मुंबई में तैयार है कोरोना बस, एक्स-रे से लेकर स्वाब सैंपल, सब एक ही गाड़ी में
मुंबई के जाने-माने सर्जन डॉक्टर मुफ़्फ़ी लकड़ावाला के नेतृत्व में इस बस में एक्स-रे स्वेप और ब्लड टेस्ट की प्रक्रिया चल रही है. कैसे काम करती है इस बस की तकनीक और क्या प्लानिंग है मुंबई में कोरोना के खिलाफ इस बस के इस्तेमाल को लेकर पढ़िए ये रिपोर्ट.
मुंबई: कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए तकनीक का इस्तेमाल जोरो से किया जा रहा है. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में टेस्टिंग की प्रक्रिया देश में सबसे ज्यादा चल रही है इसी कड़ी में एक नई बस शुरू की गई है जिसमें आधुनिकतम तकनीक की मशीनें लगाई गई है. मुंबई में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं महाराष्ट्र 10 हज़ार का आंकड़ा छू रहा है. ऐसे में चुनौती की इस घड़ी में बीमार हो चुके लोगों के इलाज और नए लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए नए-नए तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है इसी कड़ी में एक कोरोना बस बनाई गई है जिसमें आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है मुंबई के एनएससीआई स्टेडियम जहां क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है उसी के बाहर इस कोरोना बस को भी खड़ा रखा गया है जहां लोग अपनी जांच कराने के लिए आ रहे.
इस बस में जब आप प्रवेश लेते हैं तो सबसे पहले आप का एक्सरे किया जाता है. एक्स- रे के लिए एक मशीन के आगे खड़ा होना पड़ता है. जैसे ही एक्स- रे पूरा होता है तो बस के दूसरे पार्ट में बैठे डॉक्टरों की एक टीम के कंप्यूटर पर एक्स-रे का रिजल्ट देखने लगता है जिसकी जांच के बाद तय किया जाता है की क्या संभावना है. पेशेंट में कोरोनावायरस अगर कोई भी संभावना लगती है तो इसके बाद दूसरे स्टेप पर ले जाया जाता है जहां मरीज के गले और मुंह से सैंपल लिया जाता है. जिसके लिए बेहद सुरक्षित ग्लास की एक दीवार की दूसरी तरफ डॉक्टर बैठकर सैंपल को लेता है आखिर में अगर मरीज को कोई मेडिकल हिस्ट्री हो डायबिटीज या कोई और बीमारी हो इस संभावना के बीच ब्लड का सैंपल भी लिया जाता है.
एक्स-रे की रिपोर्ट को दिखाते हुए डॉक्टर लकड़ावाला बता रहे हैं कि कैसे जब एक्स रे की रिपोर्ट आती है तो चेस्ट के आसपास के इलाके में जब वाइट वाइट कुछ दिखाई देता है तो पेशेंट में कोरोना की संभावना रहती है. ऐसी स्थिति में स्टेप पर जाते हैं. वरना सामान्यतः ज्यादातर लोग ऐसे ही आते हैं जिनका एक्स-रे के बाद एक्सरे रिपोर्ट में देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना नेगेटिव है. बहुत कम लोगों को अगले स्टेप तक ले जाया जाता है.
चुनौती की इस घड़ी में डॉक्टर और बीएमसी की टीम पूरी हिम्मत के संग खड़ी है. डॉक्टर लकड़ावाला बता रहे हैं कि कैसे वह अपने घर पर अपनी प्रेगनेंट वाइफ और छोटे बच्चे को वादा करके आए हैं कि वह वापस लौटेंगे. उन्हीं की तरह तमाम मेडिकल टीम और बीएमसी की टीम से जुड़े लोग भी ऐसे ही अपने परिवार से दूर हैं. उम्मीदें की आधुनिकतम तकनीक के जरिए बीएमसी के खिलाफ लड़ाई में मजबूत बढ़त मिलेगी.