कोरोना महामारी संकट से जूझ रहे भारत को आर्थिक मोर्चे पर भी जबरदस्त झटका लगा है. पहली तिमाही यानि अप्रैल से जून के बीच में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो जी-20 देशों में सबसे बड़ी गिरावट है. इस बीच चीन के सरकार अखबार ग्लोबल टाइम्स ने ताना कसा है कि अगर कोरोना महामारी को नियंत्रित नहीं किया गया तो भारत पूरी तरह आर्थिक मंदी में फंस जाएगा.
ग्लोबल टाइम्स में छपी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कोविड-19 के प्रभाव ने पहले से ही कमजोर भारतीय आर्थिक ढांचे को बर्बाद कर दिया है. अखबार ने भारतीय जीडीपी में और गिरावट की संभावना जताते हुए कहा है कि लाखों लोग फिर से गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार बहुत सारे भारतीय व्यापार और नौकरियां स्थायी रूप से समाप्त हो रही है. साथ ही कोरोना वायरस महामारी दक्षिण एशिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश को पूरी तरीके से प्रभावित कर रहा है. निकट भविष्य में रिकवरी की कोई उम्मीद नहीं नजर आ रही है. भारत के केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार पिछले तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में 39 फीसदी और माइनिंग सेक्टर में भी 23 फीसदी की गिरावट हुई है. लॉकडाउन के कारण सरकार का डेटा भी संदेहास्पद है. कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है, स्थिति और खराब हो सकती है.
जुलाई और अगस्त में जब लॉकजाउन में ढील दी गई तो भारत में आर्थिक गतिविधियां शुरू होने के संकेत मिले थे. इस बीच भारत कोरोना वायरस का नया केंद्र बन चुका है, इसलिए आर्थिक गतिविधि अनिश्चित मालूम होती है. वर्तमान में भारत में प्रतिदिन 60 हजार नए केस दर्ज किए जा रहे हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू खपत और निर्यात पर निर्भर है. कोरोना संकट के बीच ज्यादातर भारतीय या तो बेरोजगार हो गए हैं या आय में कमी हुई है. इसलिए उनकी खर्च करने की क्षमता बहुत कम हो गई है. साथ ही विदेशी बाजारों में भारतीय वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग में कमी आई है.
भारत के साथ जारी सीमा विवाद पर ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि एलएसी पर तनाव दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध को और खराब करेगा. साथ ही चीनी कंपनियां भारत से अपना निवेश निकाल सकती है. अखबार ने धमकी दी है कि सीमा विवाद के चलते चीन के बाजार में भारतीय वस्तुओं और सेवाओं का जाना बंद हो जाएगा. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था और खराब होगी.
ऐसे में चीन के साथ खराब संबंध आने वाले समय में भारत के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होगा, भारत एक विशाल और शक्तिशाली पड़ोसी से दूर नहीं जा सकता है.