नई दिल्ली: ब्रिटेन में कोरोना का एक और नया स्ट्रेन मिला जो हाल ही पाये गये स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक है. ये स्ट्रेन दक्षिण अफ्रीका से ब्रिटेन आया है. नया स्ट्रेन क्या है और ये कितना घातक है, इस पर एम्स में कम्यूनिटी मेडिसिन के डॉ संजय राय ने एबीपी न्यूज़ से विस्तार से बातचीत की है.


सवाल- यूके में नया स्ट्रेन आया है जो पिछले वाले से अलग है. ये स्ट्रेन किस तरह का है और क्या अलग है?


जवाब- पहले तो हम यूके की तारीफ करेंगे कि वह जेनेटिक सिक्वेंस करता रहता है. हम सिर्फ आरटी-पीसीआर करते रहते हैं. वो दुनिया में सबसे ज्यादा आरटी-पीसीआर ही नहीं बल्कि किस तरह का वेरिएंट सर्कुलेशन में हैं, वो भी करते रहते हैं. इसलिए वो जल्दी डिटेक्ट कर लेते हैं. अभी दो चार दिन पहले एक वेरिएंट डिक्लेयर किया था जो उनके यहां पाया गया था. दूसरा वेरिएंट दक्षिण अफ्रीका से म्यूटेशन करके आ गया है और उसकी वजह से उनके यहां केस ज्यादा हो रहे हैं. पिछले 1 महीने से दक्षिण अफ्रीका में केस बढ़ रहे हैं. उन्होंने उसको पहचाना है कि यह जो नया वेरिएंट है वो पहले वाले से ज्यादा ट्रांसमिसिबल है. मतलब इंफेक्शन की दर इसमें ज्यादा है. यह उनका आंकलन है. अभी इसमें एविडेंस नहीं है. ब्रिटेन में एक-दो केस ऐसे डिटेक्ट हुए, क्योंकि वह जेनेटिक सिक्वेंसिंग की सेम टाइप का वेरिएंट आया हुआ है लेकिन उसके लिए उनके पास अभी बहुत एविडेंस नहीं है.


सवाल- पिछला वायरस जिसके म्यूटेशन के बारे में कहा गया कि 70 फीसदी ज्यादा संक्रामक है, क्या ये वाला भी ऐसा है और ज्यादा है?


जवाब- यूके ने तो नहीं लेकिन साउथ अफ्रीका ने जरूर कहा है कि नया वाला वैरिएंट बहुत ज्यादा इनफेक्शियस है. कितना इनफेक्शियस है, उस तरह की मॉडलिंग नहीं की है. जो मॉडलिंग एक्सरसाइज है, बिलकुल सटीक एविडेंस नहीं है लेकिन ब्रिटेन ने उसको एक मॉडलिंग एक्सरसाइज करने के बाद कहा कि लगता है कि करीब 70 फ़ीसदी हो या उससे कम हो. अभी इसमें और एविडेंस जेनरेट करने की जरूरत है. वैसे साउथ अफ्रीका ने कहा है कि यह बहुत है. जो उनके यहां केस बढ़े हैं वो इसी कारण से हैं. यही वजह है कि उनको लगता है कि  बहुत ही इनफेक्शियस है.


सवाल- वायरस की बात करें तो कुछ दिनों पहले ही वहां पहुंचा होगा और संक्रमण फैला भी होगा?


जवाब- सिर्फ वही नहीं, दुनिया में कहीं भी संक्रमण पहुंच सकता है. हम अगर उस तरह का टेस्ट न करें तो हम नहीं बता सकते हैं कि हमारे यहां नहीं है. यूके ने टेस्ट करके बताया है. वेरिएशन RNA टाइप वायरस में होते रहते है. क्योंकि जब वो रिप्लिकेट होते हैं तो उनमें म्यूटेशन होते रहते हैं. अभी इसके लेकर एविडेंस इक्कठा करने की जरूरत है. अभी कोई घबराने की जरूरत नहीं है.


सवाल- अभी जो वैक्सीन डेवलप हो रही है वो सकता है कारगर हो?


जवाब- हो सकता है कि वह कारगर हो और हो सकता है वो कारगर नहीं हो. इसके लिए भी एविडेंस जनरेट करने की जरूरत है. अगर म्यूटेशन से पूरा अलग वायरस हो गया है तब हो सकता है कि जो वैक्सीन अभी दे रहे हैं वह कारगर ना हो. लेकिन अगर अभी म्यूटेशन इतना नहीं हुआ है तो हो सकता है कि कारगर हो. लेकिन अभी इसके लिए एविडेंस जेनरेट करने की जरूरत है. अभी ऐसा कोई एविडेंस नहीं है कि वो कारगर होगी या नहीं.


सवाल- भारत की इसको लेकर क्या तैयारी है, क्योंकि कई लोग यूके से हाल ही में भारत आए हैं?


जवाब- भारत सरकार शुरू से प्रो-एक्टिव रोल में रही है. ये अच्छा कदम है. कम से कम उस नए वायरस के बारे में अभी हमें पता नहीं है. हो सकता है वो बिल्कुल अलग हो और पहले से इंफेक्टेड लोगों को फिर से संक्रमित कर सकता है. अभी सरकार ने फ्लाइट्स बंद कर दी हैं, ये एक अच्छा कदम कहा जाएगा क्योंकि एविडेंस आने के बाद फिर से शुरू कर सकते हैं. दूसरा जो लोग आ चुके हैं उनका वेरिफिकेशन और टेस्टिंग भी कर रहे हैं. इसके अलावा कुछ एविडेंस हम भी जेनरेट कर रहे हैं. मान लिया कि कुछ लोग आते हैं जो ऐसा ही वायरस लेकर आए हैं लेकिन वो बाकी लोगों को संक्रमित नहीं कर सकते तो ये अच्छी बात है. अभी उस दिशा में भारत सरकार भी कार्य कर रही है. कोई एविडेंस जेनरेट नहीं हुआ है इसलिए कुछ नहीं कहा जा सकता है.


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