नई दिल्ली: देश में कोविड-19 वायरस को कहर बरपाते अब सवा साल से अधिक हो चुका है. ऐसे में सरकार और जानकार तो छोड़िए आम आदमी भी यह बखूबी जानता है कि कोरोना की महामारी व्यक्ति के श्वसन तंत्र और खासतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करती है. मरीज को सांस लेने की दिक्कत होती है और ऐसे में ऑक्सीजन उसकी प्राणदायक जरूरत है. ऐसे में यह स्वाभाविक है कि इस बीमारी के फैलने के साथ ही ऑक्सीजन की जरूरत पूरी करने और तैयारियां मुकम्मल करने के लिए बैठकों का दौर महीनों पहले ही शुरू हो गया था. बाकायदा दर्जनों बैठकें, सैकड़ों समीक्षाएं और अनगिनत रिपोर्टों और सब सूरते-हाल चाक-चौबंद दिखाते प्रजेंटेशन बखूबी बनाए गए.
देश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दर्जनों आदेश भी जारी किए गए. इन फरमानों की फेहरिस्त को देखें तो लगता है सरकारी तंत्र ने हर संभावित समस्या के लिए तैयारी कर ली है. यानी मुश्किल आई भी तो ऑक्सीजन आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी. मगर कोरोना की दूसरी लहर के आगे तमाम तैयारियों, आदेशों और निर्देशों की जमीन बेहद खोखली नजर आई. मौजूदा हालात में असलियत क्या है वो सबके सामने है.
ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि बीते नौ महीनों की बैठकों में किस तरह सब कुछ ठीक है कि तस्वीर दिखाते प्रजेंटेशन दिए गए. कैसे हर जरूरी आदेश तो दिया गया ताकि किसी भी संभावित स्थिति से निपटा जा सके. काश कि कागज पर जारी इन आदेशों के अनुसार जमीन पर तैयारियां भी मुकम्मल कराने पर ध्यान दिया जाता तो शायद ऑक्सीजन की कमी से अस्पतालों की व्यवस्था नहीं कराहती और कई कीमती जानों को भी बचाना मुमकिन होता.
देश में ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने किए जारी किए गए फरमानों की फेहरिस्त पलटने और तैयारियों को तौलने के लिए हमने भारत सरकार के आधिकारिक प्रेस इन्फर्मेशन ब्यूरो के जरिए सरकारी विज्ञप्तियों को खंगाला. पेश है इन सरकारी फैसलों की एक बानगी.
दिनांक 17 जुलाई 2020
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कोविड-19 के बाद देश में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति एवं भंडारण क्षमता में बढोतरी की समीक्षा की. बैठक में वाणिज्य एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे. बताया गया कि मेडिकल ऑक्सीजन के विनिर्माण, भंडारण, परिवहन और आपूर्ति की किसी बड़ी समस्या की कोई रिपोर्ट नहीं है. मेडिकल ऑक्सीजन का औसतन मासिक उपभोग अप्रैल 2020 में 902 एमटी/प्रति दिन था जो बढ़कर 15 जुलाई तक 1512 एमटी/प्रति दिन पहुंच गया था. आंकलन किया गया कि देश में 15 हजार एमटी से अधिक का पर्याप्त भंडार है.
ऐसे राज्यों, मेट्रो शहरों और जिलों में जहां, सक्रिय मामले बड़ी संख्या में हैं, मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता और आपूर्ति पर्याप्त है. इसी प्रकार, सुदूर स्थानों पर मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त व्यवस्थाएं की जा रही हैं. रेखांकित किया गया कि आईसीयू सहित ऑक्सीजन पर कोविड-19 के कुल मामलों का प्रतिशत कल तक गिर कर 4.58 प्रतिशत रह गया था. सिलेंडरों और क्रायोजेनिक वेसेल के सभी प्रमुख विनिर्माता अब सार्वजनिक खरीद पोर्टल गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पर पंजीकृत हैं. मेडिकल ऑक्सीजन जेनरेटरों के विनिर्माता भी अब पंजीकरण की प्रक्रिया में हैं.
