नई दिल्ली: शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शन को अब 3 महीने हो चले हैं. अभी भी महिलाएं इस प्रदर्शन में डटी हुई हैं. हालांकि संख्या पहले से कम ज़रूर दिख रही है. महिलाओं ने अब 5 लोगों के ग्रुप में बैठना शुरू कर दिया है.इसी बीच भारत में कोरोना और इसका खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है जो एक चिंताजनक स्थिति है. एक ओर पूरे देश में इस महामारी को लेकर डर बैठा हुआ है, पूरे देश में बंद की स्थति है तो वहीं शाहीन बाग़ की महिलाओं का प्रदर्शन जारी है.


बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा करते हुए कहा था कि 31 मार्च तक राजधानी दिल्ली में किसी भी रीजन में 50 से ज़्यादा लोग एकजुट नहीं हो सकते. हालांकि शाहीन बाग़ में केजरीवाल के इस आदेश का असर नहीं दिख रहा है. महिलाओं ने इस आदेश का भी तोड़ निकाल लिया है.दरअसल शाहीन बाग़ में महिलओं ने कुछ-कुछ दूरी पर पलंग बिछा लिए हैं और हर पलंग पर बस 5 महिलाएं ही बैठ रही हैं.


शाहीन बाग की महिलाओं का यह कहना है कि कोरोनावायरस जानलेवा है लेकिन यह खतरा जो उनके नजरिए में नागरिकता संशोधन कानून से है वह भी उतना ही जानलेवा है. ऐसे में उन्होंने कहा है कि वह किसी भी वजह से पीछे नहीं हटेंगी. इतना ही नहीं प्रदर्शनकारी महिलाएं मास्क पहनकर और सैनिटाइज़र साथ रख कर प्रदर्शन कर रहीं हैं. बता दें, इन स्थानों पर संशोधित नागरिकता कानून, राष्ट्रीय नागरिक पंजी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ 15 दिसंबर से धरना जारी है.


राजधानी दिल्ली में कोरोना के खतरे के चलते मॉल, जिम, नाइट क्लब 31 मार्च तक बंद कर दिया गया है. प्रशासन हर तरह के कदम उठा रही है ताकि कोरोना वाइरस का संक्रमण रोका जा सके. यहां तक कि 50 लोगों से ऊपर वाली राजनीतिक या धार्मिक कार्यक्रमों को भी अनुमति नहीं दी गई है.


शाहीन बाग में पहले ही महिलाओं ने यह साफ कर दिया था कि चाहे कोरोना वायरस का खतरा ही क्यों ना हो जब वो इतनी ठंड और बारिश में भी बैठी रहीं तो अभी भी वह प्रदर्शन में डटी रहेंगी. उनका कहना था कि उनके पास हर तरीके की मेडिकल सुविधाएं हैं. यहां समय-समय पर लोगों को सैनिटाइज़र भी दिया जा रहा है. वह प्रदर्शन स्थल पर लगभग 94 दिनों से डटी हुई हैं.