मुंबई: मुंबई में 7 मुस्लिम युवकों ने 800 शवों के अंतिम संस्कार करके हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एक बेहद उम्दा मिसाल पेश की है. देश में कोरोना संक्रमित रोगियों की बढ़ती संख्या ने लोगों में इतना डर बिठा दिया है कि आम नागरिक अब अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए भी जाने से बच रहे हैं. ऐसी स्थिति में, मुंबई में 7 मुस्लिम भाइयों ने समाज के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश किया है. इन 7 मुस्लिम भाइयों ने मुंबई सहित उपनगरों में 800 से अधिक शवों के दाह संस्कार किए.


पांच महीने पहले देश में आई कोरोना महामारी ने हज़ारों लोगों की जान ले ली. मुंबई देश का कोरोना कैपिटल बन गया. मुंबई में अबतक 5755 लोगों की कोरोना से मृत्यु हुई है. कोरोना संक्रमण के डर से कई लोगों अपने परिवार के व्यक्ति के भी अंतिम संस्कार में शामिल होने से इनकार कर देते है क्योंकि वे संक्रमित नहीं होना चाहते थे. मुंबई सहित उपनगरों में इस स्थिति को देखकर, बड़े कब्रिस्तान ने एक बड़ा फैसला लिया और मुंबई के विभिन्न स्थानों पर शवों के दाह संस्कार की जिम्मेदारी ली. पिछले चार महीनों में, बड़े कब्रिस्तान के सात सदस्यों द्वारा 800 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया गया है.


500 मुसलमानों और 300 हिंदुओं का अंतिम संस्कार किया गया


इस टीम के सदस्य इकबाल ममदानी ने एबीपी न्यूज़ को बताया ''शुरू में 7 लोगों द्वारा शुरू की गई इस पहल ने अब एक बड़ा आकार ले लिया है. 200 से अधिक युवा अब अभियान में शामिल हो गए हैं. इस सामाजिक कार्य के माध्यम से, 500 मुसलमानों और 300 हिंदुओं का अंतिम संस्कार किया गया. उल्लेखनीय है कि यह अभियान अब केवल मुंबई तक ही सीमित नहीं है बल्कि नवी मुंबई के तलोजा से लेकर पालघर जिले के मोखाड तक पहुंच चुका है.''


कोरोना वायरस की इस भयावह स्थिति का ग़लत फ़ायदा कुछ लोगों ने भी लिया. इस दौरान, एम्बुलेंस ड्राइवरों ने मुंहमांगी रक़म मांगी. इसी तरह की कई शिकायतें सामने आने के बाद, बड़े कब्रिस्तान ने पुरानी 7 एम्बुलेंसों का पुन: उपयोग शुरू कर दिया. इन एम्बुलेंस का इस्तेमाल करके निःशुल्क सेवा लोगों के लिए शुरू की गई.


कोरोना के कारण होने वाली मौतों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. कुछ दिनों पहले, यह पता चला था कि अस्पताल की मोर्चरी में दाह संस्कार करने वाला कोई नहीं था. ऐसी स्थिति में बड़ा कब्रिस्तान के सदस्यों द्वारा की गई पहल निश्चित रूप से सराहनीय है.