मुंबई: महाराष्ट्र में जानलेवा कोरोना वायरस से हाल बेहाल हो गए हैं. राज्य में हर दिन लगातार बढ़ रहे आंकडों ने सबको चिंता में डाल दिया है. महाराष्ट्र में पॉजिटिविटी रेट एक मार्च को 11 फीसदी था और अब 16 फीसदी है. स्वास्थ्य सचिव के इस बयान का मतलब है कि महाराष्ट्र में हालात पहले से और खराब होते जा रहे हैं. हर दिन तेजी से बढते मामलों की वजह से पिछले एक हफ्ते में महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या एक लाख के पार पहुंच चुकी है.
महाराष्ट्र के इन इलाकों में बढ़े तेजी से मामले
हाल ही में महाराष्ट्र के नांदेड़ में 385 फीसदी, नंदुरबार में 224 फीसदी, बीड में 219 फीसदी, धुले में 169 फीसदी, नासिक में 157 फीसदी, जलगांव में 147 फीसदी, भंडारा में 140 फीसदी के हिसाब से कोरोना मामलों में लगातार इजाफा हुआ है. इस बढ़ते संकट को देखते हुए महाराष्ट्र के 6 शहरों में लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू लगाया जा चुका है. जिसमें नागपुर और लातूर का नाम भी शामिल है. वहीं, पुणे में स्कूल-कॉलेज को 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है.
देश के पांच राज्यों में मामलों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है. केवल महाराष्ट्र में ही एक दिन में 17,864 मामले सामने आए, जो कि देश में सामने आए कुल मामलों के 61.8 फीसदी है. महाराष्ट्र के बाद केरल में 1,970 और पंजाब में 1,463 नए मामले सामने आए हैं. देश में कुल मामलों के 71.10 फीसदी मामले 5 राज्यों महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु से हैं.
करीब 85 फीसदी मामले 8 राज्यों के
कोरोना का प्रकोप शुरू होने के एक साल 2 महीने बाद पहले तो मामलों में खासी गिरावट आई, लेकिन अब एक बार महामारी फिर से सिर उठा रही है. पहले तो ऐसा लगा कि कोरोना संक्रमण केवल महाराष्ट्र और पंजाब में बढ़ रहा है, क्योंकि इन 2 राज्यों से ही सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे थे. जबकि आंकड़ों के मुताबिक, रोजाना दर्ज हो रहे मामलों में से करीब 85 फीसदी मामले 8 राज्यों के हैं.
रिकवरी रेट घटकर 96.6 फीसदी हुआ
11 मार्च के बाद से भारत में रोजाना 20 हजार से ज्यादा दैनिक मामले दर्ज हो रहे हैं. बुधवार को देश में 28,903 नए मामले दर्ज हुए थे. जबकि मंगलवार को घातक वायरस के कारण हुई 188 मौतों में से 87 महाराष्ट्र के और 38 पंजाब के थे. 17 मार्च को रिकवरी रेट घटकर 96.6 फीसदी हो गया, जो 4 हफ्ते पहले 97.3 प्रतिशत था. देश में अब सक्रिय मामलों की संख्या भी बढ़कर 2.34 लाख से अधिक हो गई है.
आंकड़ों से पता चलता है कि केवल मार्च के दूसरे हफ्ते में ही देश में 1 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं और यह साफ तौर पर दूसरी लहर के आने का संकेत है. इसी समय से करीब एक साल पहले मार्च 2020 में पूरा देश लॉकडाउन में गया था.
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