JNU Row: जेएनयू में विवादित जातिसूचक पोस्टर पर गीतकार मनोज मुन्तशिर बोले- वामपंथी सोच के लोग देश को खोखला करना चाहते हैं
JNU Controversy: गीतकार मनोज मुन्तशिर ने JNU विवाद की तुलना हिटलर के शासन काल से कर डाली. उन्होंने कहा कि हमारी पहचान पर संकट है. वामपंथी सोच के लोग देश को खोखला करने का प्रयास कर रहे हैं.
Delhi News: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कई दीवारों पर जातिसूचक नारे लिखे जाने का विवाद बढ़ता जा रहा है. देश भर से इस मामले पर प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए JNU प्रशासन ने इस पर संज्ञान ले लिया है. गीतकार मनोज मुन्तशिर शुक्ला ने इसको सनातन का अपमान बताया है.
टीवी चैनल टाइम्स नाउ नवभारत से बात करते हुए गीतकार मनोज मुन्तशिर शुक्ला ने JNU विवाद की तुलना हिटलर के शासन काल से कर डाली. उन्होंने कहा कि 1940 के आस पास जर्मनी में यहूदियों की हालत क्या थी, किस तरह से यहूदियों को दबाया जा रहा था. आज हालत वैसी ही है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बैठे वामपंथी सोच के लोग देश को खोखला करने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे सोच वालों से मुकाबला करने की जरूरत है.
सवर्णों को किया जा रहा अपमानित : मनोज मुन्तशिर
चैनल से बातचीत के दौरान मनोज मुन्तशिर ने कहा कि सवर्णों (ब्राह्मणों) को बार-बार अपमानित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी पहचान पर संकट है. हमारे अस्तिव पर संकट है. वामपंथी चाहते हैं कि हम चुपचाप सब कुछ सहते रहें. ऐसा नहीं हो सकता. उन्होंने आगे कहा कि तथाकथित बुद्धजीवी सवर्णों और ब्राह्मणों की बात नहीं करना चाहते.
उन्होंने कहा कि ये वामपंथी विचारधारा के लोग एक तरह तो ढोंग करते हैं कि हम जात-पात में विश्वास नहीं रखते. दूसरी तरफ़ जाति के आधार पर ही टारगेट करते हैं. इस मामले पर ट्वीट करते हुए गीतकार ने लिखा कि ये है JNU University का सनातन विरोधी और भारत विरोधी चेहरा. दुख ये है, कि इस बारे में कोई बात नहीं कर रहा. एक जाति विशेष को टारगेट किया जाये और वो जाति अपने पक्ष के कुछ बोल दे, तो हम जातिवादी हो गए. मैं इस कायरता भरी चुप्पी से इनकार करता हूं.
दीवारों पर लिखे गए ऐसे नारे
सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरों में दीवारों पर कुछ ऐसे नारे लिखे दिखाई दे रहे हैं, ‘ब्राह्मण कैंपस छोड़ो’, ‘खून बहेगा’, ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ और ‘ब्राह्मण-बनिया, हम तुम्हारे लिए आ रहे हैं! हम बदला लेंगे.
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