पिछले एक साल से अपनी जान हथेली पर रखकर दूसरों की जिंदगियां बचा रहे डॉक्टर, यहां जानें कोरोना संकट में उनका दर्द
कोरोना के कहर से हमें बचाने के लिए डॉक्टर, नर्स, एंबुलेस स्टाफ जैसे स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात एक किए हुए हैं. कई अस्पतालों में एक साथ कई मेडिकल स्टाफ कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्यकर्मी लगातार काम कर रहे हैं.
कोरोना के कहर से हमें बचाने के लिए डॉक्टर, नर्स, एंबुलेस स्टाफ जैसे स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात एक किए हुए हैं. कई अस्पतालों में एक साथ कई मेडिकल स्टाफ कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्यकर्मी लगातार काम कर रहे हैं. ऐसे में उनकी चुनौतियों और खतरे को समझा जा सकता है. ऐसे ही मुश्किल हालात में लोगों की जान बचाने का जज्बा दिखाने वाले डॉ. समीर कालरा (सर गंगा राम अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट) और उनकी पत्नी डॉक्टर वंदना कालरा (लंग्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट में डॉक्टर) से ABP News ने खास बातचीत की.
डॉक्टर समीर कालरा- इस समय मेंटल प्रेशर बहुत ज्यादा है. हम एक साल से इन सभी चुनौतियों का सामना और अरेंजमेंट करते-करते अब थक चुके हैं. पब्लिक में अब भी वो जागरूकता नहीं है जो होनी चाहिए. अब हालात बहुत गंभीर हो गए हैं. परिवार के साथ बहुत चुनौती महसूस होती है. हम घर पर आने से पहले सभी कपड़े यहां चेंज करते हैं, नहाते हैं उसके बाद ही दूसरी मंजिल पर रह रहे परिवार से मिलने जाते हैं. चाहे मुझे एक मरीज देखने के लिए भी अस्पताल जाना पड़े, हर बार यह प्रक्रिया अपनानी पड़ती है. ऑपरेशन के दौरान PPE किट पहनते हैं. घंटों गर्मी में ये किट पहनने से कई बार घबराहट भी हो जाती है. कई बार ब्रेथलस हो जाते हैं.
डॉक्टर वंदना कालरा- क्योंकि हम दोनों ही अस्पताल में काम करते हैं इसलिए हमेशा अपने पार्टनर के स्वास्थ को लेकर डर बना रहता है. हो सकता है वापस आएं तो कोरोना लेकर आएं और कहीं परिवार को भी संक्रमित ना कर दें. डोमेस्टिक हेल्प भी नहीं ले सकते. इसलिए घर का भी सारा काम खुद करना मुश्किल रहा है. हॉस्पिटल में बेड की कमी है, ये सोचकर डर लगता है. आगे चलकर हमें कुछ हुआ तो क्या हमें बेड मिल पाएगा या नहीं. बच्चों में संक्रमण का डर हमेशा बना रहता है.
डॉक्टर वंदना कहती हैं कि लोगों की जुटती भीड़ को देखकर बहुत अफसोस होता है. पिछले डेढ़ साल में लगभग 700 डॉक्टर ने अपनी जान गवां दी है. उसके बाद भी लोग नहीं समझते तो बहुत दुख होता है. जनता से अपील है कि कम से कम इस समय भीड़ ना जुटाएं क्योंकि इस बार का वायरस पहले से ज्यादा खतरनाक है.
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