Coronavirus: 1803 के बाद पहली बार जम्मू के पुंछ जिलें में नहीं मनाया जाएगा बैसाखी उत्सव
जम्मू में विभिन्न सिख संगठनों की एक बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मिति से यह फैसला लिया गया.बैसाखी पर हर साल जम्मू में रणबीर नहर के किनारे होने वाला पारम्परिक बैसाखी मेला भी रद्द कर दिया गया है.
जम्मू: इतिहास में 1803 के बाद इस साल ऐसा होगा कि जम्मू के पुंछ ज़िले में स्थित सिख समुदाय के पवित्र धार्मिक स्थल श्री गुरुद्वारा नंगली साहिब में बैसाखी उत्सव नहीं मनाया जायेगा. वहीं, जम्मू की रणबीर नहर के किनारे होने वाला परंपरागत बैशाखी मेला भी इस साल नहीं होगा.
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के जहां एक तरफ लॉकडाउन चल रहा है. वहीं दूसरी तरफ लोगों से सोशल डिस्टेन्सिंग बनाये रखने और समारोह न करने का आदेश भी प्रशासन ने जारी कर दिया है. जम्मू में विभिन्न सिख संगठनों की एक बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मिति से यह फैसला लिया गया कि इस साल बैशाखी के अवसर पर प्रदेश के किसी भी गुरुद्वारे में किसी भी तरह का त्यौहार नहीं मनाया जायेगा और सभी श्रद्धालुओं से यह अपील भी की गयी कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन किया जाये.
जम्मू के एक बड़े सिख नेता ने कहा कि धर्मगुरुओं के फैसले के मुताबिक सारी सिख संगत ने यह फैसला किया है कि बैशाखी पर सभी सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों को स्थगित किया जाये और सभी लोग अपने घरो में रह कर ही बैसाखी मनायें. उन्होंने बताया कि जिस तरह से कोरोना वायरस देश में पांव पसार रहा है और इसका संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है, इस महामारी से बचने के लिए सामाजिक दूरी बनाये रखना ज़रूरी है. वहीं, बैसाखी पर हर साल जम्मू में रणबीर नहर के किनारे होने वाला पारम्परिक बैसाखी मेला भी रद्द कर दिया गया है.
यह भी पढ़ें-
लॉकडाउन में दिखा दिल्ली पुलिस का मानवीय चेहरा, लेबर पेन के दौरान 354 महिलाओं को पहुंचाया अस्पताल