नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए लगातार सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में भारत में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के लिए 5 लाख किट कल भारत पहुंच गई हैं. इन किटों के ज़रिए अगले दो दिनों में देश में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट शुरू कर दिए जाएंगे. हालांकि इन टेस्ट किटों के जरिए ये पता नहीं लगाया जा सकता है कि कोई कोरोना संक्रमित है या नहीं.
आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉक्टर रमन गंगाखेड़कर ने बताया कि इन किटों का इस्तेमाल मुख्य तौर पर उन इलाकों में किया जाएगा जहां कोरोना के मामले ज़्यादा निकले हैं. गंगाखेड़कर ने साफ़ किया कि रैपिड टेस्ट से इस बात का पता नहीं चलता कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं. उनके मुताबिक़ इस टेस्ट का मुख्य मक़सद ये पता लगाना होता है कि जिस व्यक्ति का टेस्ट हुआ उसमें इस बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का विकास हुआ है या नहीं. गंगाखेड़कर के मुताबिक़ अगर किसी व्यक्ति में एंटीबॉडी का विकास हुआ है तो साधारण तौर पर ये माना जाता है कि किसी समय वो कोरोना से संक्रमित हुआ है.
उन्होंने बताया कि इस टेस्ट से आए परिणाम का इस्तेमाल उन इलाकों में निगरानी में सहायक होगा जिन इलाकों में ज़्यादा मामले सामने आए हैं. गंगाखेड़कर के मुताबिक़ इस टेस्ट से उन लोगों की पहचान करने में मदद मिलेगी जो कभी किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आया हो लेकिन उसमें बीमारी के लक्षण नहीं हैं.
दरअसल अगर कोई व्यक्ति किसी वायरस से संक्रमित होता है तो उसका शरीर उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप एंटीबॉडी बनाता है. इस टेस्ट से उन्हीं एंटीबॉडी का पता चल सकेगा. गंगाखेड़कर के मुताबिक़ ज़्यादा संक्रमण वाले इलाकों में उन लोगों की भी जांच हो सकेगी जो साधारण फ्लू और सर्दी जुखाम के रोगी हैं. अगर टेस्ट निगेटिव आता है तो फिर कोरोना का पता लगाने वाले आर टी पीसीआर टेस्ट किया जाएगा.