मंत्री ने कहा कि किसी भी प्रकार की आकस्मिकता या मांग में तेज उछाल की स्थिति के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए. उन्होंने निर्देश दिया कि उन क्षेत्रों में ऑक्सीजन आपूर्ति उपलब्ध कराने के लिए विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, जहां प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण वर्ष के इस समय में कनेक्टिविटी प्रभावित हो जाती है.
22 जुलाई 2020
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने सिंगापुर के टेमासेक फाउंडेशन से 4475 ऑक्सीजन सांद्रक (कंसेंट्रेटर) की पहली खेप का स्वागत किया. टेमासेक फाउंडेशन ने भारत को कुल 20,000 ऑक्सीजन सांद्रक दान करने की पेशकश की है. शेष ऑक्सीजन सांद्रक अगस्त, 2020 में मिलेंगे. इन उपकरणों को कोविड-19 के मध्यम मामलों के इलाज में उपयोग के लिए राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराया जाएगा.
11 सितंबर 2020
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इस बात पर जोर दिया है कि मेडिकल ऑक्सीजन की पर्याप्त और बाधारहित आपूर्ति कोविड-19 के मध्यम और गंभीर मामलों के इलाज के लिए एक महत्वपूर्ण जरूरत है. स्वास्थ्य सचिव ने सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि राज्यों के बीच मेडिकल ऑक्सीजन की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध लागू न किया जाए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अस्पताल में भर्ती हर रोगी को ऑक्सीजन उपलब्ध कराना प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी है.
केंद्र की अगुवाई में कोविड प्रबंधन रणनीति देखभाल उपचार के दिशानिर्देशों पर आधारित है. इन दिशानिर्देशों में अस्पतालों सहित सभी प्रकार की कोविड सुविधाओं में चिकित्सा देखभाल की एक समान और मानकीकृत गुणवत्ता सुनिश्चित की गई है. मध्यम और गंभीर किस्म के मामलों के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन एंटी-कोआगुलेंट्स की समय पर व्यवस्था और व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के साथ-साथ सस्ती कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स की प्रोटोकॉल के अनुसार उपलब्धता कोविड-19 चिकित्सा का मुख्य आधार है.
पूरे देश में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति और अन्य उपायों को शामिल करके अस्पताल में भर्ती होने वाले मध्यम और गंभीर किस्म के मामलों की प्रभावी नैदानिक देखभाल सुनिश्चित हुई है. अपनाई गई रणनीतियों की सक्रियता से रोगियों के ठीक होने की दर में बढ़ोतरी हुई है और मामला मृत्युदर में (मौजूदा दर 1.67 प्रतिशत) काफी गिरावट आई है. आज की तिथि के अनुसार 3.7 प्रतिशत से कम सक्रिय रोगी ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.
13 सितंबर 2020
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक वर्चुअल बैठक आयोजित की, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के सचिव और औषध विभाग सचिव ने भाग लिया. इस बैठक में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश के राज्य स्वास्थ्य सचिवों तथा उद्योग सचिवों ने भी भाग लिया. इस वर्चुअल बैठक का उद्देश्य इन राज्यों में सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्याप्त ऑक्सीजन की उपलब्धता प्रदान करना और ऑक्सीजन की अंतरराज्यीय आवाजाही के साथ-साथ अप्रतिबंधित आवागमन सुनिश्चित करना था. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग तथा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बैठक के अंत में अधिकारियों को संबोधित किया.
राज्यों को विशेष रूप से ये सलाह दी गईं: -
- सुविधाओं के अनुसार और अस्पताल की जरूरत पर ऑक्सीजन के स्टॉक का प्रबंधन और समय पर पुनःपूर्ति के लिए अग्रिम योजना सुनिश्चित करना जिससे ऑक्सीजन की कोई कमी न हो.
- सुनिश्चित किया जाए कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच मेडिकल ऑक्सीजन के आवागमन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.
- शहरों के भीतर तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) टैंकरों के लिए "ग्रीन कॉरिडोर" का प्रावधान हो.
- अस्पतालों और संस्थानों का ऑक्सीजन निर्माताओं के साथ ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए दीर्घकालिक निविदा या अनुबंध है, जिस पर व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है. इसलिए, राज्यों को ऑक्सीजन की मुक्त आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए.
