सरकारी स्कूलों में बहुत से बच्चे ऐसे है जिनके पेरेंट्स ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है और वो पढ़ाई के लिए अपने बच्चों को सही से गाइड नहीं कर पाते. इसलिए दिल्ली सरकार ने देश के पढ़े-लिखे युवाओं से आह्वान किया कि वो आगे आकर आए और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे जिन्हें मेंटरिंग की जरुरत है उन्हें हफ्ते में केवल 10 मिनट फ़ोन कॉल के माध्यम से देकर उनकी मदद करें.
शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार के इस आह्वान पर 44,000 युवा इस कार्यक्रम से जुड़े. इनमें आईआईटी और आईआईएम से 1000 से ज्यादा युवा, ग्रेजुएशन से लेकर पीएचडी कर रहे 15,600 युवा और 7,500 वो युवा शामिल है जो पढ़ाई पूरी कर किसी अच्छी जगह जॉब कर रहे है. इन युवाओं ने 1 लाख 76 हज़ार बच्चों की मेंटरिंग करना शुरू भी कर दिया है और ये आज एक सफल कार्यक्रम है.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार ने बच्चों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा है. इसके लिये मेल मेंटर को मेल मेंटी और फीमेल मेंटर को फीमेल मेंटी दिए गए है. मेंटर का साइकोमेट्रिक टेस्ट भी लिया गया. जो मेंटर इस टेस्ट में पास नहीं हुए उन्हें मेंटी नहीं दिए गए. साथ ही मेंटी के पेरेंट्स से भी उनके बच्चों को इस कार्यक्रम में शामिल करने के लिए अनुमति मांगी गयी है.
मनीष सिसोदिया ने बताया कि NCPCR ने कहा कि इससे चाइल्ड ट्रैफिकिंग और साइबर क्राइम हो सकता है. जिस पर मनीष ने कहा इसका क्या सीधा मतलब ये निकाला जाए कि अगर कोई आईआईटी से निकला युवा गरीब घर के बच्चों को ये समझने में गाइड करे कि वह आईआईटी में कैसे जा सकते है तो बीजेपी इस मदद को चाइल्ड ट्रैफिकिंग और साइबर क्राइम से जोड़ेगी.
दिल्ली सरकार के ‘देश के मेंटोर कार्यक्रम’ पर NCPCR द्वारा उठाये गये सवालों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर बीजेपी पर इसे रोकने का आरोप लगाया. अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा, ''अगर देश में कोई अच्छा काम हो रहा है तो उसे रोकने की बजाय पूरे देश में लागू करना चाहिए. केंद्र की भाजपा सरकार से निवेदन है कि इसमें राजनीति ना करें. ये गरीब बच्चों के भविष्य का सवाल है. इस कार्यक्रम के ज़रिए शिक्षा एक जनांदोलन बन रहा है.''
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