Corona Vaccine Live: कांग्रेस नेता की मांग- अमेरिका और रूस की तरह भारत में भी PM मोदी पहले लें कोरोना वैक्सीन
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि उसके पास कोविड-19 वैक्सीन की 4 से 5 करोड़ डोज हैं, जिनमें से बड़ा हिस्सा भारत को मिलने की संभावना है. जहां तक भारत बायोटेक के कोवैक्सीन की है, तो यह कोरोनावायरस के लिए भारत का पहला स्वदेशी टीका है.
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नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आने के 11 महीने बाद ड्रग कंट्रोलर ने रविवार को 'कोविशील्ड' वैक्सीन और 'कोवैक्सीन' को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है. इससे इन वैक्सीन को करोड़ो लोगों को दिए जाने का रास्ता खुल गया है. यह देश के लिए बड़ी राहत की बात है, क्योंकि दुनिया में अमेरिका के बाद संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले भारत में हैं. केंद्र सरकार ने अगले 6 से 8 महीनों में टीकाकरण अभियान के पहले चरण में लगभग 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने की योजना बनाई है.
इसमें 1 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स, 2 करोड़ फ्रंटलाइन और जरूरी सेवाओं में लगे कर्मचारी और 50 साल से अधिक उम्र के ऐसे 27 करोड़ बुजुर्ग जिन्हें अन्य बीमारियां हैं, शामिल हैं. वैक्सीन प्रस्तावों पर काम करने वाली विषय विशेषज्ञ समिति ने 1 और 2 जनवरी को क्रमश: ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की स्वदेशी कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की स्वीकृति देने की सिफारिश की थी.
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने क्लिनिकल परीक्षण और कोविशील्ड के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ भागीदारी की है, जबकि भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ कोलैबोरेशन किया है. सीरम इंस्टीट्यूट ने 6 दिसंबर और भारत बायोटेक ने 7 दिसंबर को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी पाने के लिए आवेदन किया था.
ऑक्सफोर्ड को कहां-कहां मिली है मंजूरी
इससे पहले ब्रिटेन और अर्जेंटीना ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को मंजूरी दे चुके हैं. साथ ही वैक्सीन के 5 करोड़ से अधिक डोज का पहले ही इसके निमार्ता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भंडारण कर लिया है. वैक्सीन की कम लागत, भंडारण और परिवहन में आसानी के कारण कोविड-19 से अपने देशवासियों को बचाने की भारत के टीकाकरण की योजना में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन प्रमुख भूमिका निभाएगा.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इसी हफ्ते कहा है कि उसके पास कोविड-19 वैक्सीन की 4 से 5 करोड़ डोज हैं, जिनमें से बड़ा हिस्सा भारत को मिलने की संभावना है. जहां तक भारत बायोटेक के कोवैक्सीन की है, तो यह कोरोनावायरस के लिए भारत का पहला स्वदेशी टीका है. इसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया जा रहा है.
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दिल्ली में कोविड बेड की संख्या घटाने पर टिप्पणी करते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, "पिछले कुछ दिनों में हमने दिल्ली में बेडों की संख्या घटाई है. दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 2500, निजी अस्पतालों में 5000-6000 बेड कम किए गए. पहले हमारे पास 18,800 बेड उपलब्ध थे, लेकिन संख्या घटाने के बाद भी हमारे पास 10,500-12,000 बेड हैं. हम अगले सप्ताह बेडों की संख्या और घटाएंगे."
भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके की मंजूरी प्रकिया पर कांग्रेस के कुछ नेताओं के चिंता प्रकट करने के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि ब्रिटेन में पाए गए वायरस के नये प्रकार (स्ट्रेन) के खिलाफ ‘कोवैक्सीन’ के कहीं अधिक कारगर रहने की संभावना है. साथ ही, हर्षवर्धन ने नेताओं से टीके की मंजूरी के लिए बखूबी निर्धारित किए गए विज्ञान समर्थित प्रोटोकॉल की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाने को कहा.
कांग्रेस नेता ने मांग कि है कि जिस तरह रूस और अमेरिका में सबसे पहले वहां के प्रेसिडेंट ने टीका लिया. ठीक उसी तरह भारत में पीएम नरेंद्र मोदी सबसे पहले टीका लें.
अमेरिका में कोरोना महामारी की नई लहर के बाद सरकार बड़ा कदम उठा सकती है. खबर है कि ट्रंप सरकार लोगों को मॉडर्ना वैक्सीन की आधी डोज ही लगाने पर विचार कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा सके. अमेरिकी सरकार के मुताबिक, 18 से 55 साल के लोगों में मॉडर्ना वैक्सीन की आधी डोज लगाने पर ही जरूरी इम्युनिटी आ जाती है इसलिए ऐसे लोगों को दूसरी डोज की जरूरत नहीं.