मुंबई: कोर्ट के अधिकतर काम ऑनलाइन हो रहे हैं और कोर्ट मामलों की सुनवाई की रफ्तार धीमी है. डिफॉल्ट बेल नहीं मिलने के मामले तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं. कोरोना महामारी संकटकाल में डिफॉल्ट बेल नहीं मिलने से मुवक्किल से लेकर वकीलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. वाधवां बंधुओं- दीपक कोचर से लेकर कई छोटे बड़े कोर्ट मामले में डिफॉल्ट बेल नहीं मिलना, एक बहस का मुद्दा बन गया है. एक तरफ जहां कोरोना महामारी की वजह से कुछ आपराधिक मामलों में जांच एजेसियों द्वारा जांच में देरी होने से वही कुछ अन्य मांमलों में कोर्ट से डिफॉल्ट बेल पाने के लिए कोर्ट को संतुष्ट करना कठिन हो रहा है.
क्या होता है डिफॉल्ट बेल?
डिफॉल्ट बेल सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत किसी भी गिरफ्तार आरोपी को तब दी जाती है, जब जांच एजेसियों की जांच पूरी न हुई हो, या 10 साल से अधिक की सजा के मामलों में 90 और 10 साल से कम की सजा के मामलों में 60 दिन में चार्जशीट दायर न की गई हो.
वाधवा बंधुओ को नहीं मिला डिफॉल्ट बेल
हाल ही में यस बैंक घोटाले केस के आरोपी डीएचएफएल के पूर्व प्रमोटर वाधवान बंधुओं - धीरज वाधवां और कपिल वाधवां को बॉम्बे हाई कोर्ट से डिफॉल्ट जमानत नकार दी गई. सीबीआई की तरफ से जिरह करने वाले एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहां कि अगर इस प्रक्रिया में कोई बदलाव हुआ है तो कोरोना संकटकाल में सावधानी बरतते हुए दस्तावेजों को हैंड ओवर करने के दौरान कोर्ट में काफी सावधानियां बरती गई.
वाधवां बंधुओं- धीरज वाधवां और कपिल वाधवां की तरफ से जिरह करने वाले वकीलों ने बताया कि उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी 26 अप्रैल 2020 को हुई थी और इस मामले में चार्जशीट 25 जून 2020 तक दाखिल किया जाना था. हालांकि, जांच अधिकारी ने पूरी चार्जशीट दाखिल नहीं की और सिर्फ जांच अधिकारी के 'कथन' को फाइनल रिपोर्ट के तौर पर दाखिल किया. इस रिपोर्ट में गवाहों के बयान और अन्य दस्तावेज संलग्न नहीं किए गए. जिसके बाद वाधवां बंधुओं ने डिफॉल्ट बेल के लिए आवेदन किया. इस आवेदन के बाद जांच एजेंसियों ने रजिस्ट्रार के दफ्तर में दस्तावेज जमा किए जबकि यह दस्तावेज कोर्ट में जमा नहीं किए गए.
दीपक कोचर को नहीं मिला डिफॉल्ट बेल
मुंबई की PMLA अदालत ने ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति और मनीलॉन्ड्रिंग मामले के एक आरोपी दीपक कोचर की जमानत याचिका गुरुवार को खारिज कर दी. कोचर ने जमानत अर्जी यह दावा करते हुए दायर की थी कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ निर्धारित अवधि में चार्जशीट दाखिल करने में असफल रहा, इसलिए वह जमानत के हकदार हैं. दीपक कोचर को ईडी ने मनीलॉन्ड्रिंग मामले में धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गत सितंबर में गिरफ्तार किया था. ईडी के वकील हितेन वेनेगावकर ने कहा कि विशेष पीएमएलए न्यायाधीश ने उनकी 'डिफ़ॉल्ट' जमानत याचिका खारिज कर दी, जबकि गुणदोष के आधार पर दायर उनकी जमानत अर्जी पर 23 नवंबर को सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने डिफॉल्ट बेल पर क्या कहा?
हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों रोहिंटन फ़ाली नरीमन, नवीन सिन्हा और के एम जोसेफ़ ने की बेंच ने डिफॉल्ट बेल को लेकर कहा कि यह सीआरपीसी की धारा 167 (2) के पहले प्रावधान के तहत यह एकमात्र वैधानिक अधिकार नहीं है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है. जिसमें एक अभियुक्त व्यक्ति को धारा 167 (2) के पहले शर्तों के साथ जमानत पर रिहा होने का अधिकार मिलता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि 167 (2) की शर्तें पूरी होने पर किसी आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाना मौलिक अधिकार है.