हम में से किसी का भी कोरोना वायरस से संक्रमित होना संभव है. रिसर्च से अब यह साबित हो गया है कि कुछ लोग कोविड-19 अधिक खतरनाक हो सकता है. हार्ट, ब्रेन, पाचन तंत्र और तंत्रिकाओं की रिसर्च रिपोर्ट बताती हैं कि रिकवर होने के बाद भी कोविड के आपके शरीर पर स्थायी प्रभाव हो सकता है. लॉ इम्युनिटी (प्रतिरक्षा) या क्रोनिक प्रोब्लम वाले लोगों को सबसे अधिक खतरा है.


एक रिसेंट स्टडी में यह भी पता चला है कि पहले से बीमार   लोग गंभीर संक्रमण की रिस्क रहती है. यह अनुमान लगाया जाता है कि विश्व स्तर पर कोविड से संबंधित 71 प्रतिशत मौतें व्यक्ति के पहले से चल रही बीमारियों की वजह से हुई.


इसलिए, गाइडलाइंस को हल्के में लेना और खुद को खतरे के सामने रखना एक गंभीर गलती हो सकती है. खासकर ऐसे व्यक्ति के हैं जो हाई रिस्क वाली कैटेगरी में है.


कुछ हेल्थ कंडीशंस में इम्युनिटी कम क्यों होती है


कुछ इंफेक्शियस नॉन-कम्युनिकेबल रोगों को इम्युनिटी को बाधित करने के लिए जाना जाता है. स्वास्थ्य संबंधी परिस्थितियों को कमजोर होने से आपका मेटाबॉलिज्म   प्रभावित हो सकता है और जर्म और वायरस को सिस्टम में प्रवेश करना आसान बनाता है. कुछ संक्रमण भी शरीर में हार्मोनल प्रोडेक्शन में हस्तक्षेप कर सकते हैं, जिससे यह प्रोपर इम्युन रिस्पॉन्स उत्पन्न करना सिस्टम के लिए और अधिक कठिन हो जाता है.


 बीमार होने पर खतरा ज्यादा


पिछले महीने एक बयान में एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि भारत में नॉन-कम्युनिकेबल रोगों के बर्डन से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. उनके अनुसार, भारत में हमारा क्लीनिकल एक्सपीरियंस यह है कि गंभीर बीमारी और कोविड -19 के रोगी में डेथ का खतरा अधिक है. हाइपरटेंशन, किडनी या डायबिटीज के रोगियों के लिए यह ज्यादा खतरनाक है.


मोटापा


मोटापा एक रिस्की हेल्थ कंडीशन है. इससे व्यक्ति में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग आदि हो सकते हैं. नए अध्ययनों से पता चला है कि अधिक वजन होने से व्यक्ति को कोविड से संबंधित अस्पताल में भर्ती होने और अधिक देखभाल जरूरत पड़ सकती है.


डायबिटीज


जब एक व्यक्ति को डायबिटीज है तो यह न केवल शरीर के रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित करता है बल्कि शरीर में इंसुलिन उत्पादन के स्तर पर भी कॉम्प्रोमाइज करता है.  कोविड ​​-19 होने पर इससे अधिक खतरा होता है. हाई सुगर लेवल वाले लोगों में रक्त का प्रवाह सामान्य से कम होता है. इससे शरीर के लिए पोषक तत्वों का हारनेस करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए, आमतौर पर डायबिटीज से पीड़ित लोगों को किसी भी बीमारी से ठीक होने में थोड़ा अधिक समय लगता है.


कैंसर


कैंसर से पीड़ित लोगों को कोविड-19 और संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर का जोखिम अधिक है. जिससे यह इन्हे सुपर हाई रिस्क कैटेगरी बनाता है. कैंसर आपके शरीर को बहुत अधिक कमजोरियों को एक्सपोज करता है और सबसे मह्त्पूवर्ण इम्युनिटी से समझौता करता है. कैंसर के ठीक होने में अधिक समय लगता है. आयु, कैंसर की स्टेज आदि चीजें इसको और अधिक कठिन बना सकते हैं.


हाईपरटेंशन


यदि आपका ब्लडप्रेशर अनियंत्रित हैं तो आप अपना ख्याल रखें और महामारी के दौरान किसी भी तरह का रिस्क न लें.  पिछले कुछ महीनों में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि उच्च रक्तचाप ( हाईपरटेंशन ) अकेले सबसे बड़े जोखिम कारकों में से एक है. हाई बीपी से हृदय संबंधी परेशानी होती है जो इस वायरस के खतरे को और बढ़ा देती है.


किडनी रोग


जो व्यक्ति किडनी रोग के किसी भी रूप से पीड़ित हैं या डायलिसिस कराते हैं, उन्हें इम्यूनोसप्रेसेन्ट के रूप में एडमिनिस्ट्रड किया जाता है ताकि शरीर दवाओं को रिजेक्ट न करे. इससे इम्युनटी कमजोर होती है और वायरल इंफेक्शन के होने की आशंका बढ़ जाती है. सीडीसी ने भी यह बात कही है कि किडनी की बीमारी के किसी भी स्तर के रोगी लिए कोविड घातक साबित हो सकता है.


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