नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के 22 शहरों में रेलवे का रेल कोच कोविड केयर सेंटर लगाया जाएगा. इन 22 शहरों के 25 रेलवे स्टेशनों की वाशिंग लाईन के पास इन आइसोलेशन सेंटर को लगाया जाएगा. वाराणसी के तीन स्टेशनों पर और देवरिया के दो स्टेशनों पर इन्हें लगाया जाएगा जबकि बाक़ी शहरों के सिर्फ़ मुख्य रेलवे स्टेशन पर इन्हें रखा जाएगा. 13 तारीख़ तक तैयारियों की रिपोर्ट रेलवे बोर्ड के सामने पेश होगी.
कैसा होगा रेलवे का आइसोलेशन सेंटर
इस रेल कोविड केयरसेंटर में 10 नॉन एसी जनरल कोच हैं. प्रत्येक कोच में 16 मरीज़ों को रखा जाएगा. एक कोच में 9 कूपे होते हैं. 8 कूपों में मरीज़ों को रखा जाएगा. और एक कूपा मेडिकल स्टाफ़ के लिए होगा. यानी एक एक कूपे में 2 मरीज़ होंगे. इस तरह एक सेंटर में कुल 160 मरीज़ों के लिए बेड बनाए गए हैं. हर कोच में एक ऑक्सीजन सिलेंडर भी होगा. शेष मेडिकल इक्यूपमेंट, स्टाफ़ और सुविधाएं राज्य सरकार लगाएगी.
मेडिकल स्टाफ़ के लिए विशेष सुविधाएं
रेल कोच कोविड केयर सेंटर में डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ़ के लिए विशेषतौर से तीन एसी कोच लगाए गए हैं. हर 5 कोच के बाद एक एसी कोच लगाया गया है. यानी एक एसी कोच बीच में और एक-एक एसी कोच रेक के दोनों सिरों पर. इस तरह कुल 13 कोच से मिल कर बना यह एक रेक होगा जिसे रेल कोच कोविड केयर सेंटर का नाम दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के किन स्टेशनों पर लगेगा सीसीएस
मुग़लसराय, झांसी, गोरखपुर, वाराणसी सिटी, गोंडा, बरेली सिटी, मंडुआडीह, वाराणसी, बरेली जंक्शन, सहारनपुर, चोपन, नजीबाबाद, बलिया, मऊ, फ़ैज़ाबाद, ग़ाज़ीपुर सिटी, आज़मगढ़, नौतनवा, फ़र्रुख़ाबाद, भटनी, देवरिया, मिर्ज़ापुर, भदोही, बहराइच और कासगंज रेलवे स्टेशनों पर रेल कोच कोविड केयर सेंटर को लगाया जाएगा. इसे लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
देश में सबसे अधिक मांग उत्तर प्रदेश में
रेलवे के इन कोविड केयर सेंटरों की देश में सबसे पहली मांग दिल्ली सरकार ने की थी. लेकिन दिल्ली में सिर्फ़ एक रेक ही लगाई गई है. दिल्ली में ये कोविड केयर सेंटर शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन के पास लगाया गया है. लेकिन अब देश में इन कोविड केयर सेंटरों की सबसे ज़्यादा मांग वाला राज्य उत्तर प्रदेश हैं जहां एक साथ 25 रेक की मांग की गई है.
कोविड केयर सेंटर की शुरुआत
रेलवे ने कोविड केयर सेंटर बनाने की शुरुआत मार्च महीने में ही शुरू कर दी थी. पहले 20 हज़ार रेल कोच को आइसोलेशन कोच में बदलने की योजना थी लेकिन 5 हज़ार कोच को आइसोलेशन कोच में बदल देने के बाद भी जब किसी राज्य ने रेलवे के इन आइसोलेशन कोचों की मांग नहीं की तो आगे का काम रोक दिया गया. जब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग बढ़ने लगी तब रेलवे ने मेहनत से बनाए इन कोविड केयर कोचों में से 3 हज़ार कोचों को फिर से जनरल डिब्बों में बदलने का फ़ैसला किया. बचे हुए 2 हज़ार आइसोलेशन कोचों में से 26 कोचों का इस्तेमाल अब शुरू हो रहा है.
जनरल बोगी की गर्मी में कैसे रहेंगे मरीज़
यह एक ऐसी समस्या है जिसे देखते हुए पहले किसी राज्य ने इन रेल कोचों की मांग नहीं की थी. लेकिन अब रेलवे ने इस कोविड केयर रेक में न सिर्फ मेडिकल स्टाफ के लिए एसी कोच लगा दिया है बल्कि पूरी रेक को एक छायादार कॉरिडोर से जोड़ कर खड़ा किया है ताकि रेक में छाया बनी रहे और मरीज़ों तक पहुंच आसान हो.
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