नई दिल्ली: लड़कियों को पहले भ्रूण हत्या और फिर उसे चूल्हे से दूर करने के लिए शुरू किया गया 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' कैंपेन पर पुरुषवादी मानसिकता हावी होता दिख रहा है. हरियाणा सरकार की एक कथित विज्ञापन की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही है. विज्ञापन की भाषा और डिजाइन पर गौर करें तो शायद यह बताने की कोशिश की गई है कि बेटियों का असल काम घर का चूल्हा चौका करना ही है.


विज्ञापन पर लिखा गया है, ''कैसे खाओगे उनके हाथ की रोटियां जब पैदा ही नहीं होने दोगे बेटियां.'' विज्ञापन में एक लड़की को रोटी बनाते हुए पोट्रेट किया गया है. विज्ञापन की तस्वीर में यह स्पष्ट नहीं है कि किस एजेंसी के द्वारा विज्ञापन लगाए गये हैं.


सामाजिक कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने विज्ञापन की तस्वीर शेयर करते हुए कहा कि यही है हरियाणा का 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' मॉडल. हमें इसी पितृसत्तात्मक विचारधारा और मानसिकता से लड़ना है. उन्होंने अपने ट्वीट में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी को भी टैग किया. उनके ट्वीट को कई सोशल मीडिया यूजर्स ने शेयर किया है.





आपको बता दें कि लैंगिक असमानता को रोकने और लड़कियों को स्कूलों तक पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा से 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना की शुरुआत की थी. हरियाणा में लैंगिक असमानता बड़ी समस्या रही है. यही वजह है कि हरियाणा सरकार जोर-शोर से 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' कैंपन को प्रचारित करती रही है.


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