नई दिल्लीः कोरोना संक्रमण के बीच भारत ने चीन के वुहान से अपने नागरिकों और छात्रों को बाहर क्या निकाला कि पाकिस्तान के लिए आफत बढ़ गई. एक तरफ घर वापसी के लिए पाकिस्तानी छात्रों वी बढ़ती चीख पुकार तो दूसरी तरफ चीन से दोस्ती निभाने का दबाव.


नौबत यहां तक पहुंच गई कि वुहान में पाकिस्तानी छात्रों को समझाइश की कोशिश में दो दिन पहले किया गया स्वास्थ्य मंत्री का वीडियो कॉल भी उलटे गले की फांस बन गया. आखिर में पीएम इमरान खान को ट्वीट कर कहना पड़ा कि उनकी सरकार छात्रों की मदद के लिए हर संभव कदम उठाएगी.


इमरान खान ने कहा कि उन्होंने इसके लिए अपने विदेश मंत्रालय और ओवरसीज मंत्रालय को जरूरी हिदायतें दे दी हैं. हालांकि, इस भरोसे के बावजूद पाक पीएम ने सीधे यह भरोसा नहीं दिया कि वो चीन के कोरोना वायरस प्रभावित हुबेई प्रांत और खास तौर पर वुहान शहर से अपने लोगों को कब और कैसे निकालेंगे. इतना ही नहीं इमरान खान पाकिस्तानी छात्रों को मदद का भरोसा देने वाले ट्वीट से पहले चीन के साथ पाक की दोस्ती निभाने वाली कसमें दोहराना नहीं भूले.


पाकिस्तान ने अपने नागरिकों को नहीं निकाला


दरअसल, पाकिस्तन ने चीन के साथ अपने प्रगाढ़ रिश्तों की दुहाई देते हुए फैसला किया कि वो अपने नागरिकों को वहां से नहीं निकालेगा. ताकि चीन को ऐसा न लगे कि उसके हर मौसम दोस्त पाक को भी उसकी कोशिशों पर भरोसा नहीं है. मगर जब कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भारत ने 1 और 2 फरवरी को विमान भेज अपने 650 नागरिकों को निकाला तो पाकिस्तानी छात्रों के अपनी सरकार से बाहर ना निकालने की शिकायत वाले वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने लगे. साथ ही पाकिस्तान के भीतर भी चीन की मदद में अपने लोगों की अनदेखी की नीति पर सवाल उठने लगे.


पाकिस्तानी मंत्री ने छात्रों से वीडियो कॉल पर की बात


इस बीच छात्रों की चिंताओं पर ढाढ़स बंधाने के लिए पाक के स्वास्थ्य राज्य मंत्री ज़फर मिर्जा ने वुहान में पाकिस्तानी छात्रों से वीडियो कॉल पर बात की. हालांकि, समझाइश के इस वीडियो कॉल में उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि आखिर पाकिस्तान सरकार अपने नागरिकों को कब बाहर निकालेगी. इससे नाराज छात्रों ने सोशल मीडिया जमकर अपने गुस्से का इज़हार भी किया.


भारत ने पाकिस्तान को भेजा था प्रस्ताव


गौरतलब है कि भारत ने रिश्तों की खटास को दरकिनार करते हुए मानवीय संकट की घड़ी में पाकिस्तान को भी यह प्रस्ताव भेजा था कि यदि वे चाहें तो भारतीय विशेष विमानों से उसके नागरिकों को भी निकाला जा सकता है.


विदेश मंत्री डॉ एसजयशंकर ने बीते सप्ताह राज्यसभा में दिए एक बयान के दौरान कहाया कि भारत की तरफ से अपने सभी पड़ोसियों को मदद का प्रस्ताव दिया गया था. मगर केवल मालदीव ने इसका इस्तेमाल किया और 2 फरवरी को भारत पहुंची फ्लाइट में मालदीव के नागरिकों को चीन से लाया गया.


सोशल मीडिया पर खुली पोल


इतना ही नहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा था कि यदि पाकिस्तान की तरफ से मदद के लिए कोई आवेदन मिलता है तो भारत उस पर विचार कर सकता है. वैसे यह बात और है कि भारत की तरफ से की गई इस पेशकश के खिलाफ पाक ने यह बताते वीडियो के साथ प्रचार किया कि उसके नागरिक चीनी के प्रयासों में कितन सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. हालांकि सोशल मीडिया पर ही प्रचार के इन दावों की पोल खुल गई.


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