- निर्माताओं और आपूर्तिकर्ता को ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने के लिए देय बिलों का समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाये.
- बिजली आपूर्ति के बुनियादी ढांचे में सुधार और ऑक्सीजन विनिर्माण इकाइयों को बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए.
- ऑक्सीजन के भराव के लिए सिलेंडर भेजते समय प्रोटोकॉल के अनुसार ऑक्सीजन सिलेंडर का उचित तरीके से कीटाणुशोधन करना सुनिश्चित करें.
- ऑक्सीजन खरीद के लिए इस्पात संयंत्रों के साथ प्रभावी समन्वय होना चाहिए, क्योंकि ऑक्सीजन निर्माताओं के अलावा इस्पात संयंत्र लगभग550 मीट्रिक टन/प्रतिदिन ऑक्सीजन प्रदान करते हैं. ऑक्सीजन निर्माता 6400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन हर रोज़ प्रदान करते हैं.
14 सितंबर 2020
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक वर्चुअल बैठक आयोजित की जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, सचिव डीपीआईआईटी, सचिव फार्मास्यूटिकल्स, सचिव (वस्त्र) ने हिस्सा लिया. साथ ही प्रमुख राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य व उद्योग सचिवों ने भी भाग लिया. इस बैठक में राज्यों से सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्याप्त ऑक्सीजन की उपलब्धता और ऑक्सीजन को एक राज्य के भीतर और एक से दूसरे राज्य में ले जाना सुनिश्चित करने के लिए कहा गया.
राज्यों से जरूरत का आकलन करते रहने, उसके अनुसार ज्यादा टैंकरों को काम पर लगाने, ऑक्सीजन ले जाने वाले अन्य वाहनों को भी तैयार करने, समय कम लगने के लिए कदम उठाने को कहा गया ताकि मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी का सामना न करना पड़े.
राज्यों को विशेष रूप से ये सलाह दी गई:-
-सुविधा/अस्पताल के हिसाब से ऑक्सीजन इन्वेंट्री प्रबंधन और समय पर फिर से आपूर्ति के लिए अग्रिम योजना तैयार रखें जिससे स्टॉक खत्म न हो.
-सुनिश्चित करें कि राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के बीच मेडिकल ऑक्सीजन की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध न लगाया जाए.
-शहरों के भीतर तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) टैंकरों के लिए 'ग्रीन कॉरिडोर' का प्रावधान किया जाए. ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए क्रायोजेनिक टैंकरों की रियल टाइम निगरानी की जाए.
-अर्गोन और नाइट्रोजन ले जाने वाले टैंकरों को भी इस काम में लगाया जाए जिससे ऑक्सीजन पहुंचाने वाले वाहनों की संख्या बढ़ाई जा सके.
-ऑक्सीजन निर्माताओं के साथ ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए दीर्घकालिक निविदा/अनुबंध वाले अस्पतालों और संस्थानों को सम्मानित किए जाने की आवश्यकता है. राज्यों को ऑक्सीजन की मुक्त आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए.
-ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने के लिए निर्माताओं और आपूर्तिकर्ता के देय बिलों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करें.
-बिजली आपूर्ति के बुनियादी ढांचे में सुधार और ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयों को निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें.
-अस्पताल की भंडारण क्षमता में सुधार और उन एमएसएमई इकाइयों की पहचान करें, जिनकी भंडारण क्षमता का उपयोग ऑक्सीजन स्टोर करने के लिए किया जा सकता है.
-ऑक्सीजन की खपत का ऑडिट करें, सुनिश्चित करें कि ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों को ही यह दिया जाए और अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण रिसाव को रोका जाए.
-ऑक्सीजन को भरने के लिए सिलेंडर भेजते समय प्रोटोकॉल के अनुसार ऑक्सीजन सिलेंडर का उचित कीटाणुशोधन सुनिश्चित करें.
-ऑक्सीजन खरीद के लिए इस्पात संयंत्रों के साथ बेहतर समन्वय बनाएं क्योंकि इस्पात संयत्र लगभग 550 एमटी/दिन ऑक्सीजन उपलब्ध कराते हैं, जो ऑक्सीजन उत्पादकों के 6400 एमटी/दिन के अतिरिक्त है.
