झारखंड (दुमका): कोरोना संक्रमण काल के दौरान झारखंड के दुमका के स्कूलों में बच्चों के पढाई सुचारु रूप से जारी रखने के लिए शिक्षकों ने नयाब तरीके निकाले हैं. पहले गांव में पेड़ो पर लाउडस्पीकर बांध कर बच्चों को पढ़ाने की कोशिश की गई फिर गांव के दिवारों पर ब्लैकबोर्ड बनाकर शिक्षा दिया. यही नहीं आंगनबाड़ी से स्कूल में आने वाले ऐसे बच्चे को स्मार्ट बनाने के लिए दीवारों पर चित्र उकेर कर शिक्षित करने का प्रयास किया गया. शिक्षकों के इस प्रयास को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इनके जज्बे और हौसले की तारीफ की है.
अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में पीएम मोदी द्वारा किये गए शिक्षण पद्धति की तारीफ से शिक्षकों में काफी हर्ष का माहौल है. शिक्षा विभाग दुमका के लिए गौरव की बात कह इस मॉडल को जिले के सभी विद्यालयों में लागू करने की बात कही है. बता दे कि दुमका के जिन स्कूलों की शिक्षण पद्धति की पीएम मोदी ने तारीफ की थी इस संबंध में एबीपी न्यूज़ ने सबसे पहले प्रसारित कर चुका है.
दुमका के दोनों स्कूल गरीब आदिवासी बहुल इलाकों में है जो कोरोना काल के दौरान बंद कर दिया गया. बच्चों को स्मार्ट फोन के आभाव में पढ़ाई बाधित देख शिक्षकों ने पढ़ाई सुचारू रूप से बनाये रखने के लिए नई तरकीब ईजाद की. जरमुंडी के डूमरथर उत्क्रमित मध्य विधालय के प्रधानाध्यापक डॉ सपन पत्रलेख ने इन गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए गांव में ही दिवारों पर सैंकड़ो ब्लैकबोर्ड बना दिया.
यही नहीं बनकाठी उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह गांधी ने पहले लाउडस्पीकर के जरिये बच्चो को पढ़ना शुरू किया. आंगनबाड़ी से निकल कर स्कूल तक पहुंचने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए गांव में निजी खर्च कर दिवारों पर तस्वीरें बनवाईं.
इस बात की खबर पीएम मोदी तक पहुंची और दोनों शिक्षकों की तारीफ की. पीएम मोदी की तारीफ के बाद शिक्षकों में उत्साह का माहौल है. बहरहाल, मन की बात में झारखंड के जिन दो स्कूलों की चर्चा हुई उससे यहां के लोगों में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है.