श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में 4G मोबाइल सेवा शरू किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. यूनिवर्सिटी, मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी शिक्षा सेवाए बंद हैं और बहुत सारे दफ्तरों ने कर्मचारियों को घर से ही काम करने की सलाह दी है. लेकिन हाई स्पीड इंटरनेट नहीं होने से लोगों काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


कश्मीर युनिवर्सिटी ने अपने टीचर्स को बच्चों के लिए स्टडी मटेरियल वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं तो कुछ प्राइवेट स्कूल और कॉलेज ने वेब क्लास के जरिएये बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की है. लेकिन जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कारणों के चलते 4G मोबाइल इंटरनेट सेवाए बंद होने काफी दिक्कतें आ रही हैं.


श्रीनगर निवासी डॉ आबिद के अनुसार ऐसे संक्रमण के दौरान जहां लोगों से कम मिलने ही भलाई है तो इंटरनेट के जरिए लोगों से मिला जा सकता है. जिस तेजी से कोरोना फैल रहा है मुमकिन है कि आने वाले दिनों में सब को घर से काम करना पड़े. इसलिए 4G इंटरनेट पर लगा बैन हटना चाहिए.


जम्मू-कश्मीर के बीएसएनएल सबसे बड़ा ब्रॉडबैंड सेवाएं देने वाला सर्विस प्रोवाइडर है और इसके जम्मू कश्मीर में 45 हजार सब्सक्राइबर हैं. जबकि प्रदेश में प्री-पेड और पोस्ट पेड मोबाइल कि संख्या 70 लाख है और प्रतिबंध लगने से पहले यह सब हाई स्पीड का इस्तेमाल करते रहे हैं.


जम्मू कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल के अनुसार प्रदेश में 4G इंटरनेट सेवाएं कुछ कारणों से बंद की गई हैं और बदले हालात में इसकी समीक्षा होती रहती है, लेकिन फिलहाल सरकार ने अभी तक सेवा को बहाल करने पर कोई फैसला नहीं लिया गया है और सेवाओं के बारे में 31 मार्च को होने वाली बैठक में ही फैसला लिया जाएगा.


इससे पहले SAARC देशों की कोरोना वायरस को लेकर हुई चर्चा के बीच पाकिस्तान ने इस बात का मुद्दा बनाकर भारत को घेरने की कोशिश की थी. जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के फैसले से एक दिन पहले यानि 4 अगस्त 2019 से 4G सेवाएं बंद हैं. ब्रॉडबैंड और 2G सेवाएं जनवरी महीने में दोबारा शुरू की गईं लेकिन हाई स्पीड इंटररनेट पर प्रतिबंध जारी रखा गया है.


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