कोरोना महामारी पर अंकुश लगाने के लिए भारत ने वैक्सीन का टीकाकरण शुरू कर दिया गया है. इस वक्त देश में सरकार द्वारा फ्रंट वॉरियर्स को वैक्सीनेशन दिया जा रहा है और साथ वैक्सीनेशन के बाद उनसे फीडबैक भी लिया जा रहा है. कोरोना टीकाकरण अभियान में जिन लोगों को वैक्सीन दिया गया है, उन लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. कोरोना वैक्सीन पाने वाले 97 प्रतिशत से अधिक लोगों ने इस दवा पर संतोष जनक उत्तर दिया है जहकु 11 प्रतिशत लोगों का मानना है कि वैक्सीनेशन के बाद सरकार ने उन्हे फिडबैक के बारे में नहीं बताया.


फीडबैक देने के लिए वैक्सीनेशन किए गए लोगों में से 37 लाख लोग पहुंचे, लेकिन उनमें से 5 लाख 12 हजार 128 लोगों ने ही अपनी प्रतिक्रायाएं दी हैं. फीडबैक के मुताबिक करीब 97.4 प्रतिशत डेटा बताता है कि वैक्सीनेशन बूथों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नही हुआ था.

इनमें से 98.4 प्रतिशत लोगों ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होने पर उन्होनें प्रशासन को सूचित भी किया था. 97.1 प्रतिशत लोग बतातें है कि वैक्सीन के लिए उन्हें 30 मिनट तक का इंतजार करना पड़ा था. जबकि 97.4 प्रतिशत लोगों ने इस वैक्सीनेशन पर संतुष्टी जताई है.

जिन लोगों को वैक्सीनेशन की गई थी उनमें से 0.2 प्रतिशत यानि की 8563 लोगों ने बताया कि वैक्सीन लेने के बाद उन्हें दिक्कतें हुईं थी. इनमें से 34 लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था. AEFI के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि टीकाकरण लगने के बाद 19 लोगों की मौतें हुई थी.

राजेश भूषण ने बताया कि जब उनका पोर्टमार्टम हुआ तो पता चला कि उनकी मौत वैक्सीनेशन की वजह से नही हुई है. स्वास्थय सचिव भूषण ने दावा दिया कि ये वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है. आपकों बता दें कि 97 लाख से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों में से लगभग 45 प्रतिशत यानि की 43 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है. अब इसकी दूसरी डोज 13 फरवरी से लगाई जाएगी.

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