-औद्योगिक ऑक्सीजन का पहले से उत्पादन करने वालों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए.
19 सितंबर 2020
वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ कोविड प्रबंधन की स्थिति और ऑक्सीजन की उपलब्धता तथा उपयोग की समीक्षा की. कोविड-19 महामारी के प्रभावी नियंत्रण और प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार की समन्वित रणनीति के एक हिस्से के रूप में कैबिनेट सचिव द्वारा एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की गई. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य), केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के विभाग के सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी तथा 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों ने इस समीक्षा बैठक में भाग लिया.
इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में भाग लेने वाले 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, चंडीगढ़, तेलंगाना, केरल, दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल शामिल थे. देश में कोविड के लगभग 80 प्रतिशत मामले इन्हीं राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ही हैं.
वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने भी इन राज्यों को संबोधित किया और इन प्रदेशों में ऑक्सीजन की उपलब्धता की समीक्षा की. केंद्रीय मंत्री ने राज्यों से विशेष रूप से अनुरोध किया कि वे जिला स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति का विश्लेषण करने पर अपना ध्यान केंद्रित करें और ऑक्सीजन की उपलब्धता से संबंधित लॉजिस्टिक संबंधी मुद्दों की प्रभावी रूप से योजना बना कर प्रबंधन करें.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में किए जा रहे परीक्षणों की संख्या, उनकी सकारात्मकता दर और उनकी औसत दैनिक सीएफआर, स्वास्थ्य अवसंरचना की उपलब्धता और तथा जिलेवार ऑक्सीजन की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने के लिए कोविड-19 की विस्तृत स्थिति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की.
21 सितम्बर 2020
सड़क परिवहन मंत्रालय ने मार्च 2021 तक के लिए ऑक्सीजन ले जा रहे वाहनों के लिए परमिट की अनिवार्यता से छूट देने का फैसला किया. इसके लिए वाहनों को मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 66 के तहत परमिट की अनिवार्यता से छूट दी गई क्योंकि कोविद19 महामारी में ऑक्सीजन एक आवश्यक सामग्री है.
23 सितंबर 2020
कोविड-19 महामारी और अल्प सूचना पर अधिक मात्रा वाले क्षेत्रों से कम मात्रा वाले क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में तत्काल ऑक्सीजन को स्थानांतरित करने की आवश्यकता के मद्देनजर, घरेलू परिवहन में तरल ऑक्सीजन के आवागमन के लिए आईएसओ कंटेनरों को अनुमति देने की जरूरत महसूस की गई. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) को घरेलू परिवहन के लिए तरल ऑक्सीजन के आवागमन हेतु आईएसओ टैंक कंटेनरों का प्रयोग करने की अनुमति दे दी है.
कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी को देखते हुए, सड़क नेटवर्क के माध्यम से देश के भीतर आईएसओ कंटेनरों से ऑक्सीजन की सुरक्षित और त्वरित आवाजाही में वृद्धि होगी. घरेलू आवाजाही के लिए आईएसओ टैंक कंटेनरों को प्रयोग में लाने का प्रस्ताव डीपीआईआईटी द्वारा क्रायोजेनिक ऑक्सीजन निर्माताओं के साथ परामर्श बैठक के पश्चात लिया गया. इस संदर्भ में, हितधारकों से भी विचार-विमर्थ किया गया. वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए प्रारंभिर तौर पर यह अनुमति एक वर्ष के लिए दी गई है.
इस संदर्भ में, पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) ने ऑक्सीजन के लिए आईएसओ टैंक कंटेनरों की शीघ्रता से अनुमति देने के लिए हितधारकों से ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करने हेतु एक मानदंड तैयार किया है. आईएसओ टैंक आईएसओ मानक (अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन) के लिए निर्मित एक टैंक कंटेनर है. आईएसओ टैंकों को भारी मात्रा में तरल पदार्थ ले जाने के लिए निर्मित किया गया हैं. टैंक स्टेनलेस स्टील से बना होता है और विभिन्न प्रकार की सुरक्षात्मक परतों से घिरा होता है आईएसओ टैंकर 20 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन ले जा सकता है. चूंकि आईएसओ कंटेनर एक बार में काफी मात्रा में ऑक्सीजन ले जा सकते हैं इसलिए यह आवश्यकता वाले क्षेत्रों में पर्याप्त ऑक्सीजन को पहुँचाने में सहायता करेंगे.
