(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Cipla ने लॉन्च किया नया RT-PCR टेस्ट किट, आज से 'Vira-Gen' बिक्री के लिए उपलब्ध
कोरोना वायरस की टेस्टिंग किट की श्रेणी में ViraGen सिपला की तीसरी पेशकश है. टेस्टिंग किट को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् की तरफ से मंजूरी मिली है. उसमें मल्टीप्लेक्स PCR तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
प्रमुख दवा निर्माता कंपनी सिपला की कोरोना वायरस का पता लगानेवाली टेस्टिंग किट आज से बाजार में उपलब्ध होगी. सिप्ला की RT-PCR टेस्ट किट को पिछले सप्ताह लॉन्च किया गया था. Ubio Biotechnology Systems की साझेदारी में सिपला ने 'ViraGen' नाम से आपूर्ति शुरू करने के लिए उतारा है.
सिप्ला ने उतारा ViraGen के नाम से टेस्टिंग किट RT-PCR
कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर उमंग वोहरा ने कहा, "सिप्ला कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में इलाज की पहुंच सुनिश्चित कराने के लिए अनथक काम कर रही है. ये साझेदारी देश भर में अधिक से अधिक लोगों तक चुनौतीपूर्ण समय में हमारी पहुंच को सक्षम बनाएगी." कोरोना वायरस की टेस्टिंग श्रेणी में ViraGen सिप्ला की तीसरी पेशकश है. किट को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् की तरफ से मान्यता प्राप्त है और मल्टीप्लेक्स पीसीआर तकनीक पर आधारित है.
ये मानक आईसीएमआर टेस्टिंग किट के मुकाबले 98.8 फीसद विशेषता और 98.6 फीसद संवेदनशीलता के साथ कोरोना वायरस की पहचान और पता लगाने में मदद करेगी. सिपला की एंटीबॉडी टेस्टिंग किट और एंटिजन टेस्टिंग किट के लिए पहले से ही साझेदारी है. पिछले साल उसने दिसबंर में ‘CIPtest’ के नाम से रेपिड एंटीजन टेस्टिंग किट लॉन्च किया था. पूर्व में कंपनी 'Elifast: SARS CoV-2 IgG ELISA' टेस्टिंग किट के नाम से लॉन्च कर चुकी है.
कंपनी ने बाजार में विपणन और वितरण की जिम्मेदारी उठाई
समाचार एजेंसी के मुताबिक, सिप्ला ने लॉन्च के बाद कहा, "इस लॉन्च से वर्तमान टेस्टिंग समस्याओं और क्षमता के मुद्दों को सुलझाने में मदद मिलेगी और कंपनी की पहचान के क्षेत्र में पुष्टि करेगी." कंपनी ने आगे बताया, इस टेस्ट किट को कोविड-19 के संदिग्ध लोगों से ऊपरी और निचली सांस के नमूनों में कोरोना वायरस के न्यूक्लिक एसिड अम्ल की गुणात्मक पहचान के लिए विकसित किया गया है. कोरोना वायरस के गुणात्मक पहचान के लिए इस्तेमाल की जानेवाली ViraGen का निर्माण Ubio Biotechnology Systems के जरिए होगा और विपणन और वितरण की जिम्मेदारी सिपला की उसके विस्तृत वितरण नेटवर्क के जरिए देश में होगी.
लो बोन डेंसिटी के कारण महिलाओं में बढ़ रहा हियरिंग लॉस का खतरा, स्टडी में हुआ खुलासा