Army Controversy: 1971 में पाकिस्तान की हार की प्रतीक तस्वीर को सेना प्रमुख के कमरे के पास स्थित बैठक कक्ष से हटाने को लेकर विवाद उठ गया है. ये तस्वीर उस ऐतिहासिक युद्ध की याद दिलाती है जिसने भारत को विजय दिलाई और बांग्लादेश की स्वतंत्रता सुनिश्चित की. इस कदम को लेकर सेना के अधिकारी और विपक्षी नेताओं के बीच प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.


सेना के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 1971 की हार की ये तस्वीर अब मानेकशॉ सेंटर में लगाई जाएगी. ये सेंटर सैम मानेकशॉ के नाम पर है जो 1971 युद्ध के प्रमुख नायक रहे और भारतीय सेना के एक महान नेता माने जाते हैं. सेना का कहना है कि ये फैसला पहले विजय दिवस के अवसर पर लिया गया था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस ऐतिहासिक क्षण से रूबरू हो सकें.






 


विपक्ष और पूर्व सैन्य अधिकारियों के सवाल


हालांकि इस फैसले पर विपक्ष और सेना के पूर्व अधिकारियों ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि इस महत्वपूर्ण तस्वीर को हटाना एक विवादास्पद कदम है और ये भारतीय सेना की गौरवपूर्ण धरोहर को कमजोर करने जैसा हो सकता है. उनका मानना है कि ये कदम इतिहास से मुंह मोड़ने जैसा प्रतीत हो रहा है.


सेना ने क्या दिया जवाब?


सेना का ये भी कहना है कि मानेकशॉ सेंटर में तस्वीर को लगाने से ज्यादा से ज्यादा लोग इसे देख सकेंगे. इस सेंटर में आने वाले लोग भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान के बारे में जान सकेंगे. सेना का दावा है कि इस कदम से युद्ध की महत्वपूर्ण तस्वीर को एक व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंचाने का अवसर मिलेगा.


विजय दिवस के दिन लिया गया था ये फैसला


ये फैसला विजय दिवस के उपलक्ष्य में लिया गया था. सेना का कहना है कि इस फैसले के माध्यम से सैम मानेकशॉ के योगदान को और ज्यादा सम्मान मिलेगा और लोग इस युद्ध के महत्व को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे.


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