कोविड-19 की मौजूदा स्थिति की वजह से देश में मेडिकल ऑक्सीजन (एमओ) की मांग बढ़ी है, ऐसे में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है.कई राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश इसके लिए अन्य राज्यों और केन्द्रशासित प्रदशों पर निर्भर हो गए हैं.
केन्द्र सरकार कोविड के इस समय में मेडिकल ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है. मेडिकल ऑक्सिजन आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूचि एनएलईएम में शामिल है.राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा निर्धारित इसकी अधिकतम मौजूदा कीमत 17.49 घन मीटर है लेकिन लिक्विड ऑक्सीजन की ऐसी कोई कीमत निर्धारित नहीं होने की वजह से निर्माताओं ने ऑक्सीजन सिलेंडरों की रिफिलिंग के दाम बढ़ा दिए. कोविड के दौरान सिलेंडरों के जरिए मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई जिससे लिक्विड ऑक्सीजन की कीमतों को नियंत्रित करना आवश्यक हो गया .
ऑक्सीजन सिलेंडरो की उपलब्धता और लिक्विड ऑक्सीजन के मूल्य निर्धारण के विषय पर सरकार के अधिकारप्राप्त समूह द्वारा निरंतर विचार किया जा रहा था. अधिकार प्राप्त समूह ने मेडिकल आक्सिजन सिलेंडरों के भराव के लिए इसके कारोबारियों को लिक्विड ऑक्सिजन की आपूर्ति उचित मूल्य पर सुनिश्चित करने के लिए इसकी एक्स फैक्ट्री कीमतें तय करने का एनपीपीए को सुझाव दिया थाताकि इनकी पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चत हो सके.
स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 23 सितंबर 2020 को लिखे पत्र के जरिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 10 (2) (एल) के तहत प्राप्त शक्तियां एनपीपीए को हस्तांतरित करते हुए लिक्विड ऑक्सीजन तथा मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडरों में इनके भराव की कीमत निर्धारित करने का अधिकार दे दिया.
प्राधिकरण ने 25.09.2020 को आयोजित अपनी विशेष बैठक में इस मामले पर विचार-विमर्श किया. महामारी के कारण उत्पन्न होने वाली स्थिति से निपटने के लिए सार्वजनिक हित मेंऔषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ 13)के पैरा 19 और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 10 (20) (एल) के तहत प्रदत्त असाधारण विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए निम्नलिखित उपाय करने का फैसला लिया गया :
निर्माताओं के स्तर पर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमाओ ) का एक्स फैक्ट्री मूल्य 15.22 रुपए प्रति घन मीटर निर्धारित करना जिसमें जीएसटी शामिल नहीं है ; तथा
लिक्विड ऑक्सिजन सिलेंडरों की मौजूदा 17.49 रुपए प्रति घन मीटर की कीमत खत्म कर इनका भराव करने वाले कारोबारियों के स्तर पर इनकी एक्स-फैक्ट्री कीमत 25.71रुपए प्रति घन मीटर तय करना, जिसमें जीएसटी शामिल नहीं है. राज्यों द्वारा इसकी परिवहन लागत अलग से निर्धारित होगी . यह व्यवस्था अगले छह महीने तक के लिए होगी .
उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए ऑक्सीजन की खरीद के लिए राज्य सरकारों के मौजूदा अनुबंध, वर्तमान रूप में में जारी रहेंगे. एलएमओ और ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की एक्स-फैक्ट्री कीमतों की तय सीमा घरेलू उत्पादन के मामले में ही लागू होगी. उपरोक्त उपाय अस्पतालों के स्तर पर तथा विशेष रूप से दूर दराज के इलाकों में ऑक्सीजन सिलेंडरों के माध्यम से उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चत करेंगे.
05 जनवरी 2021
प्रधानमंत्री के आपात स्थिति नागरिक सहायता और राहत (पीएम केयर्स) फंड ट्रस्ट ने देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अतिरिक्त 162 समर्पित प्रेशर स्विंग एडसोर्पश्न (पीएसए) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.
- परियोजना की कुल लागत में संयंत्रों की आपूर्ति और कमीशनिंग और केन्द्रीय चिकित्सा आपूर्ति स्टोर (सीएमएसएस) के प्रबंधन शुल्क के लिए137.33 करोड़ रुपये और व्यापक वार्षिक रखरखाव अनुबंध के लिए 64.25 करोड़ रुपये शामिल हैं.
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था- केन्द्रीय चिकित्सा आपूर्ति स्टोर (सीएमएसएस) द्वारा खरीद की जाएगी .
- कुल154.19 मीट्रिक टन क्षमता वाले 162 संयंत्र 32 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों [अनुलग्नक- I] में लगाए जाने हैं.
- जिन सरकारी अस्पतालों में ये संयंत्र स्थापित किए जाने हैं, उनकी पहचान संबंधित राज्यों / संघ शासित प्रदेशों के परामर्श से कर ली गई है.
- संयंत्रों की पहले3 साल की वारंटी होती है. अगले 7 वर्षों के लिए, परियोजना में सीएएमसी (व्यापक वार्षिक रखरखाव अनुबंध) शामिल है.
- नियमित ओ और एम अस्पतालों / राज्यों द्वारा किया जाना है. सीएएमसी की अवधि के बाद, पूरा ओ और एम अस्पतालों / राज्यों द्वारा वहन किया जाएगा.
- इस व्यवस्था से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और मजबूत होगी और किफायती तरीके से चिकित्सा ऑक्सीजन की उपलब्धता की दीर्घकालिक व्यवस्थित वृद्धि हो सकेगी. ऑक्सीजन की पर्याप्त और निर्बाध आपूर्ति कोविड-19 के औसत और गंभीर मामलों के प्रबंधन के लिए एक आवश्यक पूर्व-आवश्यकता है, इसके अलावा कई अन्य चिकित्सा स्थितियों में भीइसकी आवश्यकता होती है. स्टोर और आपूर्ति की प्रणाली पर स्वास्थ्य सुविधा की निर्भरता को कम करने और इन सुविधाओं को अपनी ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता का अधिकार प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में पीएसए ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर संयंत्रों की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे न केवल राज्यों / संघ शासित प्रदेशों के कुल ऑक्सीजन उपलब्धता पूल में वृद्धि होगी, बल्कि इन सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में रोगियों को समय पर ऑक्सीजन सहायता प्रदान करने में भी सुविधा होगी.
25 मार्च 2021
सीएसआईआर-सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, दुर्गापुर ने मॉडूलर रूप में समेकित म्युनिसपल ठोस अपशिष्ट निपटान प्रणाली, ऑक्सीजन इनरिचमेंट यूनिट तथा इंटेलिजेंट यूवीसी एलईडी स्टेरिलाइजर यूनिट नामक अपनी कोविड संबंधित टेक्नोलॉजी 24-03-2021 को क्रमशः तमिलनाडु के तूतीकोरिन स्थित मैसर्स साई इनविरो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड (एसईईपीएल), तेलंगाना के रंगारेड्डी स्थित मैसर्स जेन मेडिकल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड तथा नई दिल्ली स्थित मैसर्स ट्रिनिटी माइक्रोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी.
15 अप्रैल 2021
मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता पर अपडेट
- अधिकार प्राप्त समूह-2 ने ऑक्सीजन स्रोतों के लिए उच्च दबाव वाले12 राज्यों के लिए मानचित्रण शुरू किया
- अतिरिक्त50,000 एमटी मेडिकल ऑक्सीजन का आयात होगा
कोविड के दौरान आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और ऑक्सीजन की उपलब्धता की समीक्षा करने के लिए अधिकार प्राप्त समूह-2 (ईजी 2) की बैठक हुई. बैठक के तीन महत्वपूर्ण फैसले इस प्रकार हैं-
- उच्च दबाव वाले12 राज्यों के लिए ऑक्सीजन स्रोतों का मानचित्रण – कोविड प्रभावित रोगियों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन एक महत्वपूर्ण घटक है. विशेष रूप से सबसे ज्यादा सक्रिय मामलों वाले 12 राज्यों में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बढ़ रही है. इन राज्यों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं. हालांकि, महाराष्ट्र में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग राज्य की कुल उपलब्ध उत्पादन क्षमता से ज्यादा पहुंच जाने का अनुमान है, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मेडिकल ऑक्सीजन की अपनी मांग पूरी करने के लिए कोई उत्पादन क्षमता मौजूद नहीं है. इसके अलावा, ऑक्सीजन उत्पादक अन्य राज्यों जैसे गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान आदि में भी मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में भी बढ़ोतरी का रुझान है.
कोविड मामलों में बढ़ोतरी के अगले कुछ हफ्तों के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति के बारे में राज्यों के सामने स्थिति स्पष्ट करने और भरोसा दिलाने के लिए, अधिकार प्राप्त समूह-2 के निर्देशों के अनुरूप डीपीआईआईटी, एमओएचएफडब्ल्यू, इस्पात मंत्रालय, गंभीर रूप से प्रभावित विभिन्न राज्यों, पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) के साथ ऑक्सीजन निर्माता, ऑल इंडिया इंडस्ट्रियल गैस मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (एआईजीएमए) के प्रतिनिधियों समेत अन्य हितधारकों के साथ संयुक्त रूप से मानचित्रण का काम किया गया. राज्यों की जरूरत पूरी करने के लिए मेडिकल ऑक्सीजन के स्रोतों और उनकी उत्पादन क्षमता का मानचित्रण किया गया और चिकित्सा ऑक्सीजन के स्रोतों के बारे में राज्यों के मार्गदर्शन के लिए एक सांकेतिक ढांचा (इंडिकेटिव फ्रेमवर्क) भी बनाया गया है.
इसके अनुसार, इन 12 राज्यों को 25 अप्रैल और 30 अप्रैल की अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए क्रमश: 4880 एमटी, 5619 एमटी और 6593 एमटी मेडिकल ऑक्सीजन के लिए सूचित किया गया है. एमओएचएफडब्ल्यू इस बारे में आदेश जारी कर रहा है और इसे एमएचए (गृह मंत्रालय) की ओर से अधिसूचित किया जाएगा.
ii.पीएसए प्लांट लगाने के लिए अन्य 100 अस्पतालों की पहचान: प्रेशर स्विंग एडजॉर्ब्सन (पीएसए) प्लांट्स निर्मित ऑक्सीजन और अस्पतालों को मेडिकल ऑक्सीजन की अपनी जरूरत पूरी करने में आत्मनिर्भर बनाने और मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए नेशनल ग्रिड पर दबाव घटाने के लिए. पीएम केयर्स फंड के तहत मंजूरी पाने वाले 162 पीएसए प्लांट्स का 100 फीसदी काम तय समय से पहले पूरा करने के लिए बहुत नजदीक से समीक्षा की जा रही है, ताकि दूर-दराज के अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन की उनकी स्वयं की क्षमता बढ़ायी जा सके. ईजी2 ने गृह मंत्रालय को पीएसए प्लांट्स स्थापित करने की मंजूरी देने पर विचार करने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों में 100 अन्य अस्पतालों की पहचान करने का निर्देश दिया है.
iii. 50,000 एमटी मेडिकल ऑक्सीजन का आयात: मेडिकल ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए, ईजी2 ने 50,000 एमटी मेडिकल ऑक्सीजन का आयात करने के लिए एक टेंडर जारी करने का निर्णय लिया है. एमओएचएफडब्ल्यू को इस टेंडर को अंतिम रूप देने और इसके अलावा विदेश मंत्रालय के दूतावासों के माध्यम से मेडिकल ऑक्सीजन का आयात करने के लिए संभावित स्रोतों का पता लगाने के लिए के लिए निर्देश दिया गया है.
ईजी2 मेडिकल ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति की स्थिति की लगातार निगरानी कर रहा है, ताकि मेडिकल ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति में मदद करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने को सुनिश्चित किया जा सके.
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