नई दिल्ली: लॉक डाउन के दौरान लाखों की संख्या में मजदूरों के पलायन पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के पलायन की एक बड़ी वजह है डर और डर की वजह है झूठी खबरें यानी फेक न्यूज़. ऐसे में कोर्ट ने सरकार से फेक न्यूज़ फैलाने वालों के ऊपर सख्त कार्रवाई के लिए कहा.
आज की भी सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए हुई. चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े जस्टिस नागेश्वर राव के साथ अपने घर पर बने दफ्तर में बैठे. केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने दफ्तर से जजों को संबोधित किया. दोनों याचिकाकर्ता अलख आलोक श्रीवास्तव और रश्मि बंसल ने भी अपने अपने दफ्तर से ही जजों तक अपनी बात रखी.
कल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मजदूरों के पलायन पर रिपोर्ट देने को कहा था. आज सरकार की तरफ से रिपोर्ट रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि अब कोई भी सड़कों पर नहीं है 6 लाख 63 हज़ार लोगों को सरकारी इमारतों में ठहरा दिया गया है. 22 लाख 88 हजार लोगों तक भोजन, पानी और जरूरी वस्तुएं मुहैया करवाई जा रही हैं. 3 लाख से ज्यादा लोगों की स्वास्थ्य जांच हो चुकी है.
मजदूरों के पलायन के पीछे एक बड़ी वजह डर है
इस पर संतोष जताते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, “मजदूरों के पलायन के पीछे एक बड़ी वजह डर है. मैंने कल भी कहा था कि डर वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है.“ सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “हम मजदूरों की घबराहट को दूर करने के लिए उनके पास काउंसेलर भेजेंगे. देश के हर जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास प्रशिक्षित काउंसेलर हैं, जो लोगों को समझा सकते हैं.“ चीफ जस्टिस ने कहा, “सिर्फ काउंसेलर नहीं, बल्कि मजदूरों तक धार्मिक नेताओं को पहुंचाइए. सामाजिक नेताओं को बुलाइए. भजन-कीर्तन-नमाज करवाइए. लेकिन उनकी घबराहट को दूर करवाइए.“
इसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने जनवरी से लेकर अब तक कोरोना से निपटने के लिए सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों का ब्यौरा देना शुरू किया. उन्होंने कहा कि जनवरी में पूरे देश में सिर्फ पुणे की एक लैब में कोविड-19 की जांच की सुविधा थी. आज 118 लैब जांच कर रही है. इसे और बढ़ाया जा रहा है. काफी पहले देश में बाहर से आने वालों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई थी. आज हर तरह के यातायात को रोक दिया गया है, ताकि जो जहां है वही रहे. बीमारी ना फैले.
मेहता ने कोर्ट को बताया कि लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई जा रही है, जिसमें वरिष्ठ डाक्टर शामिल होंगे. यह कमेटी लोगों के सवालों का जवाब देगी. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि लोगों तक बात पहुंचाने के लिए रोज मीडिया के माध्यम से ब्रीफिंग होनी चाहिए. जस्टिस नागेश्वर राव ने कहा, “व्हाट्सएप, फेसबुक, टिक टॉक जैसे सोशल मीडिया के तमाम ऐप के ज़रिए लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए. सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि बहुत जल्द एक व्हाट्सएप नंबर उपलब्ध कराया जाएगा, जिसमें लोग कोरोना से जुड़े सवाल भेजकर जवाब हासिल कर सकेंगे.
जजों ने यह भी कहा कि लोगों तक कोरोना को लेकर जिस तरह की भ्रामक जानकारियां फैलाई गई, वह डर की एक बड़ी वजह थी. सरकार अपनी तरफ से सही जानकारियां लोगों तक पहुंचाने का बंदोबस्त करे, लेकिन साथ ही उन लोगों पर कार्रवाई हो जो झूठी खबरें फैला कर डर की वजह बन रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को झूठी खबर फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा है कि सरकार 24 घंटे के भीतर एक पोर्टल बनाए, जिससे लोगों को कोरोना के बारे में सभी जानकारियां मिल सकें. लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जाए. मजदूरों को जहां भी रखा गया है, वहां उनके भोजन, स्वास्थ्य और बाकी सुविधाओं का ध्यान रखा जाए. अस्पतालों में भी विशेष बंदोबस्त किया जाए, ताकि मरीजों की संख्या बढ़ने की स्थिति में इलाज की कोई दिक्कत ना आए.
जो लोग सरकार की बात को नहीं मान रहे, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई हो
केंद्र ने कोर्ट को बताया कि शहर से पलायन कर रहे हर 10 में से 3 व्यक्ति के संक्रमित होने का अंदेशा था. इसलिए, उन्हें रोकना ज़रूरी था. कोर्ट ने सरकार की इस बात पर सहमति जताई कि देश में किसी को भी इस समय सड़कों पर आने या एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा करके बीमारी फैलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. ऐसे में कोर्ट ने कहा है कि जो लोग सरकार की बात को नहीं मान रहे, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आज गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, पुदुचेरी जैसे राज्यों में बनाए गए शेल्टर होम की तस्वीरें दिखाईं. कर्नाटक और तेलंगाना समेत कई राज्यों में किए गए मेडिकल बंदोबस्त की जानकारी दी. कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि राज्य सरकारें केंद्र के साथ पूरे समन्वय से काम करेंगी. अगले मंगलवार को मामले पर फिर सुनवाई होगी.
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