Covid-19 की दवा Molnupiravir को इलाज के लिए नहीं किया गया है शामिल, ये है वजह
Molnupiravir Drug In Covid Treatment Guidelines: आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल और नेशनल कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य प्रो बलराम भार्गव के मुताबिक, इस दवा के फायदे से ज्यादा नुकसान है.
Molnupiravir Drug In Covid Treatment Guidelines: भारत में मोल्नुपिरवीर (Molnupiravir) एंटीवायरल ड्रग जिसे कोरोना (Corona) के इलाज के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है उसे कोरोना के इलाज में अभी तक नेशनल कोरोना टास्क फोर्स ने क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में शामिल नहीं किया है. मोल्नुपिरवीर (Molnupiravir) कोरोना के इलाज के लिए निर्धारित की गई दवाओं की सूची में नहीं है.
इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि इससे कोई फायदा नहीं, बल्कि कुछ आयु वर्ग में इसके इस्तेमाल से नुकसान होगा. खासकर युवाओं और गर्भवती महिलाओं में इसलिए इसे इलाज में शामिल नहीं किया गया है. वहीं, नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन के सदस्य इसके कुछ खास आयु वर्ग खासकर बुजुर्गों में इस्तेमाल की बात कह रहे हैं.
आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल और नेशनल कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य प्रो बलराम भार्गव के मुताबिक, इस दवा के फायदे से ज्यादा नुकसान है. ये कुछ आयु वर्ग में कोई फायदा देने की बजाए नुकसान कर सकती है. उनके मुताबिक, नेशनल टास्क फोर्स की बैठक में विशेषज्ञों के बीच व्यापक बहस और चर्चा के साथ समीक्षा की गई. तीन ट्रायल से जो भी डेटा उपलब्ध हुआ, उस पर टास्क फोर्स के सदस्यों ने की राय थी-
1. मोल्नुपिरवीर के कुछ जोखिम हैं, जो इसके उपयोग में सावधानी बरतते हैं.
2. बैठक में उपस्थित विशेषज्ञों का मत था कि मोल्नुपिरवीर का बड़े पैमाने पर और तर्कहीन उपयोग हो रहा है.
3. इसके उपयोग को ज्ञात और अज्ञात हानियों के रूप में प्रतिबंधित करने के प्रयास किए जाने चाहिए, जो इसके दावा किए गए लाभों से कहीं ज्यादा हैं.
4. वर्तमान में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर समीक्षा की गई और सदस्यों ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की कि नेशनल ट्रीटमेंट गाइडलाइन में मोल्नुपिरवीर को शामिल करने के योग्य नहीं है, लेकिन आगे जो एविडेंस आएंगे उसकी लगातार समीक्षा की जाएगी.
5. डायबिटीज में लाभ का कोई प्रमाण नहीं था और जो पहले कोविड-19 से संक्रमित थे या जिन्हें टीका लगाया गया था उनमें कोई लाभ नहीं दिखा.
नीति आयोग के सदस्य और कोविड से जुड़ी कई कमिटी में सदस्य डॉ वी के पॉल के मुताबिक, ये निर्णय व्यापक चर्चा और डेटा को देखकर लिया गया है. इस दवा के फायदे और नुकसान दोनों को देखा गया, जिसके बाद इसे कोरोना के नेशनल ट्रीटमेंट गाइडलाइन में शामिल नहीं करने का फैसला किया गया.
गर्भवती महिलाओं को नहीं दे सकते
डॉ पॉल के मुताबिक, इस दवा का फायदा जो बताया गया है वो ये है कि संक्रमण गंभीर नहीं होने देता है. वहीं, इस दवा को 18 साल से कम उम्र के लोगों को नहीं दे सकते हैं ना ही गर्भवती महिलाओं और युवाओं को क्योंकि इसे नुकसान हो सकता है.
बुजुर्गों को शुरुआती दौर में दे सकते हैं
वहीं, NTAGI यानी नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन के सदस्य डॉ एन के अरोरा के मुताबिक, इस दवा को बुजुर्गों को शुरुआती दौर में दिया जा सकता है, ताकि संक्रमण गंभीर ना हो. हालांकि, वो भी इसे युवाओं और गर्भवती महिलाओं को ना देने की बात कह रहे हैं.
कई देशों में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी
इस एंटीवायरल ड्रग को दुनिया के कुछ देशों ने कोरोना के इलाज के लिए इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन दिया है, लेकिन ये उनके कोविड-19 नेशनल क्लीनिकल गाइडलाइन में शामिल नहीं है जैसे- यूके, कनाडा, डेनमार्क, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया. वहीं, अमेरिका के क्लीनिकल गाइडलाइन में शामिल है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ कुछ लोगों के लिए.
रेमडेसिवीर, प्लाज्मा थेरेपी भी है उदाहरण
ऐसा पहली बार नहीं की किसी दवा को ड्रग कंट्रोलर ने कोविड के इलाज के लिए मंजूरी दी हो, उसे नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट गाइडलाइन में शामिल नहीं किया गया. इसे पहले रेमडेसिवीर, प्लाज्मा थेरेपी इसके उदाहरण हैं, जिन्हें शामिल नहीं किया गया. फिलहाल भारत में मोल्नुपिरवीर को नेशनल कोविड टास्क फोर्स ने अपने क्लीनिकल मैनेजमेंट गाइडलाइन में शामिल नहीं किया है, लेकिन अगर इसके आगे और डेटा आते हैं, तो इसे शामिल करने की संभावना है.
28 दिसंबर को DCGI से मिली थी मंजूरी
मोल्नुपिरवीर एक एंटीवायरल है, जो वायरल मुतागेनिसिस द्वारा SARS-CoV-2 प्रतिकृति को रोकता है. कोविड-19 में आपातकालीन चिकित्सा आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने 27 दिसंबर 2021 को हुई अपनी बैठक में मोल्नुपिरवीर 200mg कैप्सूल के निर्माण और मार्केटिंग की अनुमति देने की सिफारिश की थी. सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने सिफारिश में इसकी 800mg प्रतिदिन दो बार 5 दिनों के लिए किया था, जिसके बाद ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 28 दिसंबर को इसको मंजूरी दे दी थी.
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