नई दिल्ली: दिल्ली में लगातार दूसरे दिन रविवार को कोरोना के मामलों की संख्या दो हजार से कम बनी रही और स्वस्थ होने की दर सुधर कर लगभग 80 प्रतिशत हो गई. वहीं दिल्ली प्रशासन ने यहां कोरोना वायरस के मरीजों के उपचार के बाद स्वस्थ होने की अच्छी दर के मद्देनजर स्टेडियमों को अस्थायी कोविड देखभाल केंद्रों के रूप में इस्तेमाल में लाने की योजना फिलहाल स्थगित कर दी है. राजधानी में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 1,573 नए मामले सामने आए, जिससे मामलों की संख्या बढ़कर 1 लाख 12 हजार 494 हो गयी, जबकि इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 3,371 पहुंच गई. दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक बुलेटिन में यह जानकारी दी गई है.


दिल्ली में नए मरीजों की संख्या घटी
जुलाई में पहली बार लगातार दो दिनों तक राजधानी में संक्रमण के 2,000 से कम मामले सामने आए हैं. शनिवार को संक्रमण के 1,781 नए मामले सामने आए थे. बुलेटिन के अनुसार रविवार को कोविड-19 से स्वस्थ होने की दर 79.97 प्रतिशत हो गई. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पल्स ऑक्सीमीटर को ‘सुरक्षा कवच’ करार देते हुए कहा कि अपने घरों में आइसोलेट में रह रहे कोरोना के मरीजों की मौत की संख्या कम करने में मदद हुई है.


दिल्ली सरकार ने सभी जिलाधिकारियों (डीएम) से अपने-अपने क्षेत्रों में कोरोना से निपटने के लिए किए गए उपायों का दस्तावेजीकरण करने के लिए कहा है. इसका उद्देश्य संक्रमण को नियंत्रित करने के प्रयासों को दर्शाना है.


कहां-कहां पृथक-वास वार्ड बनाया गया
दक्षिण दिल्ली जिला प्रशासन ने राधा स्वामी सत्संग ब्यास में 10,000 बिस्तरों का सरदार पटेल कोविड देखभाल केंद्र स्थापित किया है, जो कोविड-19 के मरीजों के लिए बनाए गए दुनिया के "सबसे बड़े" स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में शामिल है. इस केंद्र को स्थापित करने के लिए इसने कई एजेंसियों से संपर्क किया. इसी तरह, पूर्वी दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल गांव में 500 बिस्तरों वाला कोविड देखभाल केंद्र बनाया गया. इसके अलावा, उत्तर पश्चिम जिले में रेलवे कोच को कोविड-19 रोगियों के लिए पृथक-वास वार्ड में बदला गया है.


पूर्वी दिल्ली जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति को देखते हुए स्टेडियम को कोविड-19 देखभाल सुविधाओं में बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है. हम इन्हें (स्टेडियमों) ऐसी सुविधा के लिए उपयोग कर सकते हैं, लेकिन यह अनावश्यक कदम होगा क्योंकि बहुत से लोग घर में पृथक हैं और वायरस से उबर रहे हैं.’’


दक्षिण जिला प्रशासन में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं. अब तक, कोविड-19 देखभाल सुविधा के लिए किसी भी स्टेडियम का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है.’’


पल्स ऑक्सीमीटर से मौत की संख्या घटी
केजरीवाल ने ट्वीट में लिखा, ‘‘दिल्ली पल्स ऑक्सीमीटर नामक सुरक्षा कवच के माध्यम से कोरोना वायरस के मरीजों की मौत को कम कर पायी है. यदि मरीज अपने ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट पाते हैं तो वे मदद के लिए हमसे संपर्क करते हैं. हम तत्काल उनके घर ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर भेजते है या उन्हें अस्पताल में ले आते हैं.’’


पल्स ऑक्सीमीटर एक ऐसा उपकरण है जो रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को मापता है. स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के अनुसार कोरोना वायरस के मरीजों में ऑक्सीजन का स्तर 90 फीसदी या उससे नीचे चला जाता है तो उसे अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है.


दिल्ली में 24 जून के बाद के पखवाड़े में कोविड-19 मौतों पर सरकार द्वारा कराए गए सर्वेक्षण से खुलासा हुआ कि जुलाई के पहले सप्ताह में घरों मे पृथक-वास में रह रहे किसी मरीज की जान नहीं गयी. दूसरा, कुल मौतें भी बहुत घटी हैं.


रेस्तरां बिजनेस घटा
दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर लागू लॉकडाउन हटने के बाद भले ही रेस्तरां फिर से खोले जा चुके हैं, लेकिन वे कम बिक्री, कम कर्मचारी और कम ग्राहकों के आने जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. पाबंदियों के चलते कई रेस्तरां ने बैठकर खाने की सुविधा शुरू नहीं की है. 'लाइट बाइट' फूड्स के निदेशक रोहित अग्रवाल के अनुसार 'अनलॉक' के बाद हालात 'बहुत ठीक' नहीं हैं. ग्राहकों की संख्या बहुत कम है और संचालन लागत अधिक है.


अग्रवाल ने कहा, 'कोविड-19 लॉकडाउन के बाद एक दिन में सबसे अधिक 15 ग्राहक पंजाब ग्रिल्स के साकेत वाले रेस्तरां में आए थे. हम उतनी ही संख्या में ग्राहकों के आने की उम्मीद कर रहे हैं, जितने पहले आया करते थे.'


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