जोधपुर जेल में कोरोना के डर से आसाराम और पूर्व मंत्री समेत कई कैदी भूख हड़ताल पर बैठे
सेंट्रल जेल में कैदियों की संख्या 1375 के करीब है. कुछ को छोड़कर सभी ने मंगलवार को भूख हड़ताल की और सुबह जेल में बनाया हुआ खाना नहीं खाया. जेल के कैदियों का कहना है कि यहां कोरोना वायरस सुरक्षा के संबंध में नाम मात्र औपचारिकता के इंतजाम किए गए हैं. जेल एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां सबसे कम घनत्व में सबसे अधिक व्यक्ति रहते हैं.
जोधपुर: कोरोना वायरस की महामारी से भयभीत होकर दुनिया भर की जेल से कैदी रिहा हो रहे हैं तो कई जगह कैदी आमरण अनशन और भूख हड़ताल पर बैठ चुके हैं. आसाराम, पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा सहित कई नामचीन अपराधी जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं. सभी जोधपुर सेंट्रल जेल से बाहर आने की मांग करते हुए भूख हड़ताल पर बैठ चुके हैं.
सेंट्रल जेल में कैदियों की संख्या 1375 के करीब है. कुछ को छोड़कर सभी ने मंगलवार को भूख हड़ताल की और सुबह जेल में बनाया हुआ खाना नहीं खाया. यहां बंद विचाराधीन कैदियों ने कोरोना का अंत नहीं होने तक अंतरिम जमानत और सजायाफ्ता बंदियों ने पैरोल पर छोड़ने की मांग की है. हालांकि जेल प्रशासन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि आमरण अनशन पर बैठे अधिकांश ने अपनी उम्र का हवाला देकर देश द्रोहियों और आंतकवादियों के अलावा अन्य बंदियों से बॉण्ड भरवाकर या जो भी कानूनी गाइडलाइन है, उसके अनुसार घर भेजने की मांग की है.
जेल के कैदियों का कहना है कि यहां कोरोना वायरस सुरक्षा के संबंध में नाम मात्र औपचारिकता के इंतजाम किए गए हैं. जेल एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां सबसे कम घनत्व में सबसे अधिक व्यक्ति रहते हैं. जहां इंफेक्शन फैलने का खतरा बाहर से तकरीबन 1200 सौ गुना ज्यादा है. फिर भी प्रशासन द्वारा कैदियों की सुरक्षा में कोई इंतजाम नहीं है. उन्हें किसी प्रकार के सैनिटाइजर एवं मास्क उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. बैरिक के दरवाजे इत्यादि को सैनिटाइज नहीं किया गया है.
प्रशासन द्वारा कैदियों को किसी प्रकार का साबुन तक उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है. जेल चिकित्सक कैदियों को ढंग से चेक भी नहीं करते हैं, जिस कारण कैदी की उचित जांच नहीं हो पाती है. नए आने वाले कैदियों को वही पुराने कंबल दिए जाते हैं, जो कि बिना धोए हुए बिना सैनिटाइज किए हुए होते हैं. इससे इंफेक्शन फैलने का खतरा बहुत ज्यादा है. जेल में बाहर से ड्यूटी पर आने वाले कार्मिकों को बिना सैनिटाइज किए जेल में प्रवेश दिया जाता है.
इससे कैदियों के संक्रमित होने की पूरी संभावना है. केंद्रीय कारागृह जोधपुर में तकरीबन 40 से 50 कैदी ऐसे हैं, जो बुखार, गले में दर्द, खांसी, सिरदर्द की समस्या से पीडि़त हैं, लेकिन जेल चिकित्सक द्वारा उनको औपचारिक तौर पर चेक कर मात्र दवाइयां दी जा रही हैं. उनकी कोरोना की जांच नहीं करवाई जा रही है.
जोधपुर सेंटर जेल में दो कोरोना के संदिग्ध मरीज सामने आने पर जेल प्रशासन की ओर से उन्हें मथुरादास माथुर अस्पताल भेजा गया. वहां पर उनके सैंपल लिए गए हैं और दोनों कैदियों की सैंपल की रिपोर्ट का इंतज़ार हो रहा है.
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