नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि दूसरे लॉकडाउन में भी साइबर अपराधियों ने ठगी की सैकड़ों वारदातों को अंजाम दिया है. दिल्ली में हजारों लोगों के साथ ठगी की गई और इस बार ठगी के लिए इन साइबर क्रिमिनल्स ने उन लोगों को निशाना बनाया, जिनके अपने कोरोना से लड़ रहे थे. साइबर अपराधियों ने ऑक्सीजन सिलेंडर और कोविड की दवाइयों के नाम पर लोगों को चूना लगाया. 


दिल्ली पुलिस ने इन शातिर ठगों से लोगों को बचाया भी. अगर आंकड़ों की बात करे तो दिल्ली पुलिस ने 1 करोड़ 19 लाख रुपये लोगों के डूबने से बचाए. दरअसल दूसरे लॉकडाउन के दौरान दिल्ली पुलिस ने एक साइबर फ्रॉड के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की थी. इसका मकसद था लोगों को इन साइबर क्रिमिनल्स से बचाना. जैसे ही साइबर हेल्पलाइन पर पुलिस को कोई ठगी की कॉल मिलती थी पुलिस एकाउंट से ट्रांसफर हुए पैसे को बैंक वालों से बात कर के रुकवा देती थी. यही, वजह है कि पुलिस ने 1 मई से लेकर 27 जून तक दिल्ली की जनता के 1 करोड़ 19 लाख रूपये ठगे जाने से बचाए.


दिल्ली पुलिस के पीआरओ चिन्मय बिस्वाल ने बताया कि इस दौरान पुलिस ने साइबर फ्रॉड के 595 मामले दर्ज किए और 231 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया. 301 वो बैंक एकाउंट सीज किए जिनमें ठगी का पैसा गया था.  इसके अलावा पुलिस ने 1136 डिवाइज को भी सीज किया. ये वो डिवाइज थीं जिनके जरिए लोगों के साथ ठगी की वारदातों को अंजाम दिया गया था. 


दिल्ली पुलिस के मुताबिक इस लॉकडाउन के दौरान पुलिस की 61 टीमों ने देश के अलग अलग राज्यों में रेड की. सबसे ज्यादा रेड बिहार और झारखंड में की गई. इसका मतलब साफ है कि बिहार और झारखंड के साइबर अपराधियों ने ठगी की ज्यादा वारदातों को अंजाम दिया. इसके अलावा हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश के अलग अलग इलाकों में रेड की गई. 


दिल्ली की रहने वाली हरीना के नाना को कोरोना हुआ था. दूसरी लहर में जब ऑक्सीजन सिलेंडर की मारामारी थी तो उस समय हरीना को अपने नाना के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की बेहद सख्त जरूरत थी. 2 मई को हरीना को एक मोबाइल नंबर मिला इस पर फोन करके हरीना ने ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग की तो फोन रिसीव करने वाले शख्स पंकज ने 7500 रुपये एक सिलेंडर के मांगे. हरीना ने 3 सिलेंडर की डिमांड की और उसके एवज में 15 हज़ार रुपये एडवांस भी पंकज नाम के एक शख्स को ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए. पंकज पहले तो हरीना को झूठे वादे करता रहा और उसके बाद आरोपी पंकज ने हरीना का फोन उठाना बंद कर दिया. उसके बाद इन्हें एहसास हुआ कि इनके साथ ठगी हो गई है.


दिल्ली की रहने वाली अमृता मलिक की मां को कोरोना की दूसरी लहर में दक्षिणी दिल्ली के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया. 27 अप्रैल को अस्पताल ने अमृता मलिक को कहा कि आपकी मां के लिए रेमेडेसिविर इंजेक्शन चाहिए, जिसके बाद अमृता ने व्हाट्सएप ग्रुप में आए एक नंबर पर संपर्क किया और ये भी ठगी की शिकार हो गईं. वो भी एक बार नहीं बल्कि 2 बार.


इनके जैसे सैकडों लोगों को सायबर अपराधियों ने चूना लगाया. हालांकि दिल्ली पुलिस का दावा है अब जब से कोविड के मामलों में कमी आई है और दिल्ली पुलिस की सख्ती और जागरूकता के चलते साइबर अपराध के मामलों में भी कमी आ गई है.


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