नई दिल्ली: योगेंद्र यादव समेत देश के 24 जाने-माने अर्थशास्त्रियों, बुद्धिजीवियों और ऐक्टिविस्टों की सरकार को देश को मौजूदा आर्थिक, स्वास्थ्य और मानवीय संकट के हालातों पर सुझाव देने वाली चिट्ठी पर बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने सवाल खड़ा किया है. प्रवेश वर्मा ने कहा कि फिलहाल किसी की निजी संपत्ति को सरकारी संपत्ति बनाने की सरकार की कोई मंशा नहीं है. प्रवेश वर्मा ने कहा जिन लोगों ने चिट्ठी लिखी है उन लोगों को जमीनी वास्तविकता के बारे में कुछ पता ही नहीं है वह सिर्फ सोशल मीडिया पर इस तरह से चिट्टियां लिखने का काम कर सकते हैं लेकिन लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे नहीं आए.


शुरुआत में जारी हुई चिट्ठी के एक बिंदु पर उठे थे सवाल


इन 24 बुद्धिजीवियों द्वारा शुरुआत में जो चिट्ठी लिखी गई थी उसके पॉइंट 7(1) में कहा गया था देश को मौजूदा आर्थिक, स्वास्थ्य और मानवीय संकट से बाहर निकालने के लिए सभी नागरिकों की चल-अचल निजी संपत्ति मानने के सुझाव पर विचार होना चाहिए. देश के लोगों के पास मौजूद संसाधनों जैसे नकदी, रियल एस्टेट, संपत्ति, बॉन्ड आदि और देश के संसाधनों को इस राष्ट्रीय आपदा के दौरान राष्ट्रीय संसाधन माना जाना चाहिए.


किसी की निजी संपत्ति को सरकारी संपत्ति बनाने के पक्ष में नहीं है सरकार - प्रवेश वर्मा


अर्थशास्त्रियों, बुद्धिजीवियों और ऐक्टिविस्टों द्वारा लिखी गयी चिट्ठी पर बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि सरकार की ऐसी कभी कोई मंशा नहीं है कि किसी की निजी संपत्ति को वह अपने अधीन करें. सरकार लगातार लोगों के हितों में कदम उठा रही है. रही बात जिन लोगों ने चिट्ठी लिखी यह वह लोग हैं जो अपने ऐसी कमरों में बैठकर सोशल मीडिया पर बयान देते रहते हैं इनमें से किसी ने लॉक डाउन के दौरान गरीबों मजदूरों की मदद नहीं की होगी.


सवाल उठने के बाद सवालों के घेरे में आए बिंदु में किया गया बदलाव


हालांकि जब चिट्ठी के उस बिंदु पर सवाल खड़े हुए जिसमें लोगों की चल अचल संपत्ति को सरकारी संपत्ति के तौर पर देखने का सुझाव दिया गया था तो चिट्ठी के प्वाइंट्स 7(1)में बदलाव करते हुए कहा गया की रिलीफ पैकेज के लिए पैसा जुटाने के लिए सरकार को अब टैक्स और एक्साइज ड्यूटी के अलावा भी कुछ और आपातकालीन कदम उठाने होंगे जिससे की सरकारी खजाने में पैसा जुटाया जा सके.


इसके अलावा चिट्ठी में कहा गया है कि सरकार ने जो आत्मनिर्भर भारत पैकेज घोषित किया है उसमें आम लोगों की जरूरतों की अनदेखी की गई है. कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण आम लोग की जिंदगी और आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है. इसी को ध्यान में रखते हुए मिशन जय हिंद के तहत सात सूत्रीय़ कार्य योजना का प्रस्ताव दिया गया है और सरकार से इस पर अमल करने की मांग की है.



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