Coronavirus 3rd Wave: कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में सबसे ज्यादा क्यों आ रहे हैं बच्चे? क्या हैं इसके लक्षण
Coronavirus in Childrens: अगर संक्रमित बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ तो उनकी जरूरत के मुताबिक अस्पताल और दूसरी जरूरी चीजों का इंतजाम बहुत बड़ी चुनौती हो सकती है.
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Coronavirus in Childrens: देश में जानलेवा कोरोना वायरस की तीसरी लहर का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. इस लहर का एक और डरावना पहलू बच्चों में बढ़ता संक्रमण है. पहली और दूसरी लहर की तुलना में इस बार बच्चों के कोरोना संक्रमित होने की मामले ज्यादा आ रहे हैं. अब सवाल ये है कि इस लहर में बच्चों के ज्यादा संक्रमित होने की वजह क्या है और उन्हें कैसे बचाया जाए.
देश के अलग अलग हिस्सों से पिछले 15 दिनों में कुछ ऐसी रिपोर्ट आई, आपकी चिंता बढ़ा सकती है. 22 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के नदिया जिला में एक ही स्कूल के 29 बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इसके 6 दिन बाद बिहार के शेखुपुरा में 18 बच्चों के पॉजिटिव होने की खबर आई. इसी दिन हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में दो स्कूलों के 36 बच्चे पॉजिटिव मिले. नए साल के दूसरे ही दिन उत्तराखंड के एक स्कूल में 82 बच्चों के कोरोना पॉजिटिव होने से हडकंप मच गया.
कोराना के शिकार बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा
देश का कोई भी कोना हो, इस लहर में बच्चे भी कोरोना का शिकार हो रहे हैं. मध्य प्रदेश के इंदौर में तो हालत ये है कि पिछले 2 महीने में 241 बच्चों को कोरोना अपनी गिरफ्त में ले चुका है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में बच्चे काफी हद तक बचे रहे. कहा गया कि बच्चों में व्यस्कों की तुलना में इम्युनिटी ज्यादा अच्छी होती है, लेकिन इस बार ये सुरक्षा कवच भी ढहता दिखाई दे रहा है. जिन शहरों में संक्रमितों की संख्या ज्यादा है, वहां कोराना के शिकार बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है.
मुंबई में पिछले एक महीने में 3 हजार 516 बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं. महाराष्ट्र में बच्चों के लिए कोरोना की स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गई है, जो बच्चों में कोरोना के संक्रमण पर नजर बनाए हुए है. इस टास्क फोर्स का भी मानना है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरा का संकेत दे रही है. बच्चों में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अब डॉक्टर्स ये पता लगाने की कोशिश में हैं कि इसकी वजह क्या है. जानकारों का मानना है कि इसके पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण है.
स्कूल कॉलेज का खुलना भी बच्चों में संक्रमण फैलना की एक बड़ी वजह
जानकारों के मुताबिक, अब लगभग सभी घरो में व्यस्कों को टीके लग चुके हैं, इसलिए उनमें संक्रमण के बाद भी लक्षण नहीं आता, लेकिन इनसे अनजाने में ही घर के बच्चे संक्रमित हो जाते हैं, जो वैक्सिनेटेड नहीं है. दूसरी वजह ये भी है कि अब ज्यादातर व्यस्क टीका लगवा चुके हैं और बच्चों को टीका नहीं लगा है. इसलिए उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. साथ ही ओमिक्रोन की संक्रमण दर पिछले सभी वेरिएंट से ज्यादा होने के कारण भी बच्चे शिकार हो रहे हैं. इस बीच देशभर में स्कूल कॉलेज का खुलना भी बच्चों में संक्रमण फैलना की एक बड़ी वजह मानी जा रही है.
हांलाकि राहत की बात ये है कि अब तक देशभर में जितने भी बच्चे संक्रमित हुए हैं, उनमें ज्यादातर माइल्ड सिम्टम ही नजर आए हैं. इक्का दुक्का मामलो में ही बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी है. इसके बावजूद एक्सपर्ट लापरवाह न बरतने की चेतावनी दे रहे हैं.
बच्चों में कोरोना के लक्षण को कैसे पहचाने?
कोरोना का बढ़ता ग्राफ और इसमें शिकार होते बच्चे, हर माता-पिता के लिए खतरे की घंटी है. ओमिक्रोन की संक्रमण दर इस खतरे को और बढ़ाती है, क्योंकि अगर बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ तो उनकी जरूरत के मुताबिक, अस्पताल और दूसरी जरूरी चीजों का इंतजाम बहुत बड़ी चुनौती हो सकती है. बच्चों में कोरोना के मामले हर माता-पिता को डरा रहे हैं, इसलिए ये जानना भी जरूरी है कि हम बच्चों में कोरोना के लक्षण को कैसे पहचाने.
बच्चों में कोरोना के लक्षण
- बुखार का बने रहना
- त्वचा पर लाल निशान
- आंखें लाल होना
- शरीर या जोड़ों में दर्द
- उल्टी होना
- पेट संबंधी परेशानी
- होठों का सूखना
- होठ और चेहरे का नीला पड़ना
- चिड़चिड़ापन
- थकान, सुस्ती और ज्यादा नींद
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