नई दिल्ली: कोरोनावायरस से लड़ाई मे योगदान के लिए चुनाव आयोग भी आगे आया है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा समेत बाकी दोनों आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा ने अगले एक साल तक अपनी तनख्वाह से 30 फीसदी कट का ऐलान किया है.
चुनाव आयुक्तों ने ये फैसला स्वतः लिया है और उनकी सैलेरी कट का ये हिस्सा कोरोना वायरस से लड़ाई के राहत कोष में जाएगा. चुनाव आयोग ने इस बारे मे जानकारी देते हुए कहा कि ऐसा किया जाना इसलिए जरूरी है ताकि भारत के राजकोष पर संकट कि इस घड़ी में नकारात्मक प्रभाव ना पड़े.
कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों और संस्थाओं ने अपने अपने सैलेरी से प्रधानमंत्री राहत कोष और राज्य सरकारों के राहत कोष में कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए योगदान दिए हैं.
गौरतलब है कि सरकार ने सोमवार को प्रधानमंत्री समेत सभी कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया था और यह कटौती एक साल तक लिए है.
कटौती के बाद सांसदों की सैलेरी
संसद अधिनियम 1954 के वेतन, भत्ते और पेंशन के नवीनतम संशोधन जो 2018 में हुआ था उसके अनुसार एक सांसद की महीने की सैलेरी एक लाख है. लोकसभा के प्रत्येक मेंबर को पांच साल तक हर महीने एक लाख रुपये सैलेरी के रूप में मिलती है. वहीं राज्यसभा के सदस्य को इतनी ही सैलेरी हर महीने छह साल तक मिलता है क्योंकि राज्यसभा का कार्यकाल 6 साल का होता है. इस सैलेरी के अलावा प्रत्येक सांसद को 2000 रुपये हर दिन का भत्ता भी मिलता हैं.
अब सासंदों की सैलेरी एक लाख में से 30 प्रतिशत की कटौती के बाद उनको हर महीने अगले एक साल तक 70 हजार रुपये मिलेंगे.
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