नई दिल्ली: दिल्ली के ऐसे मरीज़ जो कोरोना वायरस संक्रमित हैं लेकिन उनमें लक्षण नज़र नहीं आ रहे उन्हें कोविड देखभाल केंद्रों में रखा जाएगा. इस बात की जानकारी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दी. राष्ट्रीय राजधानी में रविवार तक कोरोना वायरस मरीजों की संख्या 2003 थी जिनमें से 45 लोगों की मौत हो चुकी है. दिल्ली में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां लोगों में लक्षण नज़र नहीं आ रहे लेकिन उनमें संक्रमण मिला है. जैन ने संवाददाताओं से कहा, “हमारे पास तीन स्तरीय सुविधाएं हैं, कोविड देखभाल केंद्र, कोविड स्वास्थ्य केंद्र और समर्पित कोविड अस्पताल. इसी के अनुरूप हम उन्हें विभिन्न केंद्रों में दाखिल करेंगे.


मरीज़ में अगर लक्षण नहीं दिख रहे हों तो उन्हें कोविड देखभाल केंद्र में भर्ती किया जाएगा.” उन्होंने कहा कि शुरुआती परीक्षण के बाद दिल्ली में नियंत्रण वाले कुछ इलाकों में केंद्र सरकार द्वारा तय मानकों के मुताबिक त्वरित एंटीबॉडी जांच किटों का इस्तेमाल करते हुए कोरोना वायरस की जांच शुरू की गई है. उन्होंने कहा कि रविवार तक दिल्ली में 78 नियंत्रण वाले क्षेत्र थे. उन्होंने कहा कि हाल ही में यहां जहांगीरपुरी इलाके में नियंत्रित क्षेत्र के तौर पर निर्दिष्ट इलाके में रह रहे विस्तारित परिवार के बच्चों समेत 31 सदस्य कोविड-19 संक्रमित पाए गए हैं. उन सभी में हालांकि कोई लक्षण नज़र नहीं आ रहा था.


केंद्र पहले ही कोविड संबंधी स्वास्थ सुविधाओं को तीन श्रेणियों- कोविड देखभाल केंद्र, समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र और समर्पित कोविड अस्पताल में बदल कर चुका है. कोविड देखभाल केंद्र उन मामलों को देखने के लिये हैं जिनमें बेहद मामूली लक्षण हों या जो संदिग्ध मामले हों. ये केंद्र अस्थायी हो सकते हैं जो छात्रावासों, होटलों, विद्यालयों, स्टेडियम, लॉज और अन्य सार्वजनिक या निजी स्थानों पर बनाए जा सकते हैं. अगर जरूरत बनती है तो मौजूदा पृथकवास केंद्रों को केंद्र सरकार द्वारा तय मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करते हुए कोविड देखभाल केंद्रों में बदला जा सकता है.


इसके अलावा नियमित रूप से गैर कोविड मामलों को देखने वाले चालू अस्पतालों जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी समर्पित कोविड देखभाल केंद्रों में बदला जा सकता है. मानक संचालन प्रक्रिया के मुताबिक हर कोविड देखभाल केंद्र में हर वक्त मौलिक जीवन रक्षण प्रणाली से युक्त एक एंबुलेंस होनी चाहिए जिसमें पर्याप्त ऑक्सीजन हो जिससे आवश्यकता पड़ने पर मरीज को उच्च केंद्र में भेजा जा सके.


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