नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस की देसी वैक्सीन लगवाकर जहां लोगों में भरोसा जगाने का काम किया है तो वहीं इसे लेकर विपक्षी दलों द्वारा फैलाये जा रहे दुष्प्रचार का भी जवाब दे दिया है. दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में टीका लगवाने की उनकी तस्वीर को गौर से देखा जाये तो पता चलता है कि इस अवसर के बहाने उन्होंने बेहद सादगी भरे अंदाज में राजनीतिक व चुनावी संदेश भी दिया है. कह सकते हैं कि उन्होंने एक वैक्सीन के जरिये तीन निशाने लगाकर अपनी राजनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया है.


उल्लेखनीय है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों का एलान हो चुका है.पीएम मोदी को आज को-वैक्सीन लगाने वाली नर्स मूलतः पुडुचेरी की रहने वाली हैं. उनके ठीक पीछे खड़ी नर्स का ताल्लुक़ केरल से है. मोदी ने अपने गले में जो गमछा डाला हुआ था, वह असम में ही बनता-पहना जाता है. इन तीनों ही राज्यों में चुनाव हैं और मोदी का यह स्वरुप मोटे तौर पर इन प्रदेशों के बड़े वर्ग को प्रभावित करने के लिये पर्याप्त है.


पूरे चुनाव-प्रचार के दौरान मोदी की यह तस्वीर चर्चा का विषय बनी रहेगी और उनकी पार्टी इसका सियासी फायदा उठाने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगी. आपदा को अवसर में बदलने का स्लोगन देने वाले मोदी अपनी हर गतिविधि को बारीकी व पूरी तैयारी के साथ अंजाम देते हैं. लिहाजा, यह नहीं कह सकते कि उनका आज का स्वरुप महज एक संयोग था.


अगर मोदी चाहते तो जब देश में वैक्सीन का पहला चरण शुरु हुआ था, तभी वे पहले ही दिन इसे लगवाकर विपक्षी नेताओं के इन आरोपों का जवाब दे सकते थे कि अगर यह वैक्सीन इतनी ही सुरक्षित है,तो फिर पीएम और उनके मंत्री इसे लगवाने मैं क्यों हिचक रहे हैं. लेकिन वे चुप रहे और उन्होंने सही वक्त का इंतज़ार किया.


दरअसल, सरकार भी यह आकलन कर रही थी कि पहले चरण में जिन्हें यह टीका लगवाने की प्राथमिकता दी गई है, उनमें से कितने लोग स्वेच्छा से आगे आते हैं. लेकिन दूसरे चरण का आगाज़ खुद पीएम ने करके लोगों की तमाम आशंकाओं को दूर किया है.


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