बेंगलुरूः देश भर में कोरोना वायरस का कहर जारी है. कई राज्य में ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. लेकिन आज आपको बताते हैं उस राज्य की कहानी जो केरल के बाद एक और नया उदाहरण बन कर उभर रहा है. वो राज्य जिसने सबसे पहले स्कूल कॉलेज समेत सभी तरह के इंस्टीट्यूट्स को बंद करवाया. जिसने अपना एक ऐसा वॉर रूम तैयार किया जिससे राज्य के चप्पे चप्पे पर नजर रखी जा सकें.


देश में कोरोना वायरस से पहली मौत भी इसी राज्य में हुई. लेकिन बावजूद इसके ये सुनिश्चित किया कि मरीजो की संख्या बढ़े नहीं. वो राज्य जिसने लॉक डाउन के बावजूद सबसे पहले छूट दी. वो राज्य जो अब सबसे पहले राज्य में मंदिरों को खोलने जा रहा है. जी हां हम बात कर रहे हैं कर्नाटक की, बेंगलुरू में अब तक 27,680 लोगों का Covid 19 टेस्ट किया जा चुका है जिसमें 0.1% ही पॉजिटिव पाए गए हैं. जो कि दर्शाता है कि किस तरह से बाकी शहरों जैसे चेन्नई, मुंबई, दिल्ली के मुकाबले बेंगलुरू काफी हद तक कोरोना वायरस को रोकने में कामयाब रहा है.


कर्नाटक के नंबर्स पर नजर डाले तो ये नंबर्स अधिकतर 2-3 जिलों से ज्यादा है. ऐसे में सवाल यह कि आखिर कैसे कर्नाटक covid 19 को रोकने में काफी हद तक कामयाब रहा. अधिकारियों का कहना है कि बाकी शहरों के मुकाबले बेंगलुरू ने कुछ खास अलग नहीं किया गया. यहां वक़्त रहते फैसले किए गए और उन फैसलों पर अमल किया गया. अब तक कर्नाटक 4T (Tracking, Tracing, Testing और Treating)पर काम कर रहा है. कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग पर कर्नाटक के अधिकारियों ने सबसे ख़ास ध्यान दिया. जिसके बाद प्राइमरी और सेकंडरी कॉन्टेक्ट को आइसोलेट किया गया. ताकि ये लोग दूसरों तक ना फैला सके.


इसके लिए कर्नाटक सरकार ने बकायदा एक एप्लीकेशन भी लॉन्च किया था. Quarantine Watch नाम का यह ऐप होम क्वॉरेंटाइन में रहने वाले लोगों पर खास नजर रखता है, और साथ ही इसकी जानकारी कर्नाटक के वॉर रूम तक पहुंचती है. जिससे कि कोई भी इसका उल्लंघन ना कर सके.


बेंगलुरु शहर की अगर बात करें तो अब तक महज़ 288 केस ही दर्ज हुए हैं. जबकि मुंबई में आंकड़ा 59546 पार पहुंच चुका है, दिल्ली में 16000 के पार और चेन्नई में 11000 के पार पहुंच चुका है. ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कर्नाटक किस हद तक इस वायरस को कंट्रोल करने में कामयाब रहा है. इसके लिए एक ऐसा वार रूम तैयार किया गया जहां से हर एक डेवलपमेंट पर नजर रखी जा सकें. एबीपी न्यूज बीबीएमपी के उसी वॉर रूम में पहुंचा. जहां हर जगह से इंफॉर्मेशन ली जाती है, उस एनालाइज किया जाता है और उसके अनुसार फिर कदम उठाए जाते हैं.


इसके लिए आईएएस ऑफिसर्स कि अलग अलग टीमें बनाई गई है. कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए डॉ एम लोकेश, इंप्लीमेंटेशन के लिए रवि कुमार सुरपुर, दाता अनालिसिस और मैनेजमेंट के लिए हेप्सिबा रानी कोर्लापती, क्वारांटिन फैसिलिटी के लिए बसवराज, कंटेन मेंट ज़ोन और क्वारांटिन सेंटर में वेस्ट डिस्पोजल के लिए डी रणदीप.


ये सारे अधिकारी और उनकी टीम रोज़ सुबह 6 से रात 11 बजे तक काम करते हैं. ताकि covid 19 जैसी महामारी को रोका जा सके. सीनियर आईएएस अधिकारी मनीष मौद्गिल इस पूरे वॉर रूम पर नजर रखें हुए हैं. साथ ही बताते है कि किस तरह से कर्नाटक आज एक एग्जाम्पल बना हुआ है.


वार रूम स्टाफ 24*7 तीन शिफ्ट में काम कर रहे हैं. जो संक्रमित है उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है, ताकि कहीं और फैल ना सकें. होम क्वारांटिन्न में रहने वालों पर भी खासी नजर रखी जा रही है. हर जगह से इंफॉर्मेशन कलेक्ट कर इस वार रूम में उस पर काम किया जाता है. वार रूम में हर इलाके की मैपिंग की गई है और उसे मॉनिटर किया जा रहा है. जिन शिकायतों पर अमल किया गया और जिन पर नहीं उनकी मार्किंग के जरिए पहचान की जाती है.


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