नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने चीन में कोहराम मचा रखा है. इस वायरस की चपेट में आने से चीन में अब तक 717 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 25 हजार से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं. वायरस के खतरे को देखते हुए भारत ने अपने लगभग सभी छात्रों को प्रभावित इलाकों से भारत स्पेशल विमान से ले आया है. इसी बीच जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक भारत सरकार ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए चीन के वुहान शहर से भारत के तमाम पड़ोसी छात्रों को भी वहां से निकालने का संबंधित देशों को प्रस्ताव दिया था. इस संबंध में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को राज्यसभा में जानकारी दी.


सभी पड़ोसी को दिया मदद का प्रस्ताव- विदेश मंत्री 


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ''चीन के वुहान शहर से भारतीय छात्रों को निकालते वक्त भारत ने एक जिम्मेदार देश के नाते वहां मौजूद सभी पड़ोसी देशों के छात्रों को निकालने का प्रस्ताव रखा था.'' विदेश मंत्री ने राज्यसभा में कहा, ''जब हमने यह प्रस्ताव दिया तो मालदीव के सात और बांग्लादेश के एक नागरिक ने ही हमारे इस प्रस्ताव को स्वीकारा जिसके बाद हमने उन्हें अपने देश के नागरिकों के साथ भारत लाया.''


विदेश मंत्री ने कहा, ''भारत की तरफ से ये प्रस्ताव पाकिस्तान के छात्रों के लिए भी था लेकिन किसी भी पाकिस्तानी छात्र ने इस प्रस्ताव को नहीं स्वीकारा था.'' विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अभी भी पाकिस्तान अगर भारत से इस संबंध में कोई मदद मांगता है तो हम मदद करने को तैयार हैं. हालांकि, विदेश मंत्री ने ये भी साफ किया कि इस संबंध में पाकिस्तान की तरफ से ऐसी कोई मदद नहीं मांगी गई है.


अभी भी 80 भारतीय वुहान शहर में 


गौरतलब है कि भारत ने 31 जनवरी और एक फरवरी को 654 छात्रों को चीन के वुहान शहर से स्वदेश वापस लाया था. आपको ये भी बता दें कि अभी भी चीन के वुहान में 80 भारतीय नागरिक मौजूद हैं. इनमें से 70 लोगों ने स्वेच्छा से वहां रहने का फैसला किया है वहीं, 10 लोग ऐसे हैं जिन्हें वापस आने की इजाजत इसलिए नहीं दी गई है क्योंकि उनमें कोरोना वायरस के लक्षण देखे गए हैं.


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