Kiren Rijiju On Collegium System: केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल करने के बाद एक बार फिर विवादों में घिरते हुए नजर आ रहे हैं. उन्होंने अहमदाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि देश के लोग जजों को नियुक्त करने के लिए बने कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं हैं. जज आधा समय नियुक्तियों की पेचिदगियों में ही व्यस्त रहते हैं, इसकी वजह से न्याय देने की उनकी जो मुख्य जिम्मेदारी है उस पर असर पड़ता है.
अब सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी लोकुर ने न्यायिक नियुक्तियों को लेकर रिजिजू के बयानों पर कड़ा रुख अपनाया है.
पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि जहां तक न्यायिक नियुक्तियों (Judicial Appointments) पर फैसला करने में जजों के अधिक समय बिताने का सवाल है तो शीशे के घरों में रहने वाले लोगों को दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए. साथ ही उन्होंने किरेन रिजिजू के ऐसे सवाल करने पर आश्चर्य भी जताया है. उन्होंने कहा रिजिजू को नहीं पता कि वह क्या बात कर रहे हैं.
'लोग कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं'
दरअसल, किरेन रिजिजू इससे पहले भी कॉलेजियम सिस्टम पर टिप्पणी करके विवादों में आ चुके हैं. पिछले महीने उदयपुर में एक सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा था कि उच्च न्यायपालिका में नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. इस बार उन्होंने कहा कि है लोग कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं हैं. जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर एक सवाल के जवाब में रिजिजू ने कहा कि 1993 तक भारत में जजों को भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से कानून मंत्रालय द्वारा नियुक्त किया जाता था. उस समय हमारे पास बहुत प्रतिष्ठित जज थे.
'न्यायपालिका को सुधारने का उपाय नहीं'
किरेन रिजिजू यहीं नहीं रुके थे. उन्होंने आगे कहा, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका ये भारत में लोकतंत्र के तीन स्तंभ हैं. कार्यपालिका और विधायिका अपने कर्तव्यों में बंधे हैं और न्यायपालिका उन्हें सुधारती है, लेकिन जब न्यायपालिका भटक जाती है तो उन्हें सुधारने का कोई उपाय नहीं है.
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