देश मे कोरोना की दूसरी लहर आ गई है और लगातार कोविड 19 के मामलों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है. कोरोना की वजह से देश के कई राज्यो में सख्ती हो गई है. लेकिन इस बात ने व्यापारियों की चिंता बढ़ा दी है. व्यापारियों का कहना है कि इस साल भी होली का त्योहार देश भर के व्यापारियों के लिए बेरंग साबित होने वाला है.


कोविड में हुए लॉक डाउन के बाद इस साल होली से शुरू हो रहे उत्सव का देश के रिटेल सेक्टर को लंबे अरसे से इंतजार था और जरूरत भी. होली से ही साल के बड़े त्योहार की शुरुआत होती है और इस त्योहार पर लोग जम कर खरीदारी भी करते है. लेकिन इस बार जिस तेज़ी से कोरोना केसेस बढ़ रहे है उसको देखते हुए होली के त्योहार से पहले सख्ती के निर्देश जारी होने शुरू हो गए है. जिस वजह से ना तो बेफिक्र तरह से होली पर खरेदारी हो पाएगी, ना ही त्योहार पहले जैसे मनाया जा सकेगा, क्योंकि जब तक कोरोना का संकट रहेगा सावधानी ही बचाओ है.


हर साल चीन से होली पर करीब 10 हज़ार करोड़ का सामान होली के रंग और खिलौनों के रूप में भारत में बिकने के लिए इंपोर्ट किया जाता था. पिछले साल कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) द्वारा दीवाली पर चाइनीज़ समान के बहिस्कार के आह्वान को देश भर में भारी समर्थन मिला था और क्योंकि यह अभियान अभी जारी है जिसके चलते भारतीय व्यापारियों ने होली पर बिकने वाले सामानों की थोक में भारतीय सामान की खरीदारी शुरू कर दी थी.


व्यापारियों के पास जमा है बड़ा स्टॉक


चीनी सामानों के बहिष्कार के बाद बाजार में उतने समानो की आपूर्ति की तैयारियां भी जोरो पर थी, पर दिल्ली सरकार समेत सभी राज्यो में होली पर जारी किए गए निर्देशों के बाद देश भर के व्यापारी बेहद चिंतित है और होली के सामान का व्यापार करने वाले व्यापारियों के यहां स्टॉक का बड़ा अम्बार लग गया है. जिसका निपटारा फ़िलहाल कोविड के बढ़ते प्रकोप के कारण व्यापारियों को असम्भव ही नज़र आ रहा है .


कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की होली पर सामुहिक सभाओं, होली मिलन समारोह और गली नुकड़ो में इक्कठा हो कर जश्न मनाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है. ऐसे कार्यक्रमों से भी छोटे व्यापारियों को आर्थिक मुनाफा होता रहा है जिसपर अब अंकुश लग चुका है. अकेले दिल्ली में ही होली के मौके पर तकरीबन 3000 छोटे बड़े आयोजन किए जाते रहे है.


होली पर होता है करीब 25 हजार करोड़ का कारोबार


देश भर में तो ऐसे छोटे बड़े समारोह की संख्या लगभग 40 हज़ार के आस पास होती है , पर अब न तो होली का हुल्लड़ होगा न ही रंगों की मस्ती. इसके अलावा इस साल जब कोई सामाजिक कार्यक्रम ही नहीं होगा तो लोग घरों में ही रहना पसंद करेंगे. यही कारण है कि होली के एक हफ्ते पहले होने वाली खरीदारी में गिरावट है और बाज़ार सुनसान पड़े है. कैट के मुताबिक इस साल रंग, गुलाल और होली के खिलौनों की खरीद फरोख्त में तो दुकानदारो को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. मिठाई, नमकीन, हर्बल गुलाल, फूल और पूजा की सामग्री की खरीदारी होने की उम्मीद भी न के बराबर है. एक अनुमान के तहत देश मे हर साल करीब 25 हज़ार करोड़ का व्यापार होता था जिसमें अकेले सिर्फ दिल्ली में 1500 करोड़ का व्यापार होता था, जो इस बार भी कोरोना की वजह से बुरी तरह प्रभावित होगा.


दिल्ली सरकार द्वारा गाइडलाइंस में भी साफ साफ इस साल होली पर किसी भी प्रकार के सामाजिक जलसे या समारोह का आयोजन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भी मंगलवार को आदेश दिया कि होली, शब-ए-बारात, नवरात्रि आदि के अवसरों पर शहर में कोई सार्वजनिक उत्सव नहीं होगा. वहीं कल केंद्र सरकार की सलाह के बाद देश के प्रायः सभी प्रमुख राज्यों में कोविड गाइडलाइन जारी कर दी गई हैं जिसका व्यापार पर सीधा असर पड़ेगा.


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