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गुलमर्ग के शिव मंदिर की हुई मरम्मत, सेना और स्थानीय लोगों ने मिलकर दिया नया रंग-रूप
भले ही तीन दशक की अनदेखी के कारण मंदिर और उसकी तरफ आने वाला रास्ता खराब हो गया लेकिन कोरोना काल में जहां घाटी में आने वाले पर्यटकों की संख्या शून्य हो गई तो सेना ने भी इसका फायदा उठाते हुए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर मंदिर की मरम्मत शुरू कर दी.
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भारतीय सेना (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली: कई बॉलीवुड फिल्मों में दिखाए देने वाले गुलमर्ग के शिव मंदिर को सेना और स्थानीय लोगों ने मिलकर नया रंग-रूप दिया है. सेना ने पुनर्निर्माण के बाद इसे स्थानीय प्रशासन के हवाले कर दिया है. मंदिर के साथ-साथ आने वाले दिनों में अब पर्यटन विभाग रिलीजियस टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कई और जगहों पर भी इसी तरह का पुननिर्माण का काम शुरू करने वाला है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग देखने को मिले.
पुराने जमाने की प्रसीद फिल्म आप की कसम का गाना 'जय-जय शिव शकर कांटा लगे न कंकर' इसी मंदिर में फिल्माया गया था लेकिन समय की मार के कारण मंदिर की हालत जर्जर होने लगी थी, जिसके चलते यहां आने वाले पर्यटक भी मंदिर से दूर ही रहने लगे थे. गुलमर्ग के शिव मंदिर के मुस्लिम रखवाले गुलाम मोहमद के अनुसार पिछले तीस सालों से वह इस मंदिर की देखभाल करते आए हैं लेकिन काफी कोशिश करने पर भी मंदिर की जरूरी मरम्मत नहीं करवा सके लेकिन आज सेना की मदद से मंदिर के अंदर और बाहर जो काम हुआ वह उससे खुश है.
भले ही तीन दशक की अनदेखी के कारण मंदिर और उसकी तरफ आने वाला रास्ता खराब हो गया लेकिन कोरोना काल में जहां घाटी में आने वाले पर्यटकों की संख्या शून्य हो गई तो सेना ने भी इसका फायदा उठाते हुए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर मंदिर की मरम्मत शुरू कर दी और करीब तीन महीने के बाद आज इसको आम लोगों के लिए खोला गया है.
इन्होंने करवाया था निर्माण
इस शिव मंदिर का निर्माण 1915 में तत्कालीन महाराजा हरी सिंह की पत्नी महारानी मोहिनी बाई सिसोदिया ने करवाया था और तब से यहां के वातावरण में भी पूरी तरह मिल गया. एक तरफ गुलमर्ग का सेंट मैरी का चर्च और दूसरी तरफ गुलमर्ग की जामा मस्जिद और सिंह सभा गुरुद्वारा जम्मू कश्मीर की धर्मनिरपेक्ष और कश्मीरियत की छवि को दर्शा रहा है. सेना की पीरपंजाल ब्रिगेड ने इस मंदिर के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई. इस यूनिट के ब्रिगेडियर बीएस फोगट के अनुसार भले ही मंदिर की मरम्मत का काम सेना ने शुरू किया हो लेकिन असल काम गुलमर्ग की जनता ने किया है और यह कश्मीर की धर्मनिरपेक्षता और कश्मीरियत की एक असली मिसाल है.
धार्मिक इतिहास
टूरिज्म डिपार्टमेंट के डायरेक्टर गुलाम नबी यत्तु के अनुसार बड़ी संख्या में जो पर्यटक कश्मीर घूमने आते हैं उनको कश्मीर के धार्मिक इतिहास से अवगत कराने की तरफ यह पहला कदम है और आने वाले दिनों में कई और जगहों पर भी ऐसे छुपे हुए धर्म स्थलों का पुनर्निर्माण और प्रमोशन किया जाएगा, जो जम्मू कश्मीर प्रशासन की नई टूरिज्म नीति के अनुसार है. आज जब एक विशेष पूजा के बाद इस शिव मंदिर को आम लोगों के लिए खोला गया तो यहां पर मौजूद पुरोहित और सेना के कुछ जवानो के अलावा बाकी सभी मौजूद लोग मुसलमान थे और गुलमर्ग के रहने वाले मोहम्मद यासीन के मुताबिक यह कश्मीरियत की असली मिसाल